नई दिल्लीः वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने फिर कहा है कि जीईएम सर्वाधिक पारदर्शी, उत्तरदायी, सक्षम सरकारी खरीद पोर्टल है और इससे सरकार को करोड़ों रुपयों की बचत हुई है। आज एक संवाददाता सम्मेलन में श्रीमती सीतारमण ने कांग्रेस पार्टी द्वारा जीईएम के खिलाफ लगाए गए आरोपों का जोरदार खंडन किया।
21 अप्रैल, 2017 को एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के प्रवक्ता श्री रणदीप सुरजेवाला ने गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जीईएम) में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। उन्होंने माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री को कथित रूप से एक केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कुछ संसद सदस्यों द्वारा लिखे गए पत्रों को आधार बनाया था।
वाणिज्य विभाग ने कड़े शब्दों में जीईएम के खिलाफ श्री सुरजेवाला के खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार, प्रेरित और बदनीयत भरा आरोप करार दिया है।
लोकसभा के माननीय सदस्य श्री अजय निषाद ने लिखित रूप से माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री को चिट्ठी लिखे जाने से इंकार किया है और बदले में उन्होंने सरकारी खरीद के लिए पारदर्शी पोर्टल स्थापित करने पर श्रीमती सीतारमण की प्रशंसा की है। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि श्री निषाद तथा लोकसभा सदस्य श्री अशोक एम. नेते दोनों के पत्र एक ही तरह के हैं। इसके अलावा लोकसभा के 6 माननीय सदस्यों – श्री हरीश द्विवेदी, श्री अर्जुन लाल मीणा, श्री आलोक संजर, श्री राजेश वर्मा, श्री राधेश्याम बिश्वास तथा श्री कौशल किशोर – सभी द्वारा अपने पत्रों में साफ्टवेयर विस्तार, भंडारण, नेटवर्किंग, डीजीएसएंडडी दर संविदा पर सुरक्षा सामग्री का अनुरोध किया। माननीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री को लिखे अपने पत्र में केवल एक कंपनी के अभ्यावेदन को अग्रेसित किया था। जीईएम के समय के हस्तक्षेप करने के कारण इस कंपनी को बड़ा आदेश नहीं मिल पाया।
उपरोक्त तथ्य स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि जीईएम के विरूद्ध दुष्प्रचार का यह अभियान निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा चलाया जा रहा है और सभी संभावनाओं को देखते हुए यह लगता है कि यह दुष्प्रचार निश्चित स्वार्थी समूह का है जो आरसी निरस्त किए जाने और पारदर्शी प्लेटफार्म विकसित किए जाने से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस पार्टी एक अस्पष्ट और अपारदर्शी प्रणाली का समर्थन कर रही है और सरकारी खरीद तथा सुशासन में पारदर्शिता का विरोध कर रही है और तथ्यों की जांच किए बिना अपने प्रवक्ता को जीईएम के विरुद्ध बोलने की अनुमति दी है।
श्री सुरजेवाला ने जिन मदों में जीईएम की दरें तथा ई-कामर्स की दरों को दिखाया है वे मद अलग हैं और उनकी तुलना नहीं की जा सकती। इसके विपरीत जीईएम की दरें बाजार दरों से काफी कम हैं। यह पाया गया है कि 450 करोड़ रुपये की कुल खरीद में सरकार ने 100 करोड़ रुपये की बचत की है। सरकार नीति रूप में आरसी पर मदों में कमी कर रही है और उन्हें पारदर्शी पोर्टल जीईएम पर ला रही है। आरसी प्रणाली की अनेक सीमाएं हैं।
जीईएम की प्रक्रियाएं पूरी तरह से पारदर्शी हैं। यह पहला पोर्टल है जो सरकारी संगठनों की सभी छोड़ी-बड़ी खरीदों को सार्वजनिक दायरे में रखता है और इसमें क्रेता-विक्रेता मद, मात्रा तथा मूल्य सभी का विस्तृत विवरण है।
जीईएम ने सरकारी सप्लाई के लिए कारोबार पर सभी तरह के पंजीकरण प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया है। छोटे शहरों के व्यापारी सरकार के साथ व्यवसाय का अवसर पा रहे हैं। पहले की आरसी प्रणाली में 2500-3500 आपूर्तिकर्ताओं का निर्धारित दरों पर सरकारी सप्लाई करने के मामले में एकाधिकार बना हुआ था। जीईएम में पर्याप्त नियंत्रण और संतुलन है जो सप्लाई करने वालों को बाजार मूल्य या अंतिम खरीद मूल्य से अधिक पर सरकारी सप्लाई की अनुमति नहीं देता। सरकारी खरीददारों को इस संबंध में जीईएम द्वारा अनेक परामर्श दिए गए हैं और कुछ दोषी सप्लाईकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई भी की है। यह जीईएम की उच्च पारदर्शिता तथा उत्तदायित्व मानकों को दिखाता है।
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