नई दिल्ली: भारत और चिली ने भारत-चिली पीटीए के विस्तार पर समझौते के साथ कारोबारी संबंधों में एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया। इस समझौते पर 6 सितंबर, 2016 को हस्ताक्षर हुए थे और इसे अब 16 मई, 2017 को लागू किया जा रहा है। केंद्रीय कैबिनेट मंत्रिमंडल ने अप्रैल, 2016 में पीटीए के विस्तार को मंजूरी दे दी थी।
विस्तारित पीटीए से दोनों पक्षों को खासा फायदा होगा, क्योंकि इससे दोनों तरफ की बड़ी संख्या में टैरिफ लाइनों को पेशकश की जाने वाली रियायतों का दायरा बढ़ जाएगा, जिससे ज्यादा द्विपक्षीय कारोबार की सुविधा मिलेगी।
भारत और चिली ने पहले ही 8 मार्च, 2006 को तरजीही कारोबार समझौते (पीटीए) पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जो अगस्त, 2007 से प्रभाव में आ गया था। मूल पीटीए में टैरिफ लाइनें सीमित संख्या में थीं, जबकि अब दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे को दी जाने वाली टैरिफ रियायतों को बढ़ा दिया है। भारत द्वारा चिली को पेशकश की जाने वाली सूची में सिर्फ 178 टैरिफ लाइनें शामिल हैं, जबकि चिली की पेशकश सूची में 8 अंक के स्तर की 296 टैरिफ लाइनें शामिल हैं।
विस्तारित पीटीए का दायरा ज्यादा है, जबकि चिली ने भारत को 30 फीसदी से 100 फीसदी तक के मार्जिन ऑफ प्रिफरेंस (एमओपी) के साथ 1798 टैरिफ लाइनों पर रियायतों की पेशकश की है। वहीं भारत ने चिली को 8 अंकों के स्तर पर 10 फीसदी से 100 फीसदी के दायरे में एमओपी के साथ 1031 टैरिफ लाइनों पर रियायतों की पेशकश की है। जब बातचीत पूरी हुई थी, तो ये टैरिफ लाइनें एचएस 2012 पर आधारित थीं। 1 जनवरी, 2017 से प्रभावी एचएस 2017 नोमेनक्लेचर के लागू होने के साथ दोनों ही पक्षों ने अधिसूचना जारी करने के लिए एचएस 2017 नोमेनकल्चर के अनुरूप टैरिफ रियायतों से जुड़े अनुबंधों में बदलाव किया है।
एलएसी क्षेत्र में ब्राजील, वेनेजुएला और अर्जेंटीना के बाद भारत का चौथा बड़ा कारोबारी साझेदार है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 के दौरान भारत का द्विपक्षीय कारोबार बढ़कर 364.645 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया, जबकि 2011-12 में यह 265.535 करोड़ डॉलर के स्तर पर था। हालांकि 2015-16 में द्विपक्षीय कारोबार 27.60 घट गया और 67.932 करोड़ डॉलर निर्यात और 196.067 करोड़ डॉलर आयात के साथ कुल कारोबार 263.999 करोड़ डॉलर रहा। द्विपक्षीय कारोबार में गिरावट की मुख्य वजह कच्चे तेल और अंतरराष्ट्रीय कमोडिटीज की कीमतों में नरमी रही।