नई दिल्लीः श्री सुनील कुमार चौरसिया, आईओएफएस को 1 दिसंबर, 2017 से नए महानिदेशक, आयुध निर्माणी (डीजीओएफ) एवं अध्यक्ष, आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफडी) के रूप में नियुक्त किया गया है। इससे पहले वह सदस्य, आयुध निर्माणी थे तथा सामग्री एवं कलपुर्जा विभाग का कार्यभार देख रहे थे।
जबलपुर से यांत्रिक इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री लेने के पश्चात उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से एम टेक की डिग्री ली और श्री चौरसिया ने 1981 में भारतीय आयुध निर्माणी सेवा में पर्दापण किया।
भारत सरकार ने एमबीए करने के लिए उन्हें संयुक्त गणराज्य भेजा। तत्पश्चात् श्री चौरसिया सेवाकालीन प्रशिक्षण के दौरान भारतीय लोक प्रशासन संस्थान नई दिल्ली में थे तथा उन्हें एमफिल की डिग्री प्रदान की गई।
आयुध निर्माणी संगठन में अपने सेवाकाल के दौरान उन्होंने उत्पादन तथा परिचालन प्रबंधन, शस्त्र तथा गोला बारूद्ध निर्माण में बहुत समृद्ध एवं विविध अनुभव हासिल किया। उन्होंने अपने सरकारी कार्य से विश्व भर का व्यापक भ्रमण किया है।
श्री चौरसिया को 1992 से 1997 तक भारत सरकार ने उप सचिव के रूप में कार्य करने तथा तत्पश्चात् रक्षा मंत्रालय में निदेशक के रूप में काम करने के लिए चयन किया। 2002 से 2005 तक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में मुख्य सतर्कता अधिकारी थे। 2005 से 2008 तक उन्होंने केन्द्रीय सतर्कता आयोग में विभागीय जांच हेतु निदेशक एवं आयुक्त के पद का कार्यभार संभाला। आयुध निर्माणी बोर्ड के सदस्य के रूप में कार्यभार संभालने से पूर्व वह त्रिची में हैवी एलोय पेनेट्रेटर प्रोजेक्ट के महाप्रबंधक तथा आयुध निर्माणी, कानपुर के वरिष्ठ महाप्रबंधक थे।
श्री चौरसिया समस्याओं का सामना करने तथा उनके व्यावहारिक हल पेश करने के लिए विख्यात हैं। वह भारत में परिवर्तित रक्षा उत्पादन परिदृश्य के बहुत अच्छे प्रशंसक हैं। रक्षा उत्पादन में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति से नए देशी एवं अंतर्राष्ट्रीय निवेशक सामने आए हैं। उदारीकृत रक्षा बाजार से ग्राहकों की उच्च अपेक्षाओं तथा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों से बढ़ती अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा के कारण आयुध निर्माणी बोर्ड को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए ‘उत्पादों की गुणवत्ता’ पर ही अत्यधिक जोर दिया है।
फिर भी श्री चौरसिया का विश्वास है कि प्रत्येक चुनौती कोई अवसर प्रदान करती है। बदले हुए रक्षा उत्पादन परिवेश का अत्यधिक लाभ उठाने के उद्देश्य से आयुध निर्माणी बोर्ड ने ‘अनुसंधान एवं विकास’ पर अत्यधिक ध्यान केन्द्रित किया है। सार्वजनिक तथा निजी निर्माताओं के साथ सहयोग करके नए उत्पादों का निर्माण करना ही आयुध निर्माणी बोर्ड का मूल मंत्र है। 200 वर्ष पुराने संगठन ने अनुसंधान और विकास के प्रमुख क्षेत्रों का चयन किया है और तदनुसार बहुत से अनुसंधान विकास ग्रोथ ड्राइवर प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। श्री चौरसिया ने आयुध निर्माणी बोर्ड को प्रतिस्पर्धी बनने तथा राष्ट्र के लिए एक पूर्ण संघर्ष समाधान प्रदाता के रूप में स्तम्भ की तरह खड़े होने के लिए हर संभव संसाधन का उपयोग करने की प्ररेणा दी।