नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय, स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी एकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। डिजिटल प्रौद्योगिकी व्यापक रूप से स्वास्थ्य देखभाल लागत को कम करने में मदद कर सकती है, लेकिन हमें कम लागत वाली नई और बेहतर प्रौद्योगिकी में निवेश सुनिश्चित करने की ज़रूरत है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स (सीआईआई) द्वारा “मेडिकल टेक्नोलॉजी शेपिंग यूनिवर्सल हेल्थकेयर” विषय पर नई दिल्ली में आयोजित 10वें चिकित्सा प्रौद्योगिकी सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर ये विचार रखे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी का दायरा, सेवा वितरण से काफी अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के समतुल्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) पर प्रकाश डालने वाले लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के फायदों को अपनाने की दिशा में पहले से ही बढ़-चढ़कर कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), स्वास्थ्य अवसंरचना संबंधी आंकड़े एकत्र एवं संगठित करने के लिए पहले से ही देशभर में वेब-आधारित (इंटरनेट वेबसाइट आधारित) स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा है।
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने बताया कि स्वास्थ्य बीमा वितरण, जन्म और मृत्यु जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सांख्यिकी पंजीकरण, भौगोलिक स्थिति निर्धारण प्रणाली (जीपीएस) के जरिए मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (एमएमयू) की निगरानी, पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) (PCPNDT) अधिनियम 2003 आदि कुछ अन्य अधिनियम हैं, जिन्हें ऑनलाइन किया जा रहा है, ताकि कार्यान्वयन, प्रगतिशील तरीके से लागत कम करना और सबसे महत्वपूर्ण जवाबदेही एवं पारदर्शिता को बढ़ाया जा सके।
मंत्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, सरकार भारत को चिकित्सा उपकरणों का हब बनाने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि हमारा चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग कई तेज़ी से बढ़ रहा है और वर्ष 2022 में इसके 14 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है, जबकि वर्तमान में यह आंकड़ा 4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर है। उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार चिकित्सा उपकरण नियम 2017 को अधिसूचित कर चुकी है और हम देशभर में चिकित्सा उकरणों के व्यापक नियमन के लिए चिकित्सा उपकरण विनियमन विधेयक को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं।” उन्होंने आगे कहा कि प्रशिक्षित मानव संसाधन की इस आवश्यकता का समर्थन करने के लिए, अहमदाबाद स्थित राष्ट्रीय औषधी शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ने कुशल कर्मचारियों के विकास के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण केन्द्र स्थापित करने की पहल को अनिवार्य किया है।
इस सम्मेलन के दौरान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहित चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग के विभिन्न सदस्य मौजूद थे। इसके अलावा इस कार्यक्रम में, छोटे-बड़े विभिन्न व्यावसायिक संगठनों के व्यावसायिक प्रतिनिधि, इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न उपभोक्ता एवं नागरिक संगठन, अंतरराष्ट्रीय संगठन और विकास सहयोगी, संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ और केन्द्र एवं राज्य सरकारों के संबंधित मंत्रालयों के सरकारी अधिकारियों के अलावा इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न हितधारक मौजूद थे।
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