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‘शहरी क्षेत्रों के लिए त्‍वरित जन परिवहन प्रणालियां-अवसर और चुनौतियों’ पर प्रथम क्षेत्रीय सम्‍मेलन कोलकाता में शुरू

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नई दिल्लीः दिल्‍ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक श्री मंगू सिंह ने कहा कि टियर-II शहरों में मेट्रो परिवहन का विस्‍तार करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि यह आवश्‍यक नहीं है कि हर शहर में मेट्रो परिवहन प्रणाली हो। इसके बजाय हर शहर की जरूरतों पर ही इसे आधारित होना चाहिए। इस संबंध में उन्‍होंने कहा कि निगम ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के लिए वैकल्पिक परिवहन प्रणाली की सिफारिश की है। श्री सिंह आज कोलकाता में ‘शहरी क्षेत्रों के लिए त्‍वरित जन परिवहन प्रणाली (एमआरटीएस) – अवसर एवं चुनौतियों’ पर आयोजित प्रथम क्षेत्रीय सम्‍मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे।

नीति आयोग के सलाहकार श्री राकेश रंजन ने कहा कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में एमआरटीएस की अहम भूमिका है, जो मेट्रो रेल से परे है। हालांकि, एमआरटीएस में अपेक्षा से कम निवेश होने से संबंधित मसलों को सुलझाने की जरूरत है। श्री राकेश रंजन ने शहरी परिवहन प्रणाली में 100 हजार करोड़ रुपये के निवेश की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए मेट्रो रेल प्रणाली की वित्तीय लाभप्रदता के बारे में भी विस्‍तार से बताया। अपने संबोधन में श्री सून-सिक ली ने कहा कि एआईआईबी भारत के लिए ऋण राशि को मौजूदा 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 2 अरब अमेरिकी डॉलर करने जा रहा है। भारत एशियन इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर इन्वेस्‍टमेंट बैंक (एआईआईबी) का एक संस्‍थापक सदस्‍य है।

वित्त मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव (बुनियादी ढांचा, नीति एवं वित्त) डॉ. कुमार वी. प्रताप ने कहा कि एमआरटीएस की दक्षता और पर्यावरणीय लाभ को देखते हुए यह प्रणाली आवश्‍यक है क्‍योंकि इसकी वजह से अपेक्षाकृत कम प्रदूषण होता है और भीड़-भाड़ भी कम हो जाती है। अत: एमआरटीएस कहीं ज्‍यादा दक्ष एवं किफायती सेवाएं मैहुया कराती है जो सरकार के मूल मंत्र के अनुरूप है। उन्‍होंने कहा कि व्‍यक्तिगत परिवहन की तुलना में एमआरटीएस प्रति यूनिट ऊर्जा खर्च करके कहीं ज्‍यादा लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती है। अत: परिवहन के अन्‍य साधनों की तुलना में एमआरटीएस आर्थिक दृष्टि से कहीं ज्‍यादा लाभप्रद है। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव (शहरी परिवहन) श्री मुकुंद कुमार सिन्‍हा ने कहा कि अगले पांच वर्षों के दौरान एमआरटीएस में लगभग 4 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्‍यकता है।

 दिल्‍ली मेट्रो रेल नि‍गम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री मंगू सिंह ने यह भी कहा कि भारत में सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक विकास के लिए एक अच्‍छी परिवहन प्रणाली को स्‍थापित करना अत्‍यंत आवश्‍यक है। हालांकि, विकास सुविधाओं के अनुरूप संसाधन होना भी जरूरी है, ताकि प्रौद्योगिकी को हमेशा अद्यतन रखा जा सके। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत के मौजूदा हरित क्षेत्र परिदृश्‍य में एक टिकाऊ शहरी परिवहन प्रणाली को स्‍थापित करना भी आवश्‍यक है। शहरीकरण विकास का स्‍वाभाविक केन्‍द्र है। उन्‍होंने कहा कि एमआरटीएस में निवेश से प्रदूषण के साथ-साथ दुर्घटनाओं की संख्‍या भी घट जाएगी। उन्‍होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा पर अपेक्षाकृत ज्‍यादा जोर देने वाला डीएमआरसी बांग्‍लादेश और इंडोनेशिया को उनकी संबंधित मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए परामर्श सेवाएं मुहैया करा रहा है।

कोलकाला मेट्रो रेल निगम के प्रबंध निदेशक श्री परशुराम सिंह ने कोलकाता में मेट्रो रेल के विस्‍तार की राह में मौजूद बाधाओं का उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि मेट्रो रेल को अपने विस्‍तार के दौरान अपने रूट में आने वाली ऐतिहासिक इमारतों को भी ध्‍यान में रखना पड़ता है। इसके अलावा, कोलकाता मेट्रो रेल के विस्‍तार के दौरान इसके रूट में पड़ने वाली 1000 झुग्‍गी-झोपडि़यों को हटाने की जरूरत को भी ध्‍यान में रखना पड़ रहा है।

यह सम्‍मेलन वित्त मंत्रालय, एआईआईबी, एसोचैम और विकासशील देशों के लिए अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आरआईएस) द्वारा संयुक्‍त रूप से आयोजित किया गया।

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