वर्ष 2009 से पहले मेहर खलील एक अनजाना सा नाम था लेकिन उसी साल लाहौर में श्रीलंका क्रिकेट टीम की बस पर हुए हमले के बाद खलील को हर कोई जान गया. दरअसल श्रीलंका क्रिकेट टीम की जिस बस पर आतंकी हमला हुआ था उसे खलील ही चला रहे थे. लेकिन उन्होंने अपनी बहादुरी और सूझबूझ से श्रीलंकाई खिलाड़ियों को बचा लिया. इसके बाद खलील की बहादुरी की प्रशंसा श्रीलंका और पाकिस्तान दोनों देशों में होने लगी.
श्रीलंका क्रिकेट टीम पर हुए हमले के बाद से अगले कई सालों तक पाकिस्तान में कोई क्रिकेट मैच नहीं खेला गया और किसी भी टीम ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया. 2015 में जब जिम्बाब्वे ने पाकिस्तान का दौरा किया तो जिम्बाब्वे टीम को स्टेडियम तक ले जाने वाली बस को खलील ही चला रहे थे. यही नहीं हाल ही में जब वर्ल्ड इलेवन की टीम तीन मैचों की टी20 सीरीज खेलने पाकिस्तान के दौरे पर गई तो उस टीम की बस को भी स्टेडियम तक लेकर खलील ही गए.
खलील मोरक्को और दक्षिण अफ्रीका में बिजनेस भी कर चुके हैं. दक्षिण अफ्रीका की एक यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात धोनी से हो गई जिन्होंने उनकी बहादुरी की प्रशंसा की. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक खलील ने धोनी से हुई अपनी उस मुलाकात के बारे में कहा, मैंने उस समय (दक्षिण अफ्रीका में) धोनी और सुरेश रैना को देखा. रैना ने बहुत ही गर्मजोशी से बात की और धोनी ने कहा, ‘आप बहुत बहादुर हैं, आपने उनको बचा लिया.’
इसके जवाब में खलील ने कहा, ‘मेरे भी भाई हैं वो श्रीलंकाई, एक भाई के लिए जान देने को तैयार हैं.’ खलील का कहना है कि उन्होंने आतंकवाद को बहुत करीब से झेला है. उनका एक भाई हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ गया था और कश्मीर में मारा गया. उन्होंने कहा, ‘उन दिनों मुजाहिदीन बोलते थे, आजकल तो आतंकवादी ही बोलते हैं.’
खलील ने कहा कि एक बात तय है कि हिंसा से कुछ हल होने वाले नहीं है. साथ ही उन्होंने भारत से पाकिस्तान में खेलने का आग्रह किया और कहा, ‘मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि भारतीय टीम पाकिस्तान में आकर खेले. उन्होंने कहा, पूरा लाहौर खड़ा हो जाएगा क्योंकि अपने भाई आए हैं घर में खेलने के लिए.’
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