नई दिल्ली/देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन एवं नदी विकास व गंगा पुनर्जीवीकरण मंत्री श्री नितिन गडकरी से भेंट की। मुख्यमंत्री ने चारधाम आॅल वैदर रोड की प्रगति के साथ रामनगर कर्णप्रयाग राज्य राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग में परिवर्तित करने के साथ ही राज्य के कुछ अन्य राजमार्गो को राष्ट्रीय राजमार्ग में बदलने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी ने सेन्ट्रल रोड फण्ड के तहत राज्य की सड़कों के निर्माण एवं सुधारीकरण के लिये इस वर्ष 153 करोड़ रूपये की धनराशि अलग से दिये पर सहमति जताई है तथा इस मद में विशेष सहायता के रूप में राज्य को 600 करोड़ रूपये तक की धनराशि स्वीकृत किये जाने का आश्वासन दिया। इसके लिये राज्य सरकार को बजटीय प्राविधान के साथ प्रस्ताव केन्द्र सरकार को पे्रषित करन होगा। इसके अतिरिक्त सीएसआर के तहत भी उत्तराखण्ड को 600 करोड़ रूपये की धनराशि दिये जाने पर भी केन्द्रीय मंत्री ने सहमति जताई है। इससे हरिद्वार में गंगा घाटों के पुनर्निर्माण तथा सुधारीकरण आदि कार्य किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि ऑल वैदर रोड के निर्माण कार्य प्रगति पर है। केन्द्र सरकार से संसाधनों के विकास के लिये धनराशि आदि के लिये पूर्ण सहयोग मिल रहा है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने श्री गडकरी से उत्तराखण्ड में भी सी-प्लेन योजना संचालित करने पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्य में केन्द्र के सहयोग से टिहरी, नैनीताल की झीलों तथा प्रमुख नदियों में सी-प्लेन योजना की शुरूआत की जा सकती है। इसके साथ ही किसानों को मुआवजे पर मिलने वाले ब्याज पर भी सकारात्मक चर्चाएं हुई है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र की केन्द्रीय मंत्री से राज्य में संचालित नमामि गंगे योजना, लखवाड-ब्यासी सहित अन्य जल विद्युत परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि लखवाड़-ब्यासी परियोजना, किसाऊ बांध परियोजना के लिए भी केन्द्र सरकार का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री से वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड की 33 जल विद्युत परियोजनाओं पर व्यापक चर्चा की गई। इस सम्बंध में ऊर्जा, जल संसाधन एवं वन मंत्रालय तीनों विभागों द्वारा मिलकर राज्य हित में सकारात्मक परिणाम देने का केन्द्रीय मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने अनुरोध किया कि आर्थिक मामलो की कैबिनेट कमेटी से लखवाड़ बहुउदेश्यीय परियोजना को शीघ्र सहमति प्रदान की जाय। उन्होंने कहा कि अलकनन्दा तथा भागीरथी नदियों पर 70 में से 33 जल विद्युत परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 4060 मेगावाट तथा लागत 41,000 करोड़ रूपये है, एन.जी.आर.बी.ए., ईको-सेंसटिव जोन तथा मा.उच्चतम न्यायालय के निर्देशो के क्रम में बन्द पड़ी है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने अनुरोध किया कि यदि एक संयुक्त शपथ पत्र ऊर्जा मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय तथा पर्यावरण व जल मंत्रालय द्वारा मा.उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाय तो उक्त परियोजनाओं हेतु शीघ्र अनुमोदन मिल सकता है। इसी प्रकार चमोली की 300 मेगावाट की बावला नन्दप्रयाग जल विद्युत परियोजना के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि इस परियोजना से संबंधित डीपीआर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के समक्ष अनुमोदन हेतु लम्बित है, क्योंकि जल संसाधन मंत्रालय द्वारा इन्वार्यमेन्टल फ्लों का अभी अध्ययन नही किया गया है। उन्होंने इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की अपेक्षा की।
केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी ने मुख्यमंत्री को राज्य की लम्बित परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की योजना है कि उत्तराखण्ड समेत हिमालय क्षेत्र में जो बड़ी झीले हैं, वहां से प्लेन की लैंडिंग की जाय साथ ही जयपुर व उदयपुर की झीलों में भी सी-प्लेन के माध्यम से परिवहन सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा है कि सी-प्लेन एक फीट पानी तथा सड़क में भी उतर सकता है। 12 सीटर सी-प्लेन की लागत मात्र 12 करोड़ रूपये है। आने वाले समय में यह बहुत सस्ता ट्रांसपोर्ट का माध्यम बनने जा रहा है। अमेरिका, कनाडा, जापान की तर्ज पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहयोग से इसके लिए नियम बनाये जा रहे है।