लखनऊ: वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में प्रावधानित धनराशि के समक्ष वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने तथा धनराशि को विभागाध्यक्ष/नियंत्रक अधिकारी के निवर्तन पर रखे जाने हेतु कार्यवाही के लिए शासन द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय द्वारा एक कार्यालय ज्ञाप के माध्यम से अवगत कराया गया है कि वित्तीय स्वीकृतियां जारी करते समय प्रशासकीय विभागों द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि लेखानुदान अवधि के लिए जारी की गई वित्तीय स्वीकृतियों की धनराशि को घटाने/समायोजित करने के उपरान्त वित्तीय वित्तीय स्वीकृतियां निर्गत की जाएं।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में जारी की जाने वाली वित्तीय स्वीकृतियों में आयोजनागत/आयोजनेत्तर का उल्लेख न किया जाए। व्यय की नई मदों, अंशपूंजी विनियोजन तथा ऋण एवं अग्रिम और परियोजनाओं के पुनरीक्षित आगणन से सम्बन्धित वित्तीय स्वीकृतियां वित्त विभाग की सहमति से जारी की जाएं और चालू योजनाओं/परियोजनाओं की वित्तीय स्वीकृतियां प्रशासकीय विभागों द्वारा जारी की जाएंगी।
नई परियोजना/योजना/सेवा के लिए वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने सम्बन्धी जो भी प्रस्ताव वित्तीय विभाग को भेजे जाएं, उनमें अपेक्षित विवरण अवश्य उपलब्ध कराया जाए। ऐसी योजनाओं, जिनमें राज्य सरकार द्वारा लाभार्थी को किसी प्रकार की सब्सिडी/सहायता अनुदान दिया जाना है, ऐसी सभी योजनाओं/कार्यक्रमों में लाभार्थी की संख्या व पात्रता तथा उसे दी जाने वाली धनराशि आदि का मंत्रिपरिषद के अनुमोदन से योजना के लिए जारी मार्गदर्शक सिद्धान्तों के अनुसार योजनाओं/कार्यक्रमों की वित्तीय स्वीकृतियां प्रशासकीय विभागों द्वारा निर्गत की जाएंगी।
राज्य द्वारा अनुदानित संस्थाओं के वेतन व भत्ते के भुगतान से सम्बन्धित वित्तीय स्वीकृतियां सुसंगत नियमों व स्थायी आदेशों के अधीन प्रशासकीय विभाग द्वारा निर्गत की जाएंगी। यदि विगत वर्ष की कोई अप्रयुक्त धनराशि अवशेष है तो उसका समायोजन करने के उपरान्त वित्तीय स्वीकृतियां प्रशासकीय विभाग द्वारा निर्गत की जाएंगी।
ऐसी राज सहायतित स्वायत्तशासी संस्थाओं, जिनके वचनबद्ध व्ययों को पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से वहन करने का दायित्व राज्य सरकार का है और उन्हें मानक मद-20-सहायता अनुदान-सामान्य (गैर वेतन) के अन्तर्गत सहायता दी जानी है, के लिए दो किश्तों में धनराशि अवमुक्त की जाए, जिसमें प्रथम किश्त प्रशासकीय विभाग द्वारा विगत वर्ष की कोई अप्रयुक्त धनराशि अवशेष है, तो उसका समायोजन करने के उपरान्त तथा दूसरी किश्त प्रशासकीय विभाग द्वारा वित्त विभाग की सहमति से निर्गत की जाएगी।
छात्रवृत्ति, वृद्धावस्था/किसान पेंशन तथा निराश्रित महिलाओं एवं दिव्यांगजन के भरण-पोषण हेतु सहायता आदि के लिए आवश्यक धनराशि की स्वीकृति प्रशासकीय विभाग द्वारा जारी की जाएगी। कोषागार से धनराशि का आहरण, व्यय की आवश्यकता होने पर ही किया जाए। मोटर गाड़ियों के क्रय से सम्बन्धित वित्तीय स्वीकृतियां वित्त विभाग की सहमति से जारी जाएंगी। जिन मामलों में केन्द्र सरकार तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा योजना का वित्त-पोषण किया जाना प्रस्तावित है, उनमें किश्तों का निर्धारण केन्द्र सरकार/संस्थाओं की शर्तों के अनुसार किया जाए।
किसी परियोजना/योजना/कार्यक्रम आदि में निर्माण कार्य सम्मिलित होने की स्थिति में निर्धारित मानकानुसार उपयुक्त भूमि की निर्विवाद रूप से उपलब्धता सुनिश्चित होने पर ही निर्माण कार्य के लिए स्वीकृति जारी की जाए। निर्माण कार्य जिनमें प्रशासकीय विभाग द्वारा स्वयं आगणन का मूल्यांकन किया जाना है, उन प्रकरणों में वित्तीय स्वीकृति निर्गत करने से पूर्व तथा अन्य प्रकरणों में प्रायोजना रखना एवं मूल्यांकन प्रभाग (पी0एफ0ए0डी0), व्यय वित्त समिति (ई0एफ0सी0) को सन्दर्भित करने से पूर्व, विभाग के प्रभारी मंत्री से राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कार्यदायी संस्था में से किसी एक का चयन सुसंगत शासनादेशों के प्रावधानों के अनुरूप करा लिया जाए।
यदि निर्माण कार्य की लागत 1 करोड़ रुपए तक है और सम्बन्धित परियोजना की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति 30 सितम्बर, 2017 तक जारी की जा रही है, तो ऐसे मामलों में सम्पूर्ण धनराशि एक किश्त में अवमुक्त की जाएगी। यदि निर्माण कार्य की लागत 1 करोड़ रुपए से अधिक और 10 करोड़ रुपए तक है, तो धनराशि दो किश्तों में अवमुक्त की जाए, जिसमें प्रथम किश्त 50 प्रतिशत या इससे कम हो। यदि निर्माण कार्य की लागत 10 करोड़ रुपए से अधिक है, तो निर्माण कार्यों के लिए कार्यदायी संस्था को प्रथम किश्त के रूप में निर्माण लागत की 40 प्रतिशत या इससे कम धनराशि अवमुक्त की जाए। स्वीकृतियां जारी करने से पूर्व विभागों द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि प्रश्नगत कार्य किसी अन्य योजना से स्वीकृत नहीं हुआ/हो रहा है।
माननीय न्यायालय के आदेश के अनुपालन में जिन मामलों में भुगतान किया जाना है, ऐसे मामलों में न्याय विभाग का परामर्श प्राप्त कर प्रशासकीय विभाग द्वारा निर्णय लेकर भुगतान हेतु वित्तीय स्वीकृतियां जारी की जाएंगी। योजनाओं हेतु प्रावधानित धनराशि को स्वीकृत कर पी0एल0ए0/डिपाॅजिट खाते में जमा नहीं किया जाएगा। विशेष परिस्थिति में वित्त विभाग की सहमति एवं मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से स्वीकृत धनराशि को कार्यदायी संस्था के डिपाॅजिट खाते में जमा किया जा सकेगा।
जिला योजनाओं की स्वीकृतियां सीधे सम्बन्धित जिला स्तरीय अधिकारियों को जारी की जाएं। विभागाध्यक्षों एवं अन्य नियंत्रक अधिकारियों द्वारा बजट आवंटन में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाए कि आहरण एवं वितरण अधिकारियों द्वारा कोषागार से धनराशि का आहरण तत्काल आवश्यकता होने पर ही किया जाए। केन्द्र प्रायोजित योजनाओं तथा अन्य संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित योजनाओं के अन्तर्गत विगत वर्षों में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति प्राप्त किए जाने के सम्बन्ध में प्रशासकीय विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव का यह दायित्व होगा कि समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए व्यय की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित कराएं।
व्यय प्रबन्धन एवं शासकीय व्यय में मितव्ययिता के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों का विशेष रूप से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। वित्तीय स्वीकृतियों से सम्बन्धित आदेशों को वेबसाइट http://shasanadesh.up.nic.in पर अनिवार्य रूप से अपलोड किया जाए।