नई दिल्ली: आज यहां आप लोगों के साथ आने में मुझे खुशी हो रही है। आपके देश भारत के करीबी एवं मूल्यवान भागीदार हैं। और मैं आपके साथ व्यापक सतत विकास हासिल करने की हमारी साझा प्राथमिकता पर विचारों के आदान-प्रदान को लेकर काफी प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। मैं इस मुद्दे पर हमें एकत्रित करने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग को धन्यवाद देता हूं।
एक्सीलेंसीज,
संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडे और इसके 17 सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने के दो साल बाद लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साथ मिलकर काम करने की अनिवार्यता अब भी बलवती है। हाल ही में जुलाई में भारत ने एसडीजी की अपनी पहली स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा पूरी की है। हमारे विकास एजेंडे का आधार ‘सबका साथ, सबका विकास’ – यानी सामूहिक प्रयास, समावेशी विकास की धारणा में निहित है। हमने संघ एवं राज्य दोनों स्तर पर प्रत्येक एसडीजी को अपने विकास कार्यक्रमों एवं योजनाओं के अनुरूप तैयार किया है। हमारी संसद ने भी एसडीजी पर संसदीय चर्चा आयोजित करने की पहल की है। हमारे कार्यक्रम इन प्राथमिकता वाले लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए हम केवल एक उदाहरण का हवाला देते हैं, बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को बैंक खाता खुलवाने, सभी नागरिकों को बायोमेट्रिक पहचान प्रदान करने और अभिनव मोबाइल प्रशासन समाधानों के उपयोग संबंधी हमारे त्रिआयामी दृष्टिकोण से पहली बार करीब 360 मिलियन लोगों तक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पहुंच गया।
एक्सीलेंसीज,
हम इस तरह के घरेलू प्रयासों को मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी से सहारा देना चाहते हैं। और इसके लिए हम अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। विकास के लिए अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाते हुए साथी विकासशील देशों के साथ साझेदारी की भारत की लंबी परंपरा रही है। हर कदम पर हमने कई क्षेत्रों में: लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूती देने से लेकर जनता की भलाई के लिए हाई-टेक समाधानों की तैनाती तक, अपने अनुभव और संसाधन साझा किए हैं। इस साल के आरंभ में हमने दक्षिण एशिया उपग्रह को प्रक्षेपित किया ताकि हमारे क्षेत्रीय भागीदारों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, संचार और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उनके विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिल सके।
करीब आधी सदी से भारत की प्रमुख पहल – भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के तहत एशिया, अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, लैटिन अमेरिका, कैरेबियाई एवं पैसिपिफक आइलैंड राज्यों के 161 सहयोगी देशों को प्रशिक्षण एवं कौशल विकास की पेशकश की गई है। पिछले दशक के दौरान केवल अफ्रीका से 25,000 से अधिक छात्रों ने आईटीईसी छात्रवृत्ति पर भारत में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 2015 में सभी 54 अफ्रीकी देशों की भागीदारी के साथ आयोजित तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में हमने महज 5 वर्षों की अवधि में आईटीईसी छात्रवृत्ति की संख्या को दोगुना बढ़ाकर 50,000 करने का निर्णय लिया था।
भारत में प्रशिक्षित अफ्रीकी ‘सोलर ममाज’ अफ्रीकी महाद्वीप में हजारों घरों को प्रकाशित कर रहे हैं। अफ्रीका के साथ हमारी बढ़ती भागीदारी ने अफ्रीकी विकास बैंक को पहली बार अफ्रीका से बाहर अपनी वार्षिक बैठक आयोजित करने के लिए प्रेरित किया जो इस साल के आरंभ में भारत में हुई थी। हमारी विकास साझेदारी परियोजनाएं दुनिया भर के दर्जनों देशों में लोगों को पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य सेवा, दूर-चिकित्सा और बुनियादी ढांचा प्रदान कर रही हैं। और इस सब के बीच हमारा सहयोग मॉडल ‘नो स्ट्रिंग्स अटॅच्ड’ हमारे सहयोगी देशों की जरूरतों एवं प्राथमिकताओं द्वारा पूरी तरह संचालित रहा।
एक्सीलेंसीज,
यहां उपस्थित देशों में कुल मिलाकर मानवता के लगभग आधे हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम जो भी करेंगे उसका दुनिया पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम ईंट से ईंट जोड़कर यानी ब्रिक्स के जरिये एक बेहतर दुनिया बनाएं। कल मैंने ब्रिक्स को अगले दस वर्षों में वैश्विक परिवर्तन करने के बारे में बात की थी क्योंकि यह गोल्डन डिकेड है। मेरा सुझाव है कि हमारे सक्रिय दृष्टिकोण, नीतियों और कार्यों को इन निम्नलिखित दस महान प्रतिबद्धताओं पर लाया जा सकता है:
एक सुरक्षित दुनिया बनाना: कम से कम तीन मुद्दों: आतंकवाद की रोकथाम, साइबर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर संगठित एवं समन्वित कार्रवाई।
- हरित दुनिया का निर्माण: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहल के जरिये जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए ठोस कार्रवाई।
- एक समर्थ दुनिया बनाना: उपयुक्त तकनीकों को अपनाते और साझा करते हुए दक्षता, किफायती एवं प्रभावकारिता बढ़ाना।
- समावेशी दुनिया बनाना: हमारे लोगों को बैंकिंग एवं वित्तीय व्यवस्था सहित आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ना।
- डिजिटल दुनिया बनाना: हमारी अर्थव्यवस्था के भीतर और बाहर डिजिटल विभेद को पाटना।
- कुशल दुनिया बनाना: हमारे लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करते हुए भविष्य के लिए तैयार करना।
- स्वस्थ दुनिया बनाना: सभी लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने और रोगों के उन्मूलन के लिए अनुसंधान एवं विकास में सहयोग करना।
- न्यायसंगत दुनिया बनाना: सभी को समान अवसर प्रदान करना खासकर लैंगिक समानता के माध्यम से।
- कनेक्टेड दुनिया बनाना: वस्तुओं, व्यक्तियों एवं सेवाओं की मुक्त प्रवाह सुनिश्चित करना। और
- सामंजस्यपूर्ण दुनिया बनाना: शांति एवं सह-अस्तित्व पर केंद्रित विचारधाराओं, प्रथाओं और विरासत को बढ़ावा देते हुए प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना।
इन एजेंडा बिंदुओं और उन पर कार्रवाई के माध्यम से हम अपने लोगों के कल्याण के साथ-साथ सीधे तौर पर वैश्विक समुदाय के कल्याण में योगदान करेंगे। और इसमें भारत एक प्रतिबद्ध भागीदार के रूप में एक दूसरे के राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करने और सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। मैं इस राह पर हमारी साझा प्रगति के लिए तत्पर हूं। मैं वर्ष 2017 के लिए ब्रिक्स की अध्यक्षता के शानदार संचालन और इस खूबसूरत शहर शियामेन में गर्मजोशी से स्वागत एवं सत्कार करने के लिए राष्ट्रपति शी की सराहना करता हूं। मैं राष्ट्रपति जुमा का भी स्वागत करता हूं और अगले साल जोहानसबर्ग सम्मेलन के लिए भारत के पूर्ण सहयोग का वादा करता हूं।