नई दिल्ली: विदेशमंत्री, श्रीमती सुषमा स्वराज: यह विषय सदन में उठाया था और आपने अनुमति दे करके श्री रविन्द्र कुमार जैना, श्री एम् वी राजेश, श्री पी के बीजू, और श्री जॉज के मणि को सम्बद्ध करने की अनुमति दी थी।
जैसे अभी राजीव जी ने कहा कि मेरे सहयोगी संसदीय कार्यमंत्री ने ये आश्वासन दिया था की मैं ५ तारीख को इसपर वक्तव्य दूँगी।
आज जब मैं आ रही थी तो मालूम हुआ कि एक जनहित मोशन मल्लिकार्जुन खड़गे जिनके साथ श्री के सी वेणुगोपाल, श्री शशि थरूर, श्री राजीव सातव और श्री गौरव गोगोई द्वारा दिया गया है जो उसी घटना के बारे में है लेकिन सन्दर्भ अलग है जो अफ्रीकन मिशंस के डीन के द्वारा एक बयान दिया गया उसके बारे में उन्होंने बात की, मैं इन दोनों बातों का एक साथ जवाब देना चाहूंगी।
अध्यक्षजी सबसे पहले मैं ये कहना चाहूंगी कि डीन के द्वारा जो ये कहा गया कि पोलिटिकल लीडरशिप चुप है या पोलिटिकल लीडरशिप के द्वारा कोई काम नहीं किया गया, ये तथ्यों के बिलकुल विपरीत है।ये दो घटनाएँ एक साथ घटीं, एक १९ वर्ष का स्थानीय किशोर जिसका नाम मनीष है उसकी मृत्यु हो गई। उसके माता-पिता ने कहा कि ये ड्रग ओवरडोज़ का केस है, उसके खिलाफ उन्होंने रिपोर्ट भी दर्ज़ कराई।
अगले दिन स्थानीय लोगों ने इस मृत्यु के खिलाफ एक कैंडल मार्च निकाला, उस कैंडल मार्च में इन नाइजीरिआई नागरिकों की पिटाई हुई जिनके बारे में जिक्र है।ये जो मैंने कहा विदेश मंत्रालय की तरफ से कि हर आपराधिक कृत्य नस्लीय अपराध नहीं होता वो इसलिए कहा कि ये गुस्साई हुई भीड़ के द्वारा, बेकाबू भीड़ के द्वारा जो आपराधिक तत्व इसमें शामिल हो जाते हैं उनके द्वारा ये पिटाई की गई।
नस्लभेद से प्रेरित जो भी अपराध होता हैं उसमें कोई न कोई पूर्व योजना होती है।ये कोई पूर्व नियोजित घटना नहीं थी लेकिन जैसे ही मुझे इन दोनों घटनाओं के बारे में मुझे पता चला, वो कहते हैं पोलिटिकल लीडरशिप ने कुछ नहीं किया, तुरंत मैंने यूपी केचीफ़ मिनिस्टर से बात की और उनसे कहा कि इन दोनों घटनाओं की निष्पक्ष जांच कराने का आश्वासन अपनी ओर से भी दीजिये और मुझे भी कहिये कि मैं आपकी ओर से दूं।
मैंने अपनी ओर से तुरंत ट्वीट कियाये कहते हुए कि मेरी यूपी के मुख्यमंत्री से बात हुई है और उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया है। फिर यूपी के मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से ट्वीट किया कि मैं निष्पक्ष जांच का भरोसा देता हूँ। उसके बात मेरे सहयोगी राज्यमंत्री श्री एम् जे अकबर, उनसे मैंने कहा कि आप नाइजीरियन हेड ऑफ़ मिशन से स्वयं बात करिए और उनसे बताइए की इस-इस तरह से इस पर निष्पक्ष जांच हो रही है, और विदेशमंत्री स्वयं इसको मॉनिटर कर रहीं हैं, तो उन्होंने कहा बहुत अच्छा हुआ आपने हमें बता दिया और आप विदेशमंत्री का धन्यवाद करिए, हम लोग आना चाहते थे मिलने के लिए लेकिन अब आने की आवश्यकता नहीं है, ये बात अकबर जी के साथ हुई।
उसके बाद निष्पक्ष जाँच शुरू हो गई। 6 लोग गिरफ्तार किये गए हैं इस केस में, जाँच चल रही है। दूसरे सदन में जब यह सवाल उठा तो मैंने यही कहा कि जाँच के परिणाम से पहले किसी भी अपराध को नस्लभेद से प्रेरित कहना सही नहीं है और ये केवल मैं भारत के सन्दर्भ में नहीं कह रही, जो अमेरिका में हिंसक कृत्यहुआ, उनमें भी हमने यही कहा कि जाँच से पहले मत कहिये कि नस्लभेद से प्रेरित है।
अभी मोजाम्बिक मेंएक भारतीय की हत्या हुई, हमने तो नहीं कहा कि ये नस्लभेद से प्रेरित है। उससे पहले एक हत्या हुई हमने तो नहीं कहा कि ये नस्लभेद से प्रेरित है। अतः इसलिए हमारा ये कहना हैकि हर आपराधिक कृत्य या हर हिंसक कृत्यनस्लभेद से प्रेरित नहीं होता। जाँच का परिणाम आने दीजिये।
दूसरी बात राजीव जी ने उसी दिन अपनेवक्तव्य में कही कि एक केन्याई अफ्रीकन महिला के साथ भी बेहद मार पीट हुई, दूसरी घटना में उसे आधा-दर्ज़न लोगों ने मारा। आपको मालूम हुआ होगा अख़बार के माध्यम से, अगले दिन स्वयं उस महिला ने कहा कि मैंने तो झूठ बोला था और अपनी शिकायत वापस ले ली और जब उसका वीसा हमने देखा तो पाया कि उसका वीसा कब का समाप्त हो चुका था और वो अवैध रूप से यहाँ रह रही थी। तो सिर्फ उसके कहने पर ये कह देना, उसने स्वयं ने ये माना कि मार पिटाई नहीं हुई और उसने जा करके शिकायत वापिस लेली।
तो इसलिए मेरा ये कहना है कि डीन ने जो बातें कहीं हैं मेरे लिए बहुत आश्चर्य वाली भी हैं और दुःख वाली भी हैं और इसलिए आज हमने डीन को बुलाया था।यहाँ पर जनरल वी के सिंह बैठे हैं, हमारे राज्यमंत्री से वो मिलकर गए, और उन्होंने बहुत साफ़ शब्दों में बात की कि अगर इन तमाम चीज़ों के बाद, पोलिटिकल लीडरशिप का जो रिस्पांस आया, स्वयं विदेशमंत्री का, हमारी राज्यमंत्री श्री अकबर का, यूपी के मुख्यमंत्री का, और उसके बाद जिस तरह से 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, अगर इसके बाद भी आपका समाधान नहीं हो रहा था तो आप विदेशमंत्री से मिलने का मौका माँग लेते।
पिछली बार जब कांगो का एक बच्चा मरा था तो पूरे के पूरे एचओएम् मेरे से मिलने के लिए आये थे और उनका समाधान हो गया था। हम लोग वहां सिर्फ नाइजीरियंस की ही नहीं बल्कि तमाम अफ़्रीकी नागरिकों की संरक्षा-सुरक्षा का पूरा प्रयत्न कर रहे हैं, पूरीतरह से प्रशासन मुस्तैदी से काम कर रहा है,अगर उसके बाद भी वो ये कहते हैं कि इंडिया इस अ ज़ीनोफोबिक कंट्री, कि हम ह्यूमन राइट्स कौंसिल में जायेंगे, तो हमने उनको आज कहलाया कि आप ह्यूमन राइट्स कौंसिल की बात करते हैं, हमारे यहाँ कौन से तंत्र की कमी है।ह्यूमन राइट्स कमीशन हमारे यहाँ है, एनजीओ हमारे यहाँ इतने ज्यादा हैं और इतनी एक्टिव सिविल सोसाइटी है, हमारी फ्री-प्रेस है, हमारी इंडिपेंडेंट जुडीसिअरी है, इतनी सारी तंत्र व्यवस्था हमारे यहाँ हैं और आप बात करते हैं ह्यूमन राइट्स कौंसिल जाने की।
आज बड़े खुले शब्दों में राज्यमंत्री वी के सिंह जी ने उनको बुलाकर बात करी है और ये कहा है कि जो आपका ये बयान है, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण भी है और हम लोगों को हैरत में डालने वाला भी है क्योंकि भारत सरकार के द्वारा जो भी कार्यवाही की गई है उसे किसी भी शब्दों में इन-एडिक्वेट नहीं कहा जा सकता, जो आपके स्थगन प्रस्ताव में है, उसे किसी भी शब्दों में इन-एडिक्वेट नहीं कहा जा सकता। हम लोग पूरा प्रयत्न कर रहे हैं, निष्पक्ष जाँच होगी, जो भी दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही होगी।और केवल नाइजीरियाइयों की नहीं पूरे के पूरे अफ़्रीकी या जितने भी देश के नागरिक यहाँ पर रह रहे हैं उनके प्रति भारत सरकार कृतसंकल्पित हैं कि वे सुरक्षित रहें।और इसके लिए मैं आपके माध्यम से पूरे सदन को आश्वस्त करती हूँ।