नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री के.जे. अल्फोंस ने गंगटोक, सिक्किम में पूर्वोत्तर सर्किट विकासः रंगपो-रोराथंग-अरितार-फड़मचेन-नाथांग-शेराथांग-त्सोंगमो-गंगटोक-फोदोंग-मंगन-लाचुंग-यमथांग-लाचेन-थांगु-गुरुडोंगमर-मंगन-गंगटोक-तुमिनलिंगी-सिंगटम परियोजना का राज्य के पर्यटन और नागर विमानन मंत्री श्री उगेन टी ग्यात्सो की उपस्थिति में उद्घाटन किया। इस परियोजना को मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत लागू किया गया है। इस परियोजना को मंत्रालय ने 98.05 करोड़ रुपये की लागत से जून, 2015 में मंजूरी दी थी और योजना के अंतर्गत सिक्किम में यह पहली परियोजना है। इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय ने पर्यटन बुनियादी ढांचा सुविधाएं जैसे पर्यटन सूचना केन्द्र, ध्यान केन्द्र, ऑर्गेनिक इको पर्यटन केन्द्र, लॉग हट, जिप लाइन, फूलों के लिए प्रदर्शनी केन्द्र, उद्यान पथ, स्मारिका दुकानें, कैफेटेरिया, बारिश से बचने की जगह, सड़क के किनारे सुविधाएं, अंतिम मील तक संपर्क पार्किंग, सार्वजनिक शौचालय आदि विकसित किए है।
परियोजना का उद्घाटन करते हुए श्री के.जे. अल्फोंस ने परियोजना को पूरा करने में राज्य द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि गंगटोक इतना साफ है कि वह सफाई और मेजबानी के अपने स्तर में दुनिया के किसी भी शहर की बराबरी कर सकता है। पिछले वर्ष पर्यटन क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि देश डब्ल्यूटीटीसी ट्रेवल और वर्ष 2017 में पर्यटन में वृद्धि के लिए टूरिज्म पावर एंड परफॉर्मेंस रिपोर्ट द्वारा तीसरे नंबर पर रहा और साथ ही विदेशी पर्यटकों के आगमन के मामले में 2017 में भारत की वृद्धि दर 14 प्रतिशत रही, जबकि दुनिया के पर्यटन में 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी। सिक्किम में होम स्टे को बढ़ावा देने में राज्य सरकार की पहल के बारे में भी टिप्पणी की, जिससे सभी वर्गों के नागरिकों को नौकरियां मिली है और निरंतर पर्यटन और छितरे हुए स्थानों के बारे में नीति के लिए राज्य सरकार के कदमों की सराहना की। श्री अल्फोंस ने कहा कि केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत सिक्किम में एक अन्य परियोजना को मंजूरी दी है, जिसका 75 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
मंत्रालय ने 95.32 करोड़ रुपये की लागत से सितंबर, 2016 में सिक्किम में चल रही स्वदेश दर्शन परियोजना ‘पूर्वोत्तर सर्किट का विकासः सिंगटम-माका-तेमी-बरमोइक टोकल-फोंगिया-नामची-जोरथंग-ओखारी-सोमबारिया-दारामदीन-जोरेथांग-मेल्ली’ को मंजूरी दी थी। परियोजना के अंतर्गत कार्य प्रगति पर है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन के विकास पर पर्यटन मंत्रालय प्रमुखता से जोर दे रहा है। क्षेत्र में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के विकास के लिए मंत्रालय ने अनेक पहल की है। पर्यटन के विकास में क्षेत्र को जिन अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है उनमें से एक गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे का अभाव, क्षेत्र में सेवाएं और पर्यटन उत्पादों के बारे में जागरूकता की कमी है।
मंत्रालय सभी मोर्चों पर अनेक कार्य कर रहा है। एक तरफ मंत्रालय ने ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रशाद’ की अपनी प्रमुख योजना के अंतर्गत क्षेत्र में पर्यटन बुनियादी ढांचे को गति प्रदान की है। पर्यटन ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए मंत्रालय ने ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रशाद’ योजनाओं के अंतर्गत सभी पूर्वोत्तर राज्यों को शामिल करते हुए 1349.04 करोड़ रुपये की लागत से 16 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
स्वदेश दर्शन योजना देश में विषय क्षेत्र संबंधी सर्किटों के नियोजित और प्राथमिकता के आधार पर विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है। इसके लिए इस योजना के अंतर्गत सरकार देश में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष जोर दे रही है। जिससे एक तरफ आगुंतकों को बेहतर अनुभव और सुविधाएं मिल सके और दूसरी तरफ आर्थिक विकास में तेजी आए। इस योजना की शुरूआत 2014-15 में की गई थी और इसके तहत अब तक 30 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के लिए 6121.69 करोड़ रुपये की कुल लागत से 77 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इनमें से 30 परियोजनाओं के इस वर्ष पूरे होने की संभावना है। योजना के अंतर्गत 11 परियोजनाओं का निर्धारित तिथि पर उद्घाटन किया जा चुका है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने क्षेत्रीय विविधता, पर्यटन उत्पादों और उसकी समृद्ध संस्कृति को उजागर करते हुए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में विशेष प्रचार किया। पर्यटन मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन और मेजबानी के क्षेत्र में कुशल मानव शक्ति तैयार करने के लिए होटल प्रबंधन और फूड क्राफ्ट संस्थानों की स्थापना की है।
पर्यटन मंत्रालय के प्रयासों से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2016 में 1.45 लाख विदेशी पर्यटक आये थे जिनकी संख्या 2017 में बढ़कर 1.69 लाख हो गई है, जो 2016 की तुलना में 16.7 प्रतिशत अधिक है। 2016 के दौरान 77.71 घरेलू पर्यटकों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र का दौरा किया था, जबकि 2017 में यह संख्या बढ़कर 95.47 लाख हो गई है, जो 2016 की तुलना में 22.8 प्रतिशत अधिक है। पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी से क्षेत्र की स्थानीय आबादी को रोजगार के बेहतर अवसर मिले है।