देहरादून: ‘‘विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण देना हम सबका उत्तरदायित्व है, क्योंकि विद्यार्थियों में ही देश का भावी भविष्य छिपा है’’ यह बात शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने शिक्षा निदेशालय में ‘कोर्पोरेट सोशियल रिस्पांसबिल्टी एण्ड स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चर’ विषयक गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बतौर मुख्य अतिथि कही।
श्री पाण्डेय ने दीप प्रज्जवलित कर गोष्ठी का उद्घाटन किया। उन्होने कहा कि विद्यार्थियों को विद्यालय में बेहतर वातावरण देना सारे समाज का दायित्व है जो उन्हे शिक्षा मंत्री के रूप मे आह्वान के बाद देखने को मिला। उन्होने शासकीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास में सहभागिता निभाने वाले उद्योग समूहों के सदस्यों का साधुवाद किया। उन्होने कहा कि शासकीय विद्यालयों में प्रायः गरीब अभिभावकों के बच्चे शिक्षा अध्य्यन कर रहे हैं, अतः ऐसे विद्यालयों को अच्छे विद्यालय के समकक्ष लाने का दायित्व हम सबका है। शिक्षा मंत्री ने कहा, कि उनका पहला संकल्प समस्त विद्यालयों को टाट पट्टी मुक्त करना है। दूसरा संकल्प शासकीय विद्यालयों को आधुनिक तकनीकि से युक्त करने के लिए आवश्यक उपकरण यथा एल.ई.डी, कम्प्यूटर आदि उपकरणों की व्यवस्था करनी है। उन्होने विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए शत्प्रतिश्त विद्यालयों में टी.वी लगाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा नई-नई खोजों की जानकारी देने के लिए स्कूलों में व्यवस्था करने के आवश्यकता बताई। उन्होने स्टेªट प्रौजेक्ट निदेशक सर्वशिक्षा अभियान को निर्देश दिय,े कि समस्त विद्यालय प्रबन्धन अध्यक्षों को पत्र भेजें, कि वे विद्यालय में प्राप्त होने वाली सम्पत्तियों की सुरक्षा करें। उन्होने इसके लिए विद्यालयों में चाहरदिवारी एवं चैकीदारी की भी व्यवस्था का आश्वासन दिया। उन्होने विश्वास व्यक्त किया कि वे उद्योग समूह एवं लोगों के सहयोग से शासकीय विद्यालयों में ऐसा माहौल बनायेगें, जिससे अभिभावकों का रूझान शासकीय स्कूलों की ओर होगा। उन्होने चिंता व्यक्त की, कि वर्तमान में शासकीय अध्यापकों के बच्चे भी प्राईवेट स्कूलों में अध्य्यन कर रहे हैं। उन्होने बड़ी संख्या में उपस्थित उद्योग समूह के सदस्यों का आह्वान किया कि वे शासकीय विद्यालयों में अध्य्यनरत गरीब परिवार के बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण प्रदान करने की सरकार की मंशा में बढ-चढकर अपनी भागीदारी निभायें। उन्होने कहा कि वर्तमान में लगभग 8 हजार विद्यालय फर्नीचर विहीन है, यद्यपि राज्य सरकार अपने संसाधनों से विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाएं विकसित करता रहता है, किन्तु विद्यालयों की संख्या के अनुपात में यह काफी कम है। उन्होने तीन-चार माह में एक से बारह कक्षा तक के विद्यालयों को टाट पट्टी मुक्त करने के संकल्प को पूरा करने में सहयोग का आह्वान किया। उन्होने उद्योगपतियों द्वारा विद्यालय में पठन-पाठन की बेहतरी के लिए प्राप्त सुविधाओं का स्वागत करते हुए तदालोक में कार्रवाई करने के निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को दिये। उन्होने शिक्षा को समाज का मुख्य अंग बताते हुए उपस्थित उद्योग समूह के सदस्यों से शिक्षा के क्षेत्र में बढ-चढकर योगदान का आह्वान किया। उन्होने कहा कि शिक्षा के बाजारीकरण के कारण अभिभावक प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों को अध्य्यन कराने हेतु बेबस है, जिसको देखते हुए उनका प्रयास है, कि प्रदेश में शिक्षा की बुनियाद को मजबूत बनाया जाये, जिससे आम जन का रूझान शासकीय स्कूलों के प्रति बढे। उन्होने विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करने वाले समाज के लोगों को भी अपने आस-पास स्थित स्कूलों में भ्रमण कर छात्रों में प्रेरणा भरने का आह्वान किया। उन्होने कहा कि वे शिक्षा विभाग को एक चुनौती के रूप में स्वीकारते हुए उद्योग समूह के सदस्यों से सहयोग की अपील करते हैं। शिक्षा मंत्री के आह्वान पर उद्योग समूह द्वारा उन्ही के क्षेत्रों में बैठक करने की अपेक्षा पर शिक्षामंत्री द्वारा 19 मई को सिडकुल हरिद्वार, 23 मई को सिडकुल उधमसिंहनगर तथा 24 को हल्द्वानी में बैठक की तिथि तय की गई, जिसमें क्षेत्र के उद्योग समूह के सदस्य शामिल होंगे।
पूर्व सांसद बलराज पासी ने कहा कि श्री पाण्डेय का मंत्रालय शिक्षा विभाग चुनौतीपूर्ण विभाग है, जिसके कारण उनकी जिम्मेदारी भी अपेक्षाकृत अधिक हो जाती है उन्होने कहा कि उन्होने स्वंय सरकारी स्कूलों में अध्य्यन किया है तथा उनके देखते-देखते वर्तमान में सरकारी स्कूलों में बच्चों का प्रत्शित घटता जा रहा है, जो चिंता का विषय है। उन्होने कहा कि शिक्षा मंत्रालय का प्रयास है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी अवस्थापना सुविधाओं के साथ-2 अध्यापन का कार्य भी गुणवत्तायुक्त हो, जिससे बच्चों में सरकारी स्कूलों के प्रति रूझान बढे। उन्होने कई प्रसिद्ध छात्रों के नाम गिनाते हुए कहा, कि उनकी शिक्षा भी सरकारी स्कूलों में हुई है।
अपर मुख्य सचिव डाॅ रणवीर सिंह ने बैठक को सफल बताते हुए जानकारी दी, कि शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयवार आवश्यकताओं की जानकारी का एक वैब पोर्टल तैयार किया जायेगा, जिसमें सहयोगी उद्यमी पासवर्ड अंकित कर विद्यालय को चयन कर सकता है तथा वांछित मांग के अनुसार अपना योगदान कर सकता है, इससे शिक्षा विभाग के पास भी समस्त जानकारी उपलब्ध रहेगी तथा डुप्लीकेसी की सम्भावना भी नही रहेगी। उन्होने कहा कि पोर्टल में प्राप्त परिसम्पत्तियों का विवरण उपलब्ध रहेगा। उन्होने कहा कि जहां चैकीदार उपलब्ध कराना सम्भव नही है वहां पर स्कूल की चाहरदिवारी निर्माण हमारी प्राथमिकता होगी, कयोंकि विद्यालयों में जैसे-जैसे सामग्री प्राप्त होगी वैसे ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। उन्होने जानकारी दी कि शिक्षा मंत्री के निर्देश पर किसी भी सहयोग करने वाले उद्यमी को विद्यालय में अवस्थापना सुविधाओं के निर्माण आदि में अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने में कठिनाई नही होगी। उसके लिए प्रमाणिक व्यवस्था कराई जायेगी।
इस अवसर पर सचिव विद्यालयी शिक्षा चन्द्रशेखर भट्ट ने बैठक में प्रतिभाग कर रहे उद्योग समूह के सदस्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षा की बेहतरी के लिए किये जाने वाले सहयोग को वे देवतुल्य कार्य समझते हैं। उन्होने बैठक में आये सुझावों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्हे शिक्षा विभाग की योजनाओं में शामिल करने की जानकारी दी।
इस अवसर पर परियोजना निदेशक एस.एस.ए, महानिदेशक शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी, निदेशक शिक्षा आर के कुंवर, अपर शिक्षा निदेशक महावीर, टाटा मोटर्स से आशुतोष, बजाज आटो के डी.जी.एम एस.एस आशुतोष शर्मा, डाबर इण्डिया लि0 के सिनियर मैनेजर अवनीष यादव, पार्ले बिस्कुट लि0 अस्सिटैंट मैनेजर परमेश्वर शर्मा सहित सिडकुल संस्थानों के सामान्य प्रबन्धक एवं राज्य में अवस्थित विभिन्न उद्योग कम्पनियों के अधिकारी उपस्थित थे।