देहरादून: प्रदेश के सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, लघु-सिंचाई, वर्षा जल संग्रहण, जलागम प्रबन्धन, भारत-नेपाल उत्तराखण्ड नदी परियोजनाएं मंत्री सतपाल महाराज ने विधान सभा स्थित अपने कक्ष में सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक की।
नहरों की समीक्षा करते हुए दैवीय आपदा से क्षतिग्रस्त बन्द नहरों को शीघ्र चालू करने तथा इस हेतु धनराशि दैवीय आपदा मद से जिलाधिकारियों से अवमुक्त कराने हेतु प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए लोक निर्माण विभाग के कारण बन्द नहरों हेतु धनराशि लोक निर्माण विभाग से प्राप्त करने हेतु प्रमुख सचिव सिंचाई को सचिव लोक निर्माण विभाग के साथ बैठक करने के निर्देश दिये। सिंचाई मंत्री श्री महाराज द्वारा विभाग द्वारा प्रस्तावित जलाशयों आदि की योजनाओं का निर्माण पर्यटन एवं स्थानीय लोगों को रोजगार की दृष्टि करने के निर्देश दिये गये। परियोजनाओं को स्वरोजगार परक गतिविधियाँ से जोड़ने अवस्थापना विकास कार्य यथा कैफेटेरिया, गेस्ट हाउस, शौचालय भी तैयार करने के निर्देश दिये। सतपुली-पौड़ी में पर्यटन की दृष्टि से झील निर्माण की योजना तैयार करने के निर्देश दिये। जमरानी बांध परियोजना को पेयजल एवं सिंचाई की दृष्टि से महत्वकांक्षी योजना बताते हुए इसके निर्माण हेतु उत्तरप्रदेश के साथ शीघ्र एमओयू करने हेतु प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिये। उत्तर प्रदेश के साथ शीघ्र परियोजनाओं के बंटवारे को पूर्ण करने हेतु सचिव स्तर पर वार्ता करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी शीघ्र मुलाकात करेंगे।
सिंचाई मंत्री द्वारा प्रदेश में कृषि उपज तथा आवागमन हेतु भविष्य में रोपवे तथा फनीकूलर के निर्माण हेतु आवश्यक तथा तकनीकी दिशा में कार्य करने के निर्देश दिये। नमामी गंगे परियोजना में सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित किये जा रहे घाटों-शमशान घाटों आदि का निर्माण समय सीमा में पूर्ण गुणवत्ता के साथ करने के निर्देश दिये गये। भारत सरकार में सिंचाई विभाग के लम्बित प्रकरणों पर एक नोट तैयार करने के निर्देश प्रमुख सचिव आनन्दवर्द्धन को दिये गये। मंत्री द्वारा उक्त प्रकरणों पर शीघ्र ही केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती से मुलाकात करने की जानकारी दी गयी इससे पूर्व सिंचाई विभाग से सम्बन्धित परियोजनाओं के प्रस्ताव तैयार कने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि प्रायः यह देखा गया है कि ऊँची पहुँच एवं धनबल के बल पर कतिपय कार्मिक सुविधाजनक स्थानों में सम्बद्धीकरण पर बने रहते हैं, जिसके कारण उनके मूल नियुक्ति वाले स्थान पर कार्य प्रभावित होता है, जिससे कार्मिकों की सेवाओं का लाभ भी स्थानीय जनमानस को नही मिल पाता है, जिससे जन आक्रोश बढ़ता है। सिंचाई मंत्री ने सम्बद्धीकरण पर तैनात कार्मिकों को उनके मूल नियुक्ति वाले स्थान पर तुरन्त वापस भेजने के निर्देश दिये। पांच वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मियों का स्थानान्तरण पूर्व में प्रचलित स्थानान्तरण नियमावली से करने के निर्देश दिये। सिंचाई मंत्री श्री महाराज ने भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के आरोप लगे कार्मिकों के विरूद्ध कार्रवाई कर प्रगति से उन्हें उपलब्ध कराने के निर्देश दिये।
सिंचाई मंत्री ने वर्ष 2013-14 के अन्तर्गत स्वीकृत योजनाओं अवशेष धनराशि अवमुक्त न होने के कारण, लम्बित योजनाओं हेतु स्वीकृत धनराशि अवमुक्त न होने का कारण तथा ऐसी योजनाओं पर शत्प्रतिशत कार्य पूर्ण हो जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए विस्तार से रिपोर्ट मांगी।
उन्होंने लघु सिंचाई की समीक्षा के दौरान जल स्रोत विहीन स्थान में गूलों के निर्माण में तथा आबादी विहीन गांवों में योजनाओं के चयन पर आपत्ति जताते हुए विस्तार से विवरण मांगा। पौड़ी जनपद की उपयोग में न आने वाली परियोजना मरोड़ा(कलजीखाल) हाईड्रम और उमरासू नहर को उपयोग न लाने पर कड़ी आपति जताते हुए विवरण मांगा। बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई आनन्दवर्द्धन तथा मुख्य अभियन्ता आर.चालीस गावरकर, मुख्य अभियन्ता लघु सिंचाई मोहम्मद उमर सहित राजकीय सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग के समस्त अधीक्षण अभियन्ता एवं अधिशासी अभियन्ता उपस्थित थे।