नई दिल्ली: केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने पिछले तीन वर्षों के दौरान अपने प्रभार वाले मंत्रालयों की उपलब्धियों के बारे में आज यहां मीडिया को जानकारी दी। श्री गोयल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सात शहरों अहमदाबाद, बेंगलुरू, भुवनेश्वर, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ एवं पटना में मौजूद मीडिया से भी बातचीत की।
श्री गोयल ने बताया कि ‘सभी को सातों दिन चौबीस घंटे (24x7) किफायती एवं स्वच्छ बिजली’ मुहैया कराने के लक्ष्य को हासिल करना और राष्ट्रीय विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना ‘उज्ज्वल भारत’ के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं जो भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत के सपने को साकार करने में सहायक साबित होगा। पिछले तीन वर्षों के दौरान विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और खान मंत्रालयों ने इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।
मंत्री महोदय ने यह भी जानकारी दी कि चारों मंत्रालयों ने उज्ज्वल भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 6 बुनियादी सिद्धांतों पर काम किया है। इन बुनियादी सिद्धांतों में ये शामिल हैं- सुलभ(सुगम्य बिजली), सस्ती (किफायती बिजली), स्वच्छ (बिजली), सुनियोजित (सोच-समझकर बुनियादी ढांचा तैयार करना, भविष्य के लिए भारत को तैयार करना), सुनिश्चित (सभी के लिए निश्चित बिजली) और सुरक्षित (पारदर्शी गवर्नेंस के साथ भारत के प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाना और उनके भविष्य को सुरक्षित करना)।
श्री गोयल ने विशेष जोर देते हुए कहा कि इन चारों क्षेत्रों (सेक्टर) से संबंधित समस्त हितधारकों अर्थात केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, विद्युत क्षेत्र से जुड़े उपक्रमों (सार्वजनिक एवं निजी), खनन क्षेत्र के प्रतिभागियों एवं निवेशकों, उपभोक्ताओं, नागरिकों इत्यादि को भारत के प्रत्येक नागरिक की सेवा करने के एकमात्र उद्देश्य को ध्यान में रखकर आपस में समुचित तालमेल बैठाते हुए काम करना होगा।
इन चारों मंत्रालयों की प्रमुख उपलब्धियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए श्री गोयल ने निम्नलिखित ब्यौरा दिया :
कोयला
बिजली के लिए पर्याप्त कोयला, किल्लत से निजात पाकर अधिशेष की स्थिति सुनिश्चित करने हेतु सरकार ने वर्ष 2019-20 तक देश में 100 करोड़ टन कोयला उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2014 से लेकर अब तक के तीन वर्षों की अवधि में कोयला उत्पादन में 9.2 करोड़ टन की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2014 से पहले इतनी ही वृद्धि हासिल करने में लगभग सात वर्ष लग गये थे। जहां एक ओर वर्ष 2014 में लगभग दो तिहाई विद्युत संयंत्रों को कोयला स्टॉक की भारी किल्लत से जूझना पड़ रहा था, वहीं दूसरी ओर फिलहाल कोयले की कोई किल्लत नहीं है। राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोयला आयात में की गई कमी के जरिए 25,900 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की गई है।
‘ज्यादा बिजली के लिए कम कोयले’ के सिद्धांत के अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं। वर्ष 2016-17 में 1 केडब्ल्यूएच बिजली (विशिष्ट कोयला खपत) का उत्पादन करने के लिए 0.63 किलो कोयले का उपयोग किया गया, जबकि वर्ष 2013-14 में इसके लिए 0.69 किलो कोयले का उपयोग किया गया था। यह 8 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है। यह न केवल सस्ती, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा (बिजली) भी सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, 4 करोड़ टन कोयले के कोल लिंकेज को तर्कसंगत बनाने से लगभग 3,000 करोड़ रुपये की संभावित बचत होगी।
विद्युत
समस्त राज्यों ने ‘सभी के लिए बिजली’ समझौतों पर दस्तखत कर दिये हैं जो सहकारी संघवाद के सिद्धांत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। शक्ति (भारत में कोयले का पारदर्शी ढंग से दोहन एवं आवंटन करने की योजना) कोल लिंकेजों की नीलामी एवं आवंटन की एक परिवर्तनकारी नीति है और इससे सस्ती बिजली, कोयले तक पहुंच और कोयला आवंटन में जवाबदेही सुनिश्चित होगी। मेगा विद्युत नीति से भावी विद्युत खरीद समझौतों के लिए प्रतिस्पर्धी बोलियों का मार्ग प्रशस्त होगा और परियोजनाओं की दीर्घकालिक लाभप्रदता सुनिश्चित होगी।
अप्रैल 2014 से लेकर मार्च, 2017 तक की अवधि के दौरान पारंपरिक बिजली में 60 जीडब्ल्यू की अब तक की सर्वाधिक वृद्धि, परिवर्तनकारी क्षमता में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी और पारेषण लाइनों में एक चौथाई से भी ज्यादा की वृद्धि की बदौलत भारत अब एक ‘विद्युत अधिशेष (पावर सरप्लस) देश’ बन गया है और इसके साथ ही बिजली अथवा कोयले की कोई किल्लत नहीं है। राज्यों के लिए किफायती दरों पर अधिशेष बिजली उपलब्ध होने से ‘एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक दर’ की अवधारणा और ज्यादा मजबूत हुई। पहली बार भारत वर्ष 2016-17 में बिजली के एक शुद्ध निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आया।
उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना), जिसे वितरण क्षेत्र में एक व्यापक सुधार के रूप में लागू किया गया है, में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है और 2.32 लाख करोड़ रुपये के ‘उदय बांडों’ को जारी करने की बदौलत डिस्कॉम को लगभग 12,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस बचत से उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मुहैया कराने में मदद मिलेगी। सुधारों की बदौलत विश्व बैंक के ‘बिजली पाने में आसानी’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग वर्ष 2015 की 99वीं से सुधर कर वर्ष 2017 में 26वीं हो गई है।
सरकार ‘अंत्योदय’ से प्रेरित है, जो पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन पर आधारित है और जिसका उद्देश्य समाज के सबसे निचले तबके के अंतिम व्यक्ति को आवश्यक सुविधाएं सुलभ कराना है। इस महान दार्शनिक, मानवतावादी और राष्ट्रवादी के जन्म शताब्दी वर्ष को ‘गरीब कल्याण वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। ग्रामीण विद्युतीकरण की प्रमुख योजना (डीडीयूजीजेवाई-दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना) पर विशेष ध्यान दिया गया है। बिजली की सुविधा से वंचित शेष 18,452 गांवों (1 अप्रैल, 2015 तक की स्थिति) में से अब 4,000 से भी कम गांव इससे वंचित रह गये हैं और उनका विद्युतीकरण भी मई, 2018 तक हो जायेगा। सरकार ने न केवल प्रत्येक गांव, बल्कि प्रत्येक घर में रोशनी सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2022 तक हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। राज्यों द्वारा पेश किये गये आंकड़ों के मुताबिक लगभग 4.5 करोड़ ग्रामीण घरों में बिजली पहुंचाना अभी बाकी है।
भारत अपनी ऊर्जा दक्षता पहलों के जरिए पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा है। उजाला (सभी के लिए सस्ती बिजली के जरिए उन्नत ज्योति) के तहत 23 करोड़ से भी ज्यादा एलईडी बल्बों का वितरण किया गया है और इससे दो उद्देश्य पूरे हुए हैं – जहां एक ओर बिजली के बिलों में 12,400 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिली है, वहीं दूसरी ओर कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) के उत्सर्जन में 2.5 करोड़ टन से भी ज्यादा की वार्षिक कमी हुई है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा
भारत के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से घोषित किया है कि भारत पर्यावरण के संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, अत: यह हमारे लिए आस्था का विषय है। वर्ष 2016-17 में भारत ने वर्ष 2022 तक 175 जीडब्ल्यू नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करने के मिशन के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रतिस्पर्धी बोलियों की शुरुआत करके सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि नवीकरणीय ऊर्जा उपभोक्ताओं के लिए किफायती एवं आकर्षक साबित हो। वर्ष 2016-17 के दौरान सौर ऊर्जा (2.44 रुपये) और पवन ऊर्जा (3.46 रुपये) दोनों की ही दरें न्यूनतम स्तर पर आ गईं। एक और उल्लेखनीय उपलब्धि के तहत 2016-17 में पहली बार नवीकरणीय ऊर्जा की शुद्ध क्षमता वृद्धि पारंपरिक ऊर्जा में दर्ज की गई शुद्ध क्षमता वृद्धि के मुकाबले कहीं ज्यादा रही। पिछले वर्ष के दौरान सौर एवं पवन ऊर्जा की उत्पादन क्षमता में भी अब तक की सर्वाधिक वृद्धि देखने को मिली।
खनन
उपयुक्त नीति एवं प्रौद्योगिकी के संयोजन के जरिए सरकार ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने की एक योजना शुरू की है। राष्ट्रीय खनिज उत्खनन नीति 2016 का उद्देश्य राष्ट्रीय एयरो-भूभौतिकीय मानचित्रण परियोजना के जरिए उत्खनन में तेजी लाना है। इसके तहत वर्ष 2019 तक 27 लाख लाइन किलोमीटर हवाई-भूभौतिकीय आंकड़ों के बारे में डेटा हासिल किया जायेगा, जबकि पिछले 30 वर्षों में केवल 7 लाख लाइन किलोमीटर हवाई-भूभौतिकीय आंकड़ों के बारे में ही डेटा हासिल किया गया था। अपतटीय ब्लॉकों के आवंटन से जुड़ी विधायी रूपरेखा में संशोधन से अपतटीय खनन गतिविधि की शुरुआत हो जायेगी। 24 खनन ब्लॉकों की पारदर्शी नीलामी से खदानों की लीज अवधि के दौरान राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का राजस्व मिलने का अनुमान है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) अवैध खनन की रोकथाम करने के मामले में आकाश में मौजूद एक आंख के रूप में काम करती है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि खनन से प्रभावित लोग इस गतिविधि से अवश्य ही लाभान्वित हों, सरकार ने प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) शुरू की है, जिसके तहत 12 खनिज समृद्ध राज्यों में से 11 को पहले ही कवर किया जा चुका है। पीएमकेकेकेवाई के तहत जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) ने वर्ष 2016-17 में खनन से लगभग 7150 करोड़ रुपये एकत्रित किए हैं, जिसका उपयोग विशेषकर खनन से प्रभावित लोगों और क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा एवं कल्याणकारी लाभ सुलभ कराने में किया जायेगा।
मोबाइल एप्स के जरिये जवाबदेही एवं पारदर्शिता
सरकार सभी प्रयासों के केन्द्र में ‘उपभोक्ता सर्वोपरि है’ के सिद्धान्त के साथ पारदर्शिता एवं जवाबदेही के सर्वोच्च मानकों के तहत भी कार्य कर रही है। विभिन्न विभागों के कामकाज एवं योजनाओं की प्रगति पर नजर रखने के लिए विभिन्न एप्स को लांच करना भी इसी का हिस्सा है। पिछले वर्ष लांच किए गये कुछ एप्स में शहरी क्षेत्रों में बिजली की स्थिति और समेकित बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) की प्रगति पर नजर रखने के लिए ‘ऊर्जा’, पारेषण परियोजनाओं पर नजर रखने के लिए ‘तरंग’ एवं बिजली कटौती की सूचना के लिए ‘ऊर्जा मित्र’ शामिल हैं। चारों मंत्रालयों के सभी एप्स को18002003004 पर मिस्ड कॉल देकर डाउनलोड किया जा सकता है।
विद्युत सचिव श्री पी. के. पुजारी, कोयला सचिव श्री सुशील कुमार, खनन सचिव श्री अरुण कुमार और चारों मंत्रालयों एवं उनके अधीनस्थ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।