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विवादित फिल्म ‘नानक शाह फकीर’ को SC से मिली हरी झंडी, लेकिन नहीं होगी पंजाब में रिलीज

मनोरंजन

सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद भी विवादित फिल्म ‘नानक शाह फकीर’ पंजाब में रिलीज नहीं हो पाएगी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विशेष सचिव गुरकिरत कृपाल ने बताया कि पंजाब सरकार ने नानक शाह फकीर मूवी पंजाब में रिलीज नहीं करने का फैसला लिया है। पंजाब सरकार का ये फैसला फिल्म को हरी झंडी दिए जाने के कुछ ही घंटों बाद आया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विवादित फिल्म नानक शाह फकीर के पूरे भारत में 13 अप्रैल को रिलीज किये जाने का रास्ता साफ कर दिया। सिखों के पहले गुरू, गुरू नानक देव के जीवन पर आधारित इस फिल्म के रिलीज होने की राह में रोड़ा अटकाने पर शीर्ष अदालत ने शीर्ष सिख निकाय शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की आलोचना की।

सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) जैसे वैधानिक निकाय ने एक बार फिल्म के प्रदर्शन को हरी झंडी दे दी तो किसी व्यक्ति को इसके रिलीज में रूकावट डालने का अधिकार नहीं है। पीठ ने सभी राज्यों को कानून व्यवस्था बनाये रखने और बिना किसी बाधा के फिल्म का प्रदर्शन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता एवं अवकाश प्राप्त नौसेना अधिकारी तथा फिल्म के निर्माता हरिंदर एस सिक्का ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार की सुरक्षा का आग्रह किया था।

अकाल तख्त ने लगाई रोक
वहीं सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने विवादित फिल्म ‘नानक शाह फकीर’ के प्रदर्शन को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि हम लोगों ने विवादित फिल्म नानक शाह फकीर को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। फिल्म को प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिख गुरू को जीवित स्वरूप में दिखाये जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। गुरू और उनके परिवार के लोगों की भूमिका अदा करने वाले लोगों के मुद्दे का अभी तक निराकरण नहीं किया गया हैं। नानकशाह फकीर का प्रदर्शन 13 अप्रैल को किया जाना है।

‘सिख सेंसर बोर्ड की स्थापना की जाएगी’
जत्थेदार ने कहा कि सिख सेंसर बोर्ड की स्थापना की जाएगी और सिने निर्माताओं के लिए सिख और सिख धर्म से संबंधित किसी भी योजना पर काम करने से पहले बोर्ड से अनुमति लेना आवश्यक किया जाएगा। ज्ञानी गुरबचन ने बताया कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, दिल्ली सिख गुरूद्वारा मैनेजमेंट कमेटी, संत समाज और अन्य को सिख सेंसर बोर्ड का सदस्य बनाया जाएगा। (OneIndia)

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