नई दिल्लीः जनजातीय मामलों का मंत्रालय देश में जनजातीय इलाकों में 562 और एकलव्य मॉडल रिहायशी स्कूल (ईएमआरएस) स्थापित करेगा। वर्ष 2018-19 के बजट में बजटीय प्रावधानों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए जनजातीय मामलों के मंत्री श्री जुएल ओराम ने कहा कि सरकार आदिवासी बच्चों को उनके अपने माहौल में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी ‘सरकार आदिवासी बच्चों को उनके अपने माहौल में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मिशन को पूरा करने के लिए फैसला किया गया है कि वर्ष 2022 तक 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाले खंडों और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों के लिए एक एकलव्य मॉडल रिहायशी स्कूल होगा। एकलव्य स्कूल नवोदय विद्यालयों के समकक्ष होंगे और इनमें खेल और कौशल विकास में प्रशिक्षण देने की सुविधा के साथ स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए विशेष सुविधाएं होंगी।’
श्री ओराम ने बताया कि ईएमआरएस में आदिवासी छात्रों के लिए बोर्डिंग और लॉजिंग की सुविधा होगी और इन्हें उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के जरिए जवाहर नवोदय विद्यालय के समकक्ष लाया जाएगा। वर्ष 2017-18 के दौरान राज्यों में चल रहे 190 ईएमआरएस की आवर्ती लागत को पूरा करने के लिए 241.60 करोड़ रूपये की राशि जारी की गई जहां प्रति वर्ष 42000 रूपये छात्र की दर से 56000 आदिवासी छात्रों का नाम लिखा गया है।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय को वर्ष 2017-18 में 5329.32 करोड़ रूपये दिए गए थे जबकि 2018-19 में उसे 6000 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत (670.68 करोड़ रूपये) अधिक है।
श्री जुएल ओराम ने बताया कि वन उत्पाद की 24 वस्तुओं को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया गया है जिससे जनजातीय आबादी की आमदनी में पर्याप्त वृद्धि होगी, इसी प्रकार राष्ट्रीय आदिवासी वित्त विकास निगम के जरिए कम ब्याज दर यानि 1 प्रतिशत से 8 प्रतिशत की दर से आदिवासी स्व सहायता समूहों को ऋण दिए जा रहे हैं। श्री ओराम ने कहा कि जैसाकि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में घोषणा की है, आदिवासी उप योजना प्रणाली के अंतर्गत 2018-19 में अनुसूचित जनजाति के लिए 39000 करोड़ रूपये से अधिक आवंटित किए गए हैं।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय में सचिव सुश्री लीना नायर ने बताया कि बजट 2018-19 में, अनुसूचित जनजाति घटक (एसटीसी) में पांच नए मंत्रालयों को शामिल किया गया है और अब एसटीसी कोष वाले 37 केंद्रीय मंत्रालय और विभाग 297 विभिन्न योजनाओं के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट आदिवासी विकास का कार्य कर रहे हैं। जनजातीय मामलों का मंत्रालय इन कोषों के व्यय की निगरानी करेगा। इस कार्य के लिए एक ऑनलाइन निगरानी प्रणाली रखी गई है, जिसकी वेबसाइट है : http://stcmis.nic.in
सुश्री नायर ने बताया कि विभिन्न राज्यों में 21 जनजातीय अनुसंधान संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं और आदिवासी स्वाधीनता सेनानियों के लिए राष्ट्रीय महत्व के 11 संग्रहालय स्थापित करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के एक आधुनिक आदिवासी संग्रहालय की आधारशिला प्रधानमंत्री गुजरात में रख चुके हैं।