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विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों को देशभक्‍ति की भावना से ओतप्रोत करना समय की आवश्‍यकता- श्री प्रकाश जावड़ेकर

विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों को देशभक्‍ति की भावना से ओतप्रोत करना समय की आवश्‍यकता- श्री प्रकाश जावड़ेकर
देश-विदेश

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज यहां विद्या वीरता अभियान की शुरूआत की। इस अवसर पर रक्षा राज्‍यमंत्री डॉ. सुभाष रामाराव भामरे, लेखक श्री तरूण विजय, थल सेना, वायु सेना और नौसेना के वरिष्‍ठ अधिकारी क्रमश: ले.जन. सरत चंद्र, एयर मार्शल एच.एन. भागवत और रियर एडमिरल के.के. पांडेय तथा परमवीर चक्र प्राप्‍त ग्रेनेडियर संजय कुमार और सूबेदार योगेन्‍द्र सिंह उपस्‍थित थे। परमवीर चक्र विजेताओं पर फोटो पोट्रेट और पुस्‍तक भी जारी की गई और विश्‍वविद्यालयों के कुलपतियों को प्रस्‍तुत की गई।

अवसर के महत्‍व को रेखांकित करते हुए श्री जावड़ेकर ने हमारे सशस्‍त्र बलों द्वारा अत्‍यंत कठिनाई में राष्‍ट्र की सेवा करने में उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। मंत्री महोदय ने कहा कि स्‍वतंत्रता के बाद यही हमारे असली नायक हैं, जबकि स्‍वतंत्रता सेनानियों ने स्‍वतंत्रता के लिए अत्‍याचारों का मुकाबला किया और अपना बलिदान दिया। सत्‍याग्रह के समय से ही स्‍वतंत्रता सेनानी हमारे स्‍वभाविक महानायक रहे हैं, जिनके प्रयासों से भारत को विदेशी शासन से मुक्‍ति मिली।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि इस अभियान के जरिए देश भर के विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों में ‘वीरता की दीवार’ बनाई जाएगी। इसके लिए स्‍वैच्‍छिक आधार पर छात्र और अध्‍यापक वित्‍त का प्रबंध करेंगे। उन्‍होंने कहा कि इस दीवार का आकार 15X20 फीट होगा, जिस पर सभी 21 परमवीर चक्र विजेताओं के पोट्रेट लगाए जाएंगे। मंत्री महोदय ने आशा व्‍यक्‍त की कि इससे युवाओं में देशभक्‍ति की भावना संचारित होगी।

मंत्री महोदय ने कहा कि इस तरह के आयोजन से हमारे विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों का माहौल बदलेगा। इसका उद्देश्‍य हमारे युवाओं में देशभक्‍ति की भावना को दोबारा जीवित करना है। उन्‍होंने कहा कि हम किसी को देशभक्‍ति की सीख देने में रुचि नहीं रखते, क्‍योंकि यह स्‍वत: स्‍फूर्त भावना होती है, परंतु इसको दोबारा उभारने की जरूरत है। श्री जावड़ेकर ने कहा कि हम इसे किसी पर थोपना नहीं चाहते।

आयोजन में विश्‍वविद्यालयों के कई कुलपति, विद्वान, पूर्व सैनिक और स्‍कूली बच्‍चे उपस्‍थित थे। परमवीर चक्र विजेता श्री संजय कुमार और श्री योगेंद्र सिंह यादव ने अपने युद्धकालीन स्‍मृतियों और अनुभवों को उपस्‍थितजनों के साथ साझा किया और युवाओं में देशभक्‍ति की भावनाओं का निरूपण किया।

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