17 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

श्यामखेतत, नैनीताल चाय बगान में भ्रमण कर प्रगति की जानकारी लेते हुएः मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह

उत्तराखंड

भीमताल: मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने जनपद नैनीताल के विकास खण्ड भीमताल के श्यामखेत चाय बागान का निरीक्षण किया। मुख्य सचिव श्री सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड की चाय उत्पादन योजनाओं को पर्यटन सर्किट से जोडा जायेगा, इससे किसानो की आमदनी बढने के साथ ही पर्यटको को भी उत्तराखण्ड की चाय का जायका मिलेगा। इस सर्किट में चाय की खेती, दर्शनीय, धार्मिक, पौराणिक स्थलो का भी समावेश किया जायेगा। मुख्य सचिव ने आयुक्त कुमाऊं मण्डल श्री चन्द्रशेखर भट्ट से कहा कि वे श्यामखेत के चाय बागान, घोडाखाल गोलज्यू धाम, कैंची धाम, शितलादेवी, हैडाखान धाम को जोडते हुये एक पर्यटन सर्किट का प्रस्ताव शासन को भिजवाए। चाय बागानों के विकास के लिए कार्य योजना तैयार कर शासन को भिजवायें ताकि चाय विकास कार्यक्रम पूरे प्रदेश में विस्तार करते हुए चाय की खेती से काश्तकारों को जोडा जा सके। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड से उत्पादित होने वाली चाय की विश्व भर में पहचान है। उन्होने कहा कि यहां उत्पादित होने वाली चाय के छोटे-छोटे बिक्री स्टाॅल राष्ट्रीय राजमार्गो पर लगाये जांए, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को सुगमता से यहां की चाय उपलब्ध हो सके। उन्होने बताया कि टी-बोर्ड के अन्तर्गत सैनिक स्कूल की लीज पर ली गई भूमि पर श्यामखेत में जो चाय का उत्पादन किया जा रहा है, उसे विस्तार की आवश्यकता है।  सैनिक स्कूल की अतिरिक्त 20 हेक्टेयर भूमि चाय बागान को स्थानान्तरित होनी है। इस कार्यवाही को जल्द पूरा किया जाय। उन्होंने कहा कि चाय बागान का उत्पादन जंगली जानवरों से सुरक्षित है तथा मुनाफे का सौदा भी है, इसलिए इस खेती का विस्तार वन पंचायतो में भी किया जाए। इस व्यवसाय के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों की अधिक से अधिक महिलाओ को रोजगार दिया जाए।

मुख्य सचिव श्री सिंह ने चाय बागान मे काम कर रही श्रमिक महिलाओं से भी मुलाकात की। महिलाआंे ने मुख्य सचिव को अवगत कराया कि उनको जो मजदूरी दी जा रही है, वह काफी कम है इसको बढाया जाए। इस पर उन्होंने बताया कि देश भर मे चाय बागानो के लिए जो मजदूरी निर्धारित है, उसका भुगतान किया जा रहा है फिर भी मजदूरी बढाये जाने के लिए वह प्रयास करेंगे। मुख्य सचिव द्वारा वान्या रेशम परियोजना के अन्तर्गत रेशम विकास का कार्य भी देखा। उन्होने रेशम महकमे के अधिकारियो से कहा कि रेशम के माध्यम से रोजगार के नये अवसर सृजित किये जा सकते है, लिहाजा काश्तकारो के बीच रेशम उत्पादन को अपनाने की चर्चा की जाए और उन्हे इस कार्य के लिए प्रेरित किया जाए।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड चाय विकास बोर्ड द्वारा नैनीताल जनपद के घोडाखाल चाय डिवीजन में सरकार द्वारा वर्ष 1994-1995 से वर्ष 1999 तक सैनिक स्कूल से लीज पर ली गई भूमि पर चाय बागान विकसित करने की परियोजना की शुरूआत की गई थी। जिसमें घोडाखाल चाय बागान के अन्तर्गत 12 हेक्टेयर मंे चाय बागान विकसित किये गये। वर्ष 2000-2001 से वर्ष 2006-2007 तक राज्य सरकार द्वारा नैनीताल जनपद में परियोजना बंद कर दी गई थी। इसके पश्चात् 2007 से जनपद मे राज्य सरकार द्वारा पुनः चाय विकास कार्यक्रमो को बढावा दिया गया, जिसके तहत बोर्ड द्वारा वर्तमान वर्ष मार्च 2017 तक नैनीताल जनपद के रामगढ विकास खण्ड में 42.83 है0, धारी विकास खण्ड में 68.776 है0, तथा बेतालघाट विकास खण्ड में 11.921 है0,  कुल 128.52 है0 क्षेत्रफल मे बागान विकसित किए गए है। रामगढ विकास खण्ड के श्यामखेत/निगलाट में 12.61 है0, नथुवाखान में 30.22 है0, विकास खण्ड धारी के पदमपुरी में 28.091 हे0, सरना, गुनियालेख में 40.68 है0 तथा विकास खण्ड बेतालघाट में 12.73 हेक्टेयर, जनपद में कुल 124.33 हेक्टेयर चाय की खेती की जा रही है।

रेशम विकास के लिए जिला योजना के माध्यम से रू. 3.20 लाख की धनराशि से 50 हजार मणिपुरी बांज पौध की नर्सरी स्थापित की जा रही है। जिसे बीज एकत्रीकरण का कार्य किया जा चुका है। वर्ष 2018-19 के मानसून में जनपद में वन पंचायतो के माध्यम से मणिपुरी बांज पौध का रोपण कार्य किया जायेगा। विकास खण्ड कोटाबाग मे 700 कृषक, रामनगर में 200, हल्द्वानी में 65, भीमताल में 50 कृषक जनपद के कुल 1015 कृषकों को रेशम उत्पादन कार्य से जोडा गया है। विकास खण्ड रामगढ में 5.87 लाख पौध, धारी में 4.40 लाख और विकास खण्ड बेतालघाट में 17.63 लाख जनपद मे ंकुल 27.9 लाख चाय पौधों की नर्सरी के रखरखाव का कार्य किया जा रहा है। श्यामखेत चाय बागान मे वर्तमान में 25 श्रमिक कार्य कर रहे है, जिसमे से 16 महिलायें है।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More