नई दिल्ली: आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने शहरी मिशनों-प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के त्वरित कार्यान्वयन हेतु रणनीति एवं आगे बढ़ने के लिए राष्ट्रीय परामर्श हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन पिछले शुक्रवार को यहां किया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता आवास एवं शहरी मामलों के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने किया जिसमें करीब 170 प्रतिनिधियों जिसके अंतर्गत राज्यों के प्रधान सचिव (शहरी विकास), एसबीएम के राज्यों के मिशन निदेशकों, नगर निगम कमिश्नरों और 5 लाख या उससे ज्यादा आबादी वाले शहरों के वरिष्ठ अधिकारियों और एनसीआर के नजदीक के शहरों के अधिकारियों के अलावा मंत्रालय के सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए निम्नलिखित रणनीति अपनाने का सुझाव दिया गया है:-
- राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को आवश्यक भूमि सुधारों को लागू करने की आवश्यकता है ताकि लाभार्थियों के पास वैध भूमि दस्तावेज सुनिश्चित किया जा सके (भूमि पट्टा/भूमि हक)
- राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों में अनुमोदन और घर बनाने हेतु अनुमति के लिए एकल-विंडो समयबद्ध निकासी प्रणाली को लागू किया जाए
- राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों में आईएसएसआर के तहत स्लम पुनर्विकास योजनाओं के लिए कार्ययोजना तैयार किया जाए।
- राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों में लोगों को कम-से-कम विस्थापित कर भूमि का ज्यादा-ये-ज्यादा उपयोग करने हेतु एक कार्ययोजना तैयार की जाए।आईएसएसआर योजनाओं को उपयोगी बनाने के लिए अतिरिक्त एफएआर एवं टीडीआर जैसे प्रोत्साहन दिए जायें।स्लम में रहने वाले लोगों को आईएसएसआर योजनों में घर देने से पहले अच्छे किराए के घर उपलब्ध कराये जायें।
- किफायती घरों को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को समय पर भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु भूमि का संग्रह करना चाहिए ताकि समय पर योजनाओं को लागू करते वक्त इसमें कठिनाई न उपस्थित हो सके।
- आमलोगों तक घरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को अपने राज्यों की नीतियों में बदलाव लाते हुए नये आठ पीपीपी माडलों को अपनाया जाना चाहिए।
- राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को सीएलएसएस वर्टिकल को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीति बनानी चाहिए। एमआईजी सेक्टर में बढ़ती मांग को देखते हुए, कारपेट एरिया को बढ़ाना चाहिए (एमआईजी-1 के लिए 120 वर्गमीटर एवं एमआईजी-2 के लिए 150 वर्गमीटर)। राज्यों को शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, अर्धसैनिक बलों, पुलिस विभागों के लोगों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों सीएलएसएस वर्टिकल के कार्यों की प्रगति पर निगरानी रखने के लिए एसएलबीसी एवं डीएलबीसी के साथ मिलकर काम करेगी।
- राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को 16 वैकल्पिक अभिनव आधुनिक, दीर्घकालिक, हरित और आपदा प्रतिरोधी प्रौद्योगिकी को चिन्हित कर अपनाना होगा और इसके लिए 7 प्रौद्योगिकियों के एसओआर पहले ही जारी किए जा चुके है। राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को एएचपी और आईएसएसआर वर्टिकल के तहत गुणवत्तायुक्त घरों के निर्माण में तेजी लाने के लिए इन तकनीकों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
- मंत्रालय ने सामूहिक स्तर पर घरों के निर्माण हेतु बेहतरीन प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने के लिए वैश्विक आवास निर्माण प्रौद्योगिकी (जीएचसीटीसी) को लाने का प्रस्ताव है। इसके तहत सभी उद्यमियों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, संस्थानों, शिक्षाविदों तथा अन्य हितधारकों से भारत में आवास विकास के भविष्य में योगदान करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किया जाना है। इससे आगे बढ़ते हुए मंत्रालय ने सही प्रौद्योगिकी की पहचान करने हेतु सभी राज्यों/क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी प्रदर्शित करने का प्रस्ताव है।
आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय शहरों में रहने वाले गरीब लोगों के साथ-साथ स्लम में रहने वाले लोगों को पक्का घर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का कार्यान्वयन कर रही है। अब तक मिशन शहरों के तहत संबंधित राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में लगभग 1.2 करोड़ घरों की मांग का मूल्यांकन किया गया है। सरकार की मंशा है कि शहरों में रहने वाले सभी गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराया जाए इसके लिए राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की भागीदारी भी सुनिश्चित कर रही है। 25 जून 2015 को इस योजना की शुरूआत से अब तक करीब 30.81 लोख घरों के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत केन्द्रीय सहायता राशि स्वीकृत कर चुकी है।अभी 15.65 लाख घर बनाये जा रहे हैं जिसमें करीब 4.13 लाख घरों का निर्माण किया जा चुका है जबकि बचे हुए घरों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस कार्यशाला का उद्देश्य राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को एएचपी एवं आईएसएसआर योजनाओं की रूपरेखा बनाना एवं उसे लागू करने के लिए संबंधित तैयारी करना भी है।
राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के बीच पारस्परिक सहयोग बढ़ाने के लिए गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यों द्वारा प्रस्तुतीकरण दिए गये थे। किफायती आवास के लिए निजी क्षेत्र के परिप्रेक्ष्य पर भी विचार-विमर्श किया गया था और जिसका नेतृत्व क्रेडाई और नारडेको जैसी संस्थाओं के माध्यम से किया गया।