नई दिल्लीः राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने दिनांक 01.01.2018 को नई दिल्ली में आयोजित अपनी 100वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लिए हैं, जैसेः-
- कर्नाटक सरकार के कर्मचारियों को आरक्षण के आधार पर पदोन्नत परिणामी वरिष्ठता का विस्तार (राज्य में नागरिक सेवाओं में पदों के लिए) विधेयक, 2017 का समर्थन करना जिससे अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों और कर्मचारियों को वरिष्ठता और आरक्षित श्रेणी के आधार पर पदोन्नति की पात्रता हो जाएगी।
- मंत्रिमण्डल के लिए ड्राफ्ट टिप्पणी संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत राजस्थान में अनुसूचित क्षेत्रों की घोषणा करने का समर्थन करना, जिससे राज्य में अनुसूचित क्षेत्र संस्पर्शी (एक दूसरे से मिले हुए) हो जाएंगे जिससे प्रशासनिक सुविधा होगी।
- आयोग द्वारा केंद्र तथा राज्य सरकार के अधीन तदर्थ एवं अनुबंध के आधार पर की गई भर्तियों सहित सभी अस्थाई भर्तियों में (आपातकालीन नियुक्तियों को छोड़कर) अनुसूचित जनजातियों हेतु निर्धारित आरक्षण प्रतिशत लागू करने की अनुशंसा की गई है।
- आयोग द्वारा सभी सामाजिक, सांस्कृतिक तथा अकादमिक संस्थाओं से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी गोष्ठियों/सम्मेलनों आदि में कम से कम एक दिन अनुसूचित जनजातियों के कल्याण, विकास एवं संरक्षण से संबंधित विषयों पर चर्चा हेतु रखें।
- आयोग ने विभिन्न राज्यों में कार्यरत अनुसूचित जनजाति आयोगों के अध्यक्षों के साथ बैठक करने का निर्णय भी लिया है ताकि अनुसूचित जनजातियों से प्राप्त होने वाली शिकायतों और उनके विकास से जुड़े मुद्दों पर तालमेल से बेहतर काम किया जा सके।
- बैठक में आयोग द्वारा विभिन्न सरकारी मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आदि में कार्यरत अनुसूचित जनजाति के संपर्क अधिकारियों तथा जनजातीय विकास से संबंधित प्रमुख अधिकारियों की कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया है ताकि उन्हें इस महत्वपूर्ण दायित्व के प्रति संवेदनशील एवं जागरूक बनाया जा सके और वे अपने इस कार्य को भली-भांति कर सकें।
आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्यों ने अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले राज्यों के क्षेत्रों के दौरे करने के अतिरिक्त अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार के प्रकरणों तथा विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित मामलों के संदर्भ में अनेक स्थलीय जांच की है और संबंधित राज्य सरकारों को मामले का निराकरण करने के लिए अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में भ्रमणों के दौरान आयोग का प्रचार-प्रसार करने हेतु आयोग की पम्फलेट की आवश्यकता महसूस की गई जिसका विमोचन आज किया गया है।
आयोग के वर्ष 2018 के लक्ष्य
- आदिवासी उप-योजना, विशेष केंद्रीय सहायता तथा संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत आवंटन एवं उसके प्रभावी उपयोग की विस्तृत समीक्षा करना।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण योजना सहित अन्य विकास कार्यों से विस्थापित अनुसूचित जनजातियों के पुनर्वास कार्यां की प्रगति पर नजर रखना।
- आयोग के बजट को बढ़ाकर अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं का निराकरण करने में तेजी लाना तथा अनुसंधान गतिविधियों को प्रारम्भ करना।
- अधिक से अधिक प्रकरणों की सुनवाई एवं समीक्षा कर अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा करना।
संविधान के अनुच्छेद 338क के तहत गठित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्यों के रूप में मनोनीत सभी सदस्यों ने पिछले वर्ष 2017 के प्रारम्भिक महीनों में पदभार ग्रहण किया था।
आयोग में पदभार ग्रहण करने के उपरांत आयोग की कुल 08 मीटिंग सम्पन्न हुईं। आयोग द्वारा कई महत्वपूर्ण नीतियों/विधेयकों पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टिप्पणियां संबंधित मंत्रालयों को भेजी गईं जिनमें से प्रमुख हैं-(क) सामाजिक बहिष्कार से महाराष्ट्र के लोगों की सुरक्षा (रोकथाम, प्रतिबंधन एवं समाधान) विधेयक, 2016, (ख) सिक्किम विधान सभा (एसएलए) में सीटों को 32 से बढ़ा कर 40 करने एवं लिम्बू और तमांग अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए विधान सभा में सीटों की आरक्षण के लिए ड्राफ्ट कैबिनेट नोट, (ग) हिमाचल प्रदेश भूमि अंतरण (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2016, (घ) सामान्यत: एक स्थान या एक क्षेत्र से उम्मीदवारों को आकर्षित करते हुए समूह ’ग’ और ’घ’ पदों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों से उम्मीदवारों की भर्ती पर आरक्षण नीति पर अनुदेशों की समीक्षा करना, (ड.) ’’लोकक्षेत्र बैंकों (पीएसबी), निजी क्षेत्र बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनः वित्तपोषण के लिए नाबार्ड को ब्याज रियायत तथा रियायती दल किसानों को लघु अवधि फसल ऋण पर सहकारी बैंकों’’ पर ड्राफ्ट कैबिनेट नोट, (च) जानवरों के प्रति अत्याचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक, 2017 मसौदा।
आयोग ने फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की जांच के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कुमारी माधुरी पाटिल मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार गठित उच्च स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष लंबित मामलों का शीघ्र निपटान करने के लिए सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को निर्देश दिया है।
आयोग ने सुदूर अगम्य जनजातीय/पिछड़े हुए क्षेत्रों, विशेष रूप से छत्तीसगढ़, ओड़िशा, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से अनुसूचित जनजाति की महिलाओं और किशोरियों को बिना किसी औपचारिक अनुबंध के निजी प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा देश के कस्बों में घरेलू सहायकों के रूप में रख कर उनका शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक शोषण किए जाने को गंभीरता से लेते हुए उनके नियोजन की सूचना के स्वैच्छिक प्रकटीकरण के लिए दिशा निर्देश निर्धारित किए हैं और उन्हें सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजा है और उन्हें पुलिस विभाग एवं श्रम विभाग को उचित पंजीकरण कराने की सलाह देने के लिए कहा है।
आयोग के वर्तमान में 06 क्षेत्रीय कार्यालय कार्यरत हैं। इनके अतिरिक्त 04 कार्यालयों की स्थापाना क्रमशः हैदराबाद, नागपुर, अहमदाबाद और शिमला में करने के लिए आयोग प्रयासरत है। आयोग ने विगत दिनों महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश राज्यों में स्थलीय दौरे किए हैं और राज्य स्तरीय समीक्षा बैठकें भी आयोजित की हैं। इन बैठकों में राज्य सरकारों द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई है और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए विभिन्न उपाए सुझाए गए हैं।