वाराणसी में लगभग 650 करोड़ की लागत से बनने वाले महामना पंडित मदन मोहन मालवीय (MPMM) कैंसर संस्थान के लिए एक विस्तृत योजना तैयार कर ली गई है। इस जिले में कैंसर की देखभाल का काम ‘रोगी-केंद्रित देखभाल’ की नई पद्धति से किया जाएगा, जिसमें शीर्ष स्तर पर दी जा रही सेवाएं भी शामिल होंगी।
टाटा ट्रस्ट ने पेशकश की है कि वह एमपीएमएम कैंसर संस्थान में एक अस्पताल भवन बनाएगा और उसके लिए उपकरण एवं साज-समान भी देगा।
लगभग 40 लाख की आबादी को कवर करने के लक्ष्य के साथ वाराणसी जिले में कैंसर पंजीकरण का काम शुरू हो चुका है। इससे इस क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के कैंसरों की पहचान करने में चिकित्सकों को मदद मिलेगी।
वर्तमान में कैंसर पंजीकरण के लिए छह पेशेवरों को ट्रेनिंग दी गई है। प्रशिक्षित किए गए पेशेवर पैथोलाजी के जरिए साबित कैंसरों का संलेखन कर रहे हैं। अनुमान है कि मार्च 2018 तक इस क्षेत्र में पाये जाने वाले कैंसरों पर रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।
शुरुआती संकेत यह इंगित कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में पित्त की थैली की पथरियां (stones) और पित्त की थैली के कैंसर बहुत आम हैं। अब इनके कारणों को समझने के लिए टाटा मेमोरियल सेंटर ने वाराणसी, लखनऊ और असम (गुवाहाटी, सिलचर) के सहयोग से एक पित्त की थैली के कैंसर का सहायता संघ (Consortium) बनाने का विचार किया है। अगला कदम इसकी रोकथाम के लिए एक कार्यनीति को अमली जामा पहनना होगा, क्योंकि यह कैंसर जानलेवा होता है।
टाटा ट्रस्ट की योजना है कि वह अस्पताल भवन तथा साथ में सभी जरूरी फर्नीचर और आवश्यक मेडिकल उपकरण व साज-सामान दिसंबर 2018 तक एमपीएमएम कैंसर सेंटर को सौंप दे। DoAE-TMC, IMS-BHU और टाटा ट्रस्ट के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (tripartite MoU) पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं।
टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा एटामिक एनर्जी विभाग के अधीन बचे हुए निर्माण कार्य जैसे कार्यालयों, रेजीडेंट डॉक्टरों के लिए हॉस्टल, फ़ैकल्टी आवास, धर्मशाली, कैंटीन आदि का काम पूरा करवाया जाएगा।
वाराणसी और आसपास के क़ैसर के मरीजों के लिए टाटा मेमोरियल अस्पताल ने पहले ही 15 से अधिक कैंसर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों को चिन्हित कर दिया है। जल्द ही बीएचयू तथा रेलवे अस्पताल के मौजूदा कैंसर के विशेषज्ञ चिकित्सकों को भी इस दल में शामिल किया जाएगा। जिससे इस क्षेत्र में कैंसर के इलाज के लिए मानव संसाधन को बढ़ाया जा सके। साथ ही कैंसर नर्सिंग व लैब टेक्निशन का काम संभालने के लिए 50 से अधिक नर्सों को ट्रेनिंग दी जा रही है।