नई दिल्लीः दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की मार डीजल से मिलने वाले राजस्व पर भी पड़ रही है। प्रदूषण के चलते समय-समय पर डीजल जेनरेटर पर पाबंदी और डीजल वाहनों को दिल्ली में नियंत्रित करने से डीजल की खपत में कमी आ रही है। इससे डीजल से होने वाली वैट वसूली भी सुस्त है। दिल्ली सरकार के ताजा आंकडों के मुताबिक वर्ष 2016-17 में डीजल की खपत 12.67 लाख टन रही, जो वर्ष 2015-16 की खपत 15.08 लाख टन से करीब 19 फीसदी कम है।
दिल्ली पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के महासचिव निशीथ गोयल ने कहा कि दिल्ली में फिलहाल हर माह 11-12 करोड़ लीटर डीजल की बिक्री होती है जबकि साल भर पहले यह आंकड़ा 13 से 14 करोड़ लीटर था। गोयल ने कहा कि पिछले साल से प्रदूषण के कारण दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर सख्ती और पुराने डीजल वाहनों को हटाने से डीजल की खपत घट रही है। इसके अलावा डीजल जेनरेटर पर पाबंदी से भी डीजल की मांग घटी है।
डीजल की खपत घटने का असर वैट वसूली पर भी दिख रहा है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद वैट वसूली में बड़ा हिस्सा डीजल की बिक्री से मिलने वाले कर का था। जुलाई में वैट से दिल्ली सरकार को करीब 800 करोड़ रुपए मिले थे, अगस्त में 576 करोड़, सितंबर में 500 करोड़ रुपए और दिसंबर में नवंबर के लिए 497 करोड़ रुपए वैट के रूप में वसूले गए। अगर डीजल की कीमतों में तेजी का रुख न होता तो वैट संग्रह में और भी कमी आती। वैट विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक वैट वसूली में गिरावट की वजह बड़ी डीजल की खपत घटने के साथ शराब की बिक्री भी सुस्त होना है। इस बीच दिल्ली में डीजल का भाव 60.49 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है।
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