लखनऊ: भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी कहा है कि लोकतंत्र को सुदृढ़ एवं मजबूत बनाने तथा उसके विकास में न्यायालय का महत्वपूर्ण योगदान है। देश के आजाद होने के बाद जिस प्रकार लोगों को न्याय की आवश्यकता थी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय उन आवश्यकताओं को पूरा करते हुए लोगों को न्याय देता आ रहा है। यहां की शानदार परम्परा के निर्माण बार और बेंच दोनों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, जिसके लिए बार और बेंच दोनों के प्रतिनिधि बधाई के पात्र है।
राष्ट्रपति जी आज मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में न्याय ग्राम की आधारशिला रखे जाने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने निर्मित हो रहे न्याय ग्राम को समयबद्धता के साथ सम्पन्न होने की शुभकामना देते हुए यह आशा की कि उच्च न्यायालय से जुड़े लोग इस न्यायालय के गौरव को निरन्तर बढ़ाते रहेंगे। उन्होंने न्यायालय से जुड़े महामना मदनमोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू और राजर्षि पुरुषोतम के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने मेरठ एवं चैरी-चैरा का जिक्र करते हुए न्यायालय की स्वतंत्रता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ही सन् 1921 में भारत की प्रथम महिला वकील का पंजीकरण करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता हमारी लोकतंत्र की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि आज न्यायपालिका हमारी देश की सम्मानित संस्थाओ में से एक है। समय से सबको न्याय मिले और न्याय व्यवस्था कम खर्चीली हो और सामान्य आदमी की भाषा में समझने निर्णय लेने की व्यवस्था हो। महिलाओं और कमजोर वर्गों को न्याय मिले यह हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि न्याय मिलने में देर होना भी एक तरह का अन्याय है। गरीबों के लिए न्याय प्रक्रिया में आने वाले न्याय का विलम्ब असहनीय होता है। हमें इसे दूर करने के उपाय करने चाहिए। पूरे देश में लगभग तीन करोड़ मामले लम्बित हैं, इनमें से लगभग 40 लाख मामले उच्च न्यायालयों में तथा लगभग 6 लाख मामले दस साल से अधिक लम्बित हैं। जिसे शीघ्र निस्तारित करने की प्रक्रिया सभी उच्च न्यायालयों में शुरू कर दी गयी जो एक हर्ष का विषय है।
राष्ट्रपति जी ने लम्बित वादों को एक समयसीमा में निस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने गरीब को न्याय मिलने पर जोर देते हुए कहा कि एक गरीब जो न्याय की आस लेकर न्यायालय आता है उसे न्यायिक प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी दी जाय। जिससे वह सिर्फ अपने वकील या अन्य लोगों पर आश्रित न रहे। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषा में बहस करने का चलन जोर पकड़े तो सामान्य नागरिक अपने मामले को बेहतर ढंग से समझ सकेगा। इसके साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि निर्णयों एवं आदेशों की प्रतिलिपि का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कराये जाने की व्यवस्था करनी चाहिए। यह प्रक्रिया अन्य उच्च न्यायालयों में शुरू कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि न्याय दिलाने की एक वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए। मध्यस्थता करते हुए लोगों को न्याय दिलाने का कार्य किया जाना सराहनीय है। उन्होंने कहा कि अभी हाल में ही मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने कागज रहित कोर्ट के रूप में ई-कोर्ट का शुभारम्भ किया है। जो लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने एवं न्याय प्रक्रिया को पेपर-लेस बनाने में सहयोग प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में लोगों को न्याय शीघ्र मिले, इसके लिए न्यायाधीशों को समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का दिन देश विजय दिवस के रूप में मना रहा है। आज के ही दिन 1971 में हमारी सेना ने दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इसलिए आज का उच्च न्यायालय का न्याय ग्राम आधारशिला, उन सेना के जवानो को समर्पित है।
राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के न्याय ग्राम की आधारशिला के लिए राज्य सरकार के द्वारा 35 एकड़ जमीन देने से न्याय प्रक्रिया में और तेजी आयेगी इसके साथ ही यहां पर न्यायाधीशों को प्रशिक्षित किया जायेगा। उन्होंने इसके निर्माण को समयबद्ध रूप पूरा कराने के साथ निर्माण कार्यों की निरन्तर समीक्षा करते रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि न्याय ग्राम का निर्माण जितना शीघ्र होगा, उतना ही न्याय व्यवस्था को और सरल एवं सुगम बनाते हुए लोगों को न्याय दिलाने का कार्य किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या इस समय 108 तक पहुंच गयी है। शीघ्र ही मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में इसमे और बढोतरी की जायेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने न्याय ग्राम की आधारशिला के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रयागराज अनेक कारणों से महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि भगवान राम वनवास जाते हुए एवं वनवास से लौटते हुए भी प्रयागराज की धरती पर आये थे। आज राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी एवं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी के रूप में दो-दो राम इस पावन धरती पर एक साथ उपस्थित हंै। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। हम लोग गंगा-यमुना को तो साक्षात देखते ही हैं और अदृश्य सरस्वती को यहां के छात्रों, युवाओं और प्रतियोगी छात्रो के माध्यम से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो प्रयाग आया वह यहां से सफल होकर ही गया। प्रयागराज में कुम्भ 2019 का आयोजन किया जाना है। उन्होंने इलाहाबाद के कुम्भ आयोजन को यूनेस्को के द्वारा ऐतिहासिक धरोहर के रूप में शामिल किये जाने पर इसमें लगे अधिकारियों एवं कर्मचारियों को साधुवाद दिया। उन्होंने हाईकोर्ट के परिसर में न्याय ग्राम की आधारशिला के आयोजन में न्याय के देवता का दिन शनिवार होने पर उन्हें भी याद करते हुए नमन किया।
योगी जी ने कहा कि राज्य सरकार न्याय प्रक्रिया में अपना हर संभव सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की अपनी एक गौरवशाली परम्परा है। मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है जिसने समय-समय पर ऐतिहासिक निर्णय देकर देश और समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। उन्होंने कहा कि समस्याओं को शीघ्र निस्तारित करने हेतु आई0जी0आर0एस0 पोर्टल बनाया गया है, जिसमें कोई भी अपनी समस्या सीधे भेज सकता है। उसकी समस्याओं का निस्तारण एक समय-सीमा के अन्तर्गत करने हुए सम्बन्धित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया कम खर्चीली होने के साथ-साथ त्वरित होनी चाहिए। न्याय प्रक्रिया को सुगम बनाने हेतु न्याय ग्राम के लिए 35 एकड़ भूमि आवंटित की गयी है। इसके तहत, प्रेक्षागृह का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें 1500 से 2000 लोगों के बैठने की सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि न्याय ग्राम के निर्माण होने से न्यायाधीशों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में तेजी आयेगी और नयी तकनीकों के समन्वय से न्याय शीघ्र मिलने की दिशा में तेजी आयेगी।
उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश श्री आर0के0 अग्रवाल ने 35 एकड़ की जमीन आवंटन करने हेतु राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि न्याय ग्राम में आवास एवं प्रशिक्षण दोनों की सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय सबसे पुराने न्यायालयो में से है और यह न्यायालय सबकी अपेक्षाओं मे खरा उतर रहा है। उन्हांेने कहा कि समय के साथ नयी चुनौतियां एवं नये प्रकरणों का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए न्यायाधीशों को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक हो जाता है। लम्बित वाद न्यायालयों के एक चुनौती है। सरकार भी न्यायालय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान कर रही है।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश श्री अशोक भूषण ने कहा कि न्यायालयांे में वादों के निस्तारण की भूमिका अच्छी है। न्यायिक प्रशिक्षण न्यायिक अधिकारियों के द्वारा कराये जाने से निर्णय लेने की क्षमता को और अधिक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन होने से नये प्रकरण एक चुनौतियों के रूप में सामने आते हैं। न्यायाधीश नयी तकनीकों से अपने आपको अपटेड रखें।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री दिलीप बाबा साहब भोंसले ने कहा कि झलवा में 35 एकड़ भूमि पर न्याय ग्राम की स्थापना की जा रही है जिसकी आज आधारशिला राष्ट्रपति जी के द्वारा रखी गयी। उन्होंने कहा लम्बित वादों का निस्तारण किया जा रहा है। एक वर्ष के अन्दर तीन लाख सात हजार वादों को लोक अदालतों के माध्यम से निस्तारित किया गया है एवं मध्यश्थता के माध्यम से भी कई हजार वादों को निस्तारित किया गया। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद को नयी तकनीकों से लैस करते हुए न्याय प्रक्रिया को और अधिक सुगम बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
आधारशिला कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रपति जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री तरूण अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम का आरम्भ एवं समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह, स्टाम्प एवं न्यायालय शुल्क, पंजीयन मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
इसके पूर्व प्रातःकाल संगम तट पर सपत्नीक राष्ट्रपति जी, राज्यपाल जी, मुख्यमंत्री जी एवं उप मुख्यमंत्री ने तीर्थ पुरोहितों के वैदिक मंत्रोउच्चार के बीच मां गंगा का पूजन-अर्चन एवं वंदन करते हुए मां गंगा की आरती भी की। सभी गणमान्य महानुभावों द्वारा वर्ष 2019 में लगने वाले कुम्भ के सफल आयोजन की मंगल कामना भी की गयी। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, सिद्धार्थनाथ सिंह, नन्द गोपाल गुप्ता नंदी, महापौर अभिलाषा गुप्ता सहित वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।