नई दिल्लीः केंद्रीय विद्युत नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर के सिंह ने आज यहां एक वेब आधारित निगरानी प्रणाली तथा फ्लाई ऐश मोबाइल ऐप ऐश ट्रैक लांच किया। यह प्लेटफार्म ताप बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पादित ऐश के बेहतर प्रबंधन में सहायक होगा क्योंकि यह फ्लाई ऐश उत्पादकों (ताप बिजली संयंत्र) तथा सड़क ठेकेदारों, सीमेंट संयंत्रों जैसे संभावित उपयोगकर्ता के बीच सेतु का काम करेगा।
इस अवसर पर विद्युत तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर के सिंह ने कहा कि फ्लाई ऐश का उचित प्रबंधन न केवल पर्यावरण के लिए महत्त्वपूर्ण है बल्कि हमारे लिए भी क्योंकि बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पादित ऐश जमीन का बड़ा हिस्सा घेरता है। उन्होंने बताया कि अभी 63 प्रतिशत फ्लाई ऐश का उपयोग किया जाता है और यह उपयोग बढ़ाकर 100 प्रति करने का लक्ष्य है। उन्होंने इसके लिए शिक्षा और जागरूकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सड़क ठेकेदारों तथा निर्माण इंजीनियरों को निर्माण कार्य में फ्लाई ऐश के इस्तेमाल के लाभों के बारे में जानना चाहिए। श्री सिंह ने अधिकारियों से कहा कि वे यह हिसाब लगाएं कि फ्लाई ऐश का ईस्तेमाल करके प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण में खर्च कितना आएगा। उन्होंने कहा कि यदि यह महंगा साबित होता है तो कर ढांचा सब्सिडी तथा परिवहन सेवाओं को तर्कसंगत बनाकर लागत कम की जा सकती है। इसी तरह श्री सिंह ने सीमेंट संयंत्रों में भी फ्लाई ऐश के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए बल दिया।
आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए श्री सिंह ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल में वृद्धि के बावजूद कोयला भारत में बिजली क्षेत्र का आधार स्तम्भ रहेगा। उन्होंने कहा कि वास्तव में हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ने के साथ कोयल का इस्तेमाल भी बढ़गा।
इस अवसर पर बिजली सचिव श्री अजय कुमार भल्ला ने कहा कि गुणवत्ता की दृष्टि से अन्य देशों के कोयला के तुलना में भारतीय कोयले में ऐश की मात्रा काफी अधिक होती है। उन्होंने कहा कि इसलिए फ्लाई ऐश प्रबंधन के लिए चौतरफा दृष्टकोण को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि उद्गम स्थान पर कोयले की सफाई कर देने से ऐश को बिजली संयंत्रों तक आने से रोका जा सकता है। विद्युत सचिव ने बिजली संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने तथा ऐश उत्पादन में कमी के लिए अनुसंधान और विकास की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा मंत्र ‘कम से कम ऐश उत्पादन और अधिकतम ऐश उपयोग’ होना चाहिए। उन्होंने इस परियोजना को पूरा समर्थन उपलब्ध कराने के लिए नीति आयोग को भी धन्यवाद दिया। एनड्रॉएड ओएस के लिए गूगल प्ले स्टोर से तथा एप्पल आईओएस के लिए ऐप स्टोर से यूजर ऐश ट्रैक मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते है। ऐश ट्रैक मोबाइल ऐप की निम्नलिखित विशेषताए हैं-
- उपभोक्ताओं के लिए
ए. यह ऐप एक निश्चित स्थान से 100 किलोमीटर तथा 300 किलोमीटर के दायरे में स्थापित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को दिखाता है।
बी. यूजर जहां से फ्लाई ऐश लेना चाहता है उस पावर स्टेशन का चयन कर सकता है।
सी. ऐश उपलब्धता, यूजर के स्थान से दूरी, सम्पर्क व्यक्ति के ब्योरे प्रदर्शित होंगे।
डी. यूजर ऐश आबंटन के लिए ऑन लाइन आवेदन कर सकते हैं।
ई. एसएमएस फौरन आवेदन तथा संबंधित बिजली संयंत्रों को भेजा जाएगा।
- बिजली स्टेशनों के लिए
ए. ऐप से बिजली संयंत्र से 100 किलोमीटर और 300 किलोमीटर के दायरे में संभावित ग्राहको को दिखाता है।
बी. बिजली स्टेशन बिजली संयंत्र के आस-पास के संभावित ऐश उपयोगकर्ताओं जैसे सीमेंट संयंत्र, एनएचएआई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) परियोजनाए ईट निर्माता आदि को दिखा सकते है।
सी. बिजली संयंत्र ऐश सप्लाई के लिए संभावित ऐश उपयोगकर्ताओं से संपर्क कर सकते हैं।
- ऐश उपयोगीकरण डाटा
ए. यह ऐप देश में संयंत्रवार, उपयोगिता के अनुसार तथा राज्यवार ऐश उपयोग की स्थिति प्रदान करता है।
बी. रियल टाइम ऐश उत्पादन तथा उपयोग का ब्यौरा दिखाता है।
ताप संयंत्र नियमित रुप से वेब पोर्टल और इस ऐप पर फ्लाई ऐश उत्पादन उपयोगीकरण तथा स्टॉक भी स्थिति को अध्यतन बनाएंगे। इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। फ्लाई ऐश कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान प्रज्जवलन का अंतिम उत्पाद होता है। यह निर्माण उद्योग के कार्यों में संसाधन सामग्री के रूप में काम आता है और फिलहाल इसका इस्तेमाल पोर्टलैंड सीमेंट बनाने, ब्रिक्स/ब्लाक/टाइल्स निर्माण सड़क तटबंध निर्माण और निचले क्षेत्रों के विकास कार्यों में किया जा रहा है।
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत, अपर सचिव (विद्युत) सुश्री शालिनी प्रसाद, अपर सचिव (पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) श्री अरूण कुमार मेहता, एनटीपीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री गुरदीप सिंह, संयुक्त सचिव (विद्युत) श्री अनिरुद्ध कुमार, निदेशक (विद्युत) श्री एच.एस प्रुथी और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।