नई दिल्ली: विश्व होम्योपैथी दिवस पर आज नई दिल्ली में दो दिवसीय सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह में आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) श्री श्रीपद येस्सो नाइक मुख्य अतिथि थे। समारोह की अध्यक्षता सांसद और आयुष मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के सदस्य डॉ. मनोज रजोरिया ने की। विश्व होम्योपैथी दिवस होम्योपैथी के जन्मदाता जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिस्टियानी फ्रेडरिक सैमुएल हनिमैन की 262 वीं जयंती के उपलक्ष में आयोजित किया गया। डॉ. क्रिस्टियानी फ्रेडरिक सैमुएल हनिमैन महान विद्वान, भाषाविद और प्रख्यात वैज्ञानिक थे। सम्मेलन का थीम होम्योपैथी में अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाना था। सम्मेलन का आयोजन आयुष मंत्रालय की केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा किया गया। इस अवसर पर आयुष मंत्री ने हनिमैन के योगदान और उनके द्वारा प्रकृति के अचूक कानून के आधार पर चिकित्सा व्यवस्था की खोज करने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय आयुष प्रणाली में और अधिक साक्ष्य लाने और अंतर्राष्ट्रीय मान्य साधनों से प्रणाली को वैध बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने विश्वसनीय होम्योपैथी अनुसंधान में सीसीआरएच द्वारा लगाई गई छलांग की सराहना की। उन्होंने शिष्टमंडल को बताया कि सीसीआरएच ने क्वांटम भौतिकी जैवइंजीनियरिंग, वाइरौलॉजी, रसायन विज्ञान और वनस्पति विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य के लिए प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों से सहयोग किया है। इस काम में न केवल होम्योपैथी को मान्यता मिली है बल्कि संबद्ध वैज्ञानिकों का ध्यान भी इस उपचार प्रणाली की और गया है। हमें होम्योपैथी और नैनोविज्ञान तथा जैनोमिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर पहली बार सीसीआरएच ने होम्योपैथी अनुसंधान में योगदान करने वालों को पुरस्कार प्रदान किया। श्री श्रीपद नाइक ने श्रेष्ठ शोध के लिए लाइफ टाइम पुरस्कार डॉ. ए. आर. खुदाबक्श, श्रेष्ठ शिक्षक के लिए प्रोफेसर चतुर्भुज नायक, श्रेष्ठ शोध पत्रों के लिए डॉ. कुसुम एस. चंद और डॉ. अर्चना नारंग, युवा वैज्ञानिकों के लिए डॉ. सी एल पाटिल तथा डॉ. देवदत्त नायक को पुरस्कृत किया। सम्मेलन में आयुष मंत्री ने होम्योपैथी में गुणवत्ता सम्पन्न एमडी डिसरटेशन के लिए पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की।
अपने संबोधन में श्री मनोज रजोरिया ने होम्योपैथी के समग्र विकास के लिए गुणवत्ता सम्पन्न शिक्षा और शोध की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाने का प्रस्ताव है।
होम्योपैथिक अस्पतालों के एनएबीएच प्रमाणन सहित उच्च गुणवत्ता युक्त अनुसंधान माध्यमों द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारियों में होम्योपैथी की भूमिका के महत्वपूर्ण कारक सहित अनुसंधान करने के लिए कॉलेज के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने तथा होम्योपैथिक अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रों को विचार-विमर्श के लिए पांच सत्रों में विभक्त किया गया। प्रमुख सत्रों की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संसाधन व्यक्तियों द्वारा की गई। इनका मुख्य उद्देश्य होम्योपैथिक अनुसंधान की जटिलताओं को समझाने के लिए सभी हितधारकों को शिक्षित करना तथा सभी प्रकार के प्रतिनिधियों को गुणवत्तायुक्त अनुसंधान माहौल के बारे में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराना था। इन प्रतिनिधियों में अनुसंधानकर्ता, चिकित्सक नीति निर्माता, चिकित्सा छात्र और होम्योपैथिक उद्योग के प्रतिनिधि शामिल थे।
आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री ए.के. गनेरीवाला और संयुक्त सचिव श्री पी. एन. रंजीत कुमार, पद्मश्री डा. वी.के. गुप्त, अध्यक्ष वैज्ञानिक सलाहकार समिति, सीसीआरएच, डॉ. लेक्स रूटेन (नीदरलैंड्स), डॉ. आइजैक गोल्डन (ऑस्ट्रेलिया) और डा. मार्टिअन ब्रांड्स (नीदरलैंड्स) सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों भी इस आयोजन में शामिल हुए।