वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज द्वितीय पुनर्गठित व्यापार बोर्ड (बीओटी) की बैठक आयोजित की गई। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार निर्यातकों की चिंताओं से पूरी तरह से अवगत है तथा जीएसटी से संबंधित उनकी चिंताओं पर राजस्व विभाग और वित्त मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर रही है। उन्होंने वाणिज्य विभाग, राजस्व विभाग तथा डीजीएफटी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की मध्यावधि समीक्षा के लिए सभी मुद्दों पर समुचित विचार करें।
इस बैठक में उद्योग, उद्योग संघों, निर्यात संवर्द्धन परिषदों तथा कोमोडिटी बोर्डों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। सरकार की ओर से वाणिज्य सचिव, डीआईपीपी सचिव, फार्मास्यूटिक्ल सचिव, डीजीएफटी तथा विदेश व्यापार महानिदेशालय, वाणिज्य विभाग, विदेश मंत्रालय, राजस्व विभाग, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य मंत्रालय/ विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
प्रारम्भ में, वाणिज्य सचिव श्रीमती रीता तेवतिया ने व्यापार बोर्ड में शिष्ट मंडल का स्वागत किया और बताया कि वाणिज्य विभाग द्वारा की गई कई पहलों के परिणामस्वरूप पिछले 6 महीनों के दौरान निर्यात परिदृश्य में सकारात्मक वृद्धि दर्शायी है। उन्होंने व्यापार सुविधा समझौते के लाभकारी परिणामों का भी उल्लेख किया जिसमें भारत, निर्यात के आड़े आने वाले बहुत से व्यापार अवरोधों को दूर करने में सफल हुआ है। उन्होंने आगे बताया कि वाणिज्य विभाग निर्यातकों के जीएसटी संबंधी विभिन्न मसलों को हल करने के लिए राजस्व विभाग से निरंतर बातचीत कर रहा है तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के सुझाव पर यह एफटीपी को जीएसटी प्रणाली के अनुरूप करने के लिए समीक्षा कर रहा है।
विदेश व्यापार महानिदेशक श्री ए. के. भल्ला ने मौजूदा व्यापार परिदृश्य, वर्तमान निर्यात वृद्धि योजनाओं, वाणिज्य विभाग द्वारा निर्यातकों के जीएसटी संबंधी विभिन्न मुद्दों के निवारण के लिए किये गए प्रयासों तथा निर्यातकों और उद्योग संघों सहित विभिन्न हितधारिकों के साथ विचार-विमर्श पर प्रकाश डालने वाली एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि 01.04.2015 को शुरू की गई एफटीपी 2015-2020 की मध्यावधि समीक्षा 01 सितंबर, 2017 को होनी थी, इसे वाणिज्य मंत्री के निर्देशानुसार पहले ही शुरू कर दिया गया है ताकि व्यापार नीति जीएसटी व्यवस्था से आने वाले परिवर्तनों के अनुरूप हो सके। उद्योग के प्रतिनिधियों ने जीएसटी के रूप में सरकार द्वारा की गई मुख्य आर्थिक सुधार की पहल का स्वागत करते हुए जीएसटी से संबंधित कुछ मामलों पर अपनी चिंता जताई, जिसमें कच्चे माल के आयात तथा निर्यात के लिए पूंजीगत माल पर आईजीएसटी की छूट के बजाय वापसी (रिफंड) के कारण संचलन पूंजी के ब्लाक हो जाने का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कई रचनात्मक सुझाव भी दिए। डीआईपीपी के सचिव तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों ने निर्यातकों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों का भी समाधान किया।