नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने विशेषकर, महिला हथकरघा बुनकरों और हस्तशिल्प कारीगरों के लिए नई श्रेणी के पुरस्कार-‘कमलादेवी चट्टोपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कारों’ की घोषणा की। अब तक केवल एक महिला द्वारा संत कबीर पुरस्कार ग्रहण किया गया है, इसे देखते हुए श्रीमती इरानी ने कहा कि ये पुरस्कार इस वर्ष से प्रदान किए जा रहे हैं, ताकि महिला बुनकरों और कारीगरों को उचित पहचान और पुरस्कारों से जुड़े आर्थिक लाभ मिल सकें। यह अपने घरों से काम करने वाली उन लाखों महिलाओं के उत्कृष्ट शिल्प और कड़े परिश्रम के प्रति एक छोटी सी श्रद्धांजलि होगी, जो भारत के गौरवशाली हथकरघा और हस्तशिल्प की धरोहर की मशाल को आगे ले जा रही हैं।
श्रीमती इरानी ने देश भर की महिला हथकरघा बुनकरों को मुद्रा ऋण मुहैया कराने के लिए एक विशेष अभियान भी शुरू किया। उन्होंने कहा कि इस अभियान को शुरू करने के लिए 1,700 से अधिक महिला बुनकरों को ऐसे ऋण दिए जा रहे हैं। इस अवसर पर पांच बुनकरों ने श्रीमती इरानी से मुद्रा ऋण ग्रहण किए।
श्रीमती इरानी ने इस अवसर पर भारत में शोषक और अस्वास्थ्यकर थाइ रीलिंग की प्रथा को खत्म करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान की भी शुरूआत की। (टसर सिल्क की थाइ रीलिंग आमतौर पर सीमांत महिला उद्यमियों द्वारा की जाती है, जो प्रतिदिन अपने घर में खाली समय के दौरान काम करती हैं)। श्रीमती इरानी ने कहा कि भारत में बनाया जाने वाला 30 प्रतिशत टसर सिल्क थाइ रीलिंग के जरिये बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस अस्वास्थ्यकर और अमानवीय प्रथा पर रोक लगाने के लिए मंत्रालय ने महिला सिल्क रीलर्स के लिए महिलाओं के अनुकूल बुनियाद रीलिंग मशीनों का वितरण शुरू किया है। केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी), वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय रेशम प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई बुनियाद मशीन थाइ रीलिंग के कठिन परिश्रम में ही कमी नहीं लाती, बल्कि उत्पादकता और आमदनी में सुधार लाती है। इस मशीन के विकास के लिए सीएसबी की सराहना करते हुए, श्रीमती इरानी ने आशा व्यक्त की कि थाइ रीलिंग से रेशम बनाने वाली 100 प्रतिशत महिलाओं को यह मशीन प्राप्त हो जाएगी और इस प्रकार अमानवीय प्रथा समाप्त हो जाएगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई 75 प्रतिशत सब्सिडी के कारण, सीमांत उद्यमियों को यह मशीन किफायती दाम पर मिल सकेगी। श्रीमती इरानी ने इस पहल का शुभारम्भ करने के प्रतीक के रूप में तीन लाभार्थियों को बुनियाद रीलिंग मशीन के प्रतिकृतियां वितरित कीं।
केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने पंजाब नेशनल बैंक के सहयोग से ऑनलाइन “हैंडलूम वीवर मुद्रा पोर्टल” का भी शुभारंभ किया। श्रीमती इरानी ने कहा कि अक्सर हथकरघा बुनकर मुद्रा ऋण के लिए आवेदन करने के बाद अपने आवेदन की स्थिति का पता लगाने में सक्षम नहीं होते । उन्होंने कहा कि पोर्टल इस खामी को दूर करेगा; इस पोर्टल से बुनकर और अधिकारी ऋण आवेदन की स्थिति की रीयल टाइम ट्रैकिंग कर सकेंगे। इसके अलावा, पोर्टल के माध्यम से, बैंकों के क्षेत्रीय कार्यालय दावे जमा करने और निधियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से बुनकर के ऋण खाते सीधे अंतरित करने में सक्षम होंगे। नई प्रणाली से दावों के भुगतान और हथकरघा बुनकरों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में होने वाली देरी में कमी आएगी। उन्होंने घोषणा की कि नई प्रणाली नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत 01 अप्रैल, 2017 से लागू होगा।
इस अवसर पर वस्त्र मंत्रालय और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के बीच दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए,जिनका मुख्य उद्देश्य हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्रों में काम करने वाली पिछड़ी वर्गों से संबंधित लाखों महिला हथकरघा बुनकरों और कारीगरों की आय में वृद्धि करना है। यह बड़ी संख्या में क्लस्टर विकास परियोजनाओं के द्वारा किया जाएगा।
श्रीमती इरानी ने संतोष व्यक्त किया कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति विकास निगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही समय बाद, सरकार आज कई जगहों पर (मधुबनी पेंटिंग, कढ़ाई शिल्प और शीशे के काम युक्त कढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए) अनुसूचित जाति से संबंधित महिला कारीगरों के लाभ के लिए हस्तशिल्प विकास परियोजनाएं शुरू कर रही है। इसी प्रकार, श्रीमती इरानी ने विभिन्न शिल्पों को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित जनजातियों की महिला कारीगरों के लाभ के लिए भी हस्तशिल्प विकास परियोजनाएं शुरू कीं। उन्होंने कहा कि इससे अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित महिलाओं के लाभार्थियों को लक्षित लाभ के संवितरण को सक्षम बनाया जा सकता है। इस अवसर पर, श्रीमती इरानी ने महिलाओं के लाभार्थियों के लिए तीन अनुसूचित जाति कारीगर क्लस्टर परियोजनाओं और दो अनुसूचित जनजाति कारीगर क्लस्टर परियोजनाओं को स्वीकृतियों का संवितरण किया।
उन्होंने कहा कि महिलाओं ने लम्बा फासला तय किया है और अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय का विजन महिला बुनकरों और कारीगरों को लक्षित लाभ दिलाना है। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री के शासन दर्शन ‘सबका साथ सबका विकास’ की तर्ज पर महिलाओं से संबंधित इन पहलों को ‘महिला विकास महिला के साथ’ के विषय के अंतर्गत समर्पित किया।
वस्त्र मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश भर के नौ विभिन्न स्थानों पर मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ संवाद भी किया।
इस अवसर पर भारत के विभिन्न हिस्सों से अनेक महिला कारीगरों, महिला हथकरघा बुनकरों और महिला सिल्क रीलर्स के अलावा केंद्रीय रेशम बोर्ड के अध्यक्ष, के एम हनुमंतरायप्पा; सचिव, वस्त्र, श्रीमती रश्मि वर्मा; सचिव, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, श्रीमती जी. लता कृष्ण राव और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।