नई दिल्लीः शिपिंग मंत्रालय द्वारा सीमेंस और इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (आईआरएस) के सहयोग से मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम ‘सागरमाला’ के तहत विश्वस्तरीय समुद्री एवं जहाज निर्माण उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमएस) स्थापित किया जा रहा है। सीईएमएस के दो परिसर विशाखापत्तनम एवं मुंबई में होंगे। ये परिसर उद्योग जगत के लिए प्रासंगिक माने जाने वाला कौशल विकास सुनिश्चित करेंगे, विद्यार्थियों को बंदरगाह एवं समुद्री क्षेत्र से संबंधित इंजीनियरिंग तथा तकनीकी कौशल से युक्त करेंगे और भारत सरकार के महत्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम में अहम योगदान करेंगे। शिपिंग, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी ने पिछले सप्ताह कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस आशय की घोषणा की थी।
सीईएमएस की स्थापना जहाज डिजाइन, निर्माण, परिचालन एवं रख-रखाव, मरम्मत तथा जीर्णोद्धार (एमआरओ) से जुड़े कार्यों में घरेलू कौशल आवश्यकता पूरी करने के उद्देश्य से की जा रही है। इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख केंद्र के रूप में उभरना और बंदरगाह एवं समुद्री क्षेत्र में कौशल विकास के लिए पड़ोसी देशों जैसे कि श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया तथा इंडोनेशिया से विद्यार्थियों को आकर्षित करना है।
यह पहल समुद्री क्षेत्र में कौशल विकास के प्रयासों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ में भी सहायक साबित होगी। सीईएमएस अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए जहाज एवं मत्स्य-नौकाएं बनाने और अन्य सहायक विनिर्माण क्षेत्रों के लिए कुशल श्रमबल उपलब्ध कराएगा।
निजी क्षेत्र की कंपनी सीमेंस इस केंद्र के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता एवं 87 फीसदी वित्त पोषण सुलभ करा रही है। इस केन्द्र की स्थापना पर 766 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सीमेंस पहली बार भारत में इस तरह का नि:स्वार्थ अनुदान दे रही है।
यह उम्मीद की जा रही है कि सीईएमएस बंदरगाह एवं समुद्री क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास के एक वैश्विक केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आएगा और इसके साथ ही यह केन्द्र भारत के जहाज निर्माण एवं मरम्मत उद्योग के लिए कुशल श्रमबल उपलब्ध कराएगा।
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