14.8 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

विद्यालय शिक्षा को गुणात्मक बनाना

देश-विदेश

नई दिल्लीः केंद्रीय सरकार सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) की केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से कई स्तरों पर अध्यापकों के नियमित सेवाकालीन प्रशिक्षण, नए भर्ती अध्यापकों के लिए प्रवेश प्रशिक्षण, आईसीटी कम्पोनेन्ट पर प्रशिक्षण, विस्तृत शिक्षा, लैंगिक संवेदनशीलता, तथा किशोरावस्था शिक्षा सहित गुणवत्ता सुधार के लिए राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों की मदद करती है। एसएसए तथा आरएमएसए दोनों के तहत प्राथमिक तथा माध्यमिक दोनों अध्यापकों को उनकी पेशेवर उन्नति के लिए विशिष्ट विषयक, आवश्यकता आधारित तथा अध्यापकीय सेवाकाल के दौरान सुसंगत प्रशिक्षण देने पर ध्यान केंद्रित है।

इसके अलावा, माध्यमिक स्तर पर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आरएमएसए के तहत प्रेरणा तथा जागृति कार्यक्रम, सुधारात्मक शिक्षा जैसी नई पद्धतियों को भी उपयोग में लाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, जिला स्तर पर विज्ञान मेला/प्रदर्शनी तथा प्रतिभा खोज, स्कूलों को गणित और विज्ञान किट्स, विद्यार्थियों द्वारा उच्चतर संस्थानों का भ्रमण तथा विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन जैसी नई पद्धतियां भी स्वीकृत की गई हैं।

केंद्र सरकार, राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के साथ, शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के मानदंड़ों के कार्यान्वयन तथा अध्यापकों की शीघ्र भर्ती तथा पुनर्नियोजन के मामले विभिन्न मंचों से निरन्तर उठाती रही है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मानदंडों के कार्यान्वयन तथा अध्यापकों के पुनर्नियोजन के लिए समय-समय पर राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को परामर्शी भी जारी की हैं ताकि यह सुनिश्चित हो कि सभी स्कूल अध्यापक पारदर्शी नीति के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने में पर्याप्त समय खर्च कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार ने स्कूली शिक्षा को गुणात्मक बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैः-

स्कूली शिक्षा में सर्वोत्तम अभ्यास कोष का सृजन तथा एसएसए के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए शगुन पोर्टल शुरू किया गया है।

लड़कियों तथा लड़कों के लिए प्रत्येक स्कूल में अलग-अलग शौचालयों की व्यवस्था के लिए स्वच्छ विद्यालय अभियान।

स्वच्छ विद्यालय पहल के अगले कदम के रुप में जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर 2016-17 से स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की स्थापना की गयी।

कक्षा 1 तथा 2 के विद्यार्थी समझ-बुझ से पढ़ सकें तथा उन्हें मूल गणना कौशल प्राप्त हो इसके सुनिश्चय के लिए 2014 में ‘पढ़े भारत बढ़े भारत’ की शुरुआत की गयी।

6-18 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को विज्ञान, गणित तथा प्रौद्योगिकी के अध्ययन के लिए प्रेरित करने हेतु 2015 में राष्ट्रीय आविष्कार अभियान शुरू किया गया

सभी बच्चे उचित बौद्धिक स्तर हासिल कर सकें इसके सुनिश्चय के लिए श्रेणीवार, विषयवार बौद्धिक परिणामों का संदर्भ शामिल करने के लिए फरवरी, 2017 में बच्चों की निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा अधिकार (आरटीई) अधिनियम में संशोधन किया गया है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23(2) को अगस्त, 2017 में संशोधित किया गया है जिसके अंतर्गत अप्रशिक्षित प्राथमिक अध्यापकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण की अवधि 31 मार्च, 2019 तक बढ़ाई गई है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी अध्यापक शैक्षणिक प्राधिकरण द्वारा यथा-निर्धारित न्यूनतम अर्हता प्राप्त कर लेते हैं।

एनसीईआरटी, एससीईआरटी/एसआईई, राज्य बोर्डों आदि द्वारा तैयार की गई ई-पुस्तकों सहित ई-संसाधनों के प्रसार के लिए नवंबर, 2015 में ई-पाठशाला वेब-पोर्टल (http://epathshala.gov.in/) तथा मोबाइल ऐप(एंडरायड आई-ओएस तथा विंडोज) शुरू की गई हैं।

स्कूलों के मूल्यांकन के लिए नवंबर, 2015 में शुरू की गई शाला सिद्धि एक व्यापक माध्यम है जिससे स्कूलों में सुधार आएगा।

माध्यमिक स्तर पर स्कूली विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा के पोषण तथा प्रदर्शन द्वारा शिक्षा में कला के वर्धन के लिए कला उत्सव कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।

आरएमएसए के ऑन लाइन प्रबन्ध तथा निगरानी के लिए ऑन लाइन परियोजना निगरानी प्रणाली (पीएमएस) अगस्त, 2014 से शुरू की है।

प्रभावी शिक्षण के लिए विद्यार्थियों और उनके अध्यापकों के बीच संपर्क के लिए पायलट आधार पर केंद्रीय विद्यालयों में संगत ई-विषय सूची से परिलोडिड टेबलेट्स का वितरण शुरु किया गया है। 93 केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में भी पिछले तीन साल से शुरुआत की गई है और 62 नए नवोद्य विद्यालयों को स्वीकृति प्रदान की गई है।

मिड डे मिल योजना के अन्तर्गत स्कूल स्तर पर स्वतः निगरानी प्रणाली की शुरूआत की गई है ताकि योजना की सही सामयिक निगरानी हो सके।

तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षाओं के लिए जिला स्तर तक नमूने के तौर पर 13 नवंबर, 2017 को बौद्धिक परिणामों पर आधारित एक राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) का आयोजन किया गया है ताकि राज्य और संघ शासित प्रदेश कमियों का पता लगा सकें। माध्यमिक स्तर पर (दसवीं कक्षा) 33 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण का आयोजन किया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार दसवीं कक्षा में (सर्कल-1) लड़कियों की उपलब्धि सभी विषयों में लड़कों के बराबर पाई गई। दसवीं कक्षा के लिए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण का दूसरा चरण जिला स्तरीय नमूने के रुप में 5 फरवरी, 2018 को आयोजित किया गया।

यह सूचना मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाह ने आज राज्य सभा प्रश्न के उत्तर में दी।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More