नई दिल्लीः श्री अश्विनी कुमार चौबे,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री जी ने एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा के प्रांगण में एक संस्थान (SHE WING) द्वारा आयोजित सम्मेलन यस आई ब्लीड का उद्घाटन किया । श्री चौबे ने आयोजको को बधाई दी कि उन्होंने एक महत्वपूर्ण समसामयिक राष्ट्रीय विषय ‘मासिक धर्म’ पर आयोजित कार्यशाला का आयोजन किया जिसका उद्देश्य है रजोधर्म के प्रति समूचे राष्ट्र में चेतना निर्माण करना ताकि रजोधर्म (पीरियड) के प्रति जो रूढिवादी सोच, अंधविश्वास और झेंप है, वह खत्म हों । उन्होंने कहा कि रजोधर्म एक शारीरिक अवश्यम्भावी प्रक्रिया है ।
उन्होंने आकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में अकेले 12 प्रतिशत महिलाएं ही उपयुक्त सेनेट्री नैपकिन पाती है और उनमें से भी 90 प्रतिशत सेनेट्री नैपकिन प्लास्टिक के बने होते हैं जिनको नष्ट होने में 800 वर्ष लगते हैं । ऐसे प्लास्टिक नैपकिन, पर्यावरण के अलावा शरीर के लिए हानिकारक होते हैं । गरीब और ग्रामीण अंचल में रहने वाली किशोरियां एवं मासिक धर्म से गुजरती हुई महिलाओं को उपयुक्त सुरक्षा आवरण नहीं मिलने के कारण उनमें संक्रमण होता है । वे बीमारी का शिकार होती हैं और कई बार यह संक्रमण जीवन घातक हो जाता है । उन्होंने कहा कि भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य विकसित देशों में भी महिलाओं को शारीरिक कष्ट और सामाजिक झेंप का सामना करना पड़ता है । इतनी बड़ी स्वास्थ्य की उपेक्षा को देखते हुए उन्होंने कहा कि मासिक धर्म से गुजर रही महिलाओं को उचित सुरक्षा कवच मिले और स्वास्थ्य ठीक रहे, यह महिलाओं का मानवाधिकार है ।
श्री चौबे जी ने कहा कि रजोधर्म के प्रति पूरे भारत में राष्ट्र व्यापी चेतना निर्माण करने की नितांत आवश्यकता है और उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को इसका अभिन्न अंग मानना चाहिए । उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में करीब 23 प्रतिशत बालिकाएं जो 12 से 18 साल की उम्र के बीच होती हैं। आर्थिक तंगी और परिवार के असहयोग के कारण स्कूल छोड़ने पर विवश हो जाती हैं । उन्होंने कहा कि जीवन जीने का अधिकार का अभिप्राय है स्वच्छ और स्वस्थ जीवन, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ में मानव अधिकार की संज्ञा दी है ।
श्री चौबे ने प्रसन्नता व्यक्त की कि आज समाज में एक नई जागृति का निर्माण हो रहा है और कहा कि आने वाले समय में किशोरियों और महिलाओं को मासिक धर्म से होने वाले मानसिक, शारीरिक कष्ट से परिवार, समाज और राष्ट्र के सहयोग से निजात मिलेगी । उन्होंने कहा कि वे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सभी सरकारें इस बात का विशेष ध्यान रखें ।