नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)श्री गिरिराज सिंह को गुरुग्राम स्थित प्रबंधन विकास संस्थान (एमडीआई) द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) पर किया गया मूल्यांकन अध्ययन पेश किया गया। इस संस्थान को जनवरी, 2017 में पीएमईजीपी का मूल्यांकन अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
इस अध्ययन का उद्देश्य रोजगार सृजन और ग्रामीण एवं शहरी कारीगरों तथा बेरोजगार युवाओं की आमदनी में वृद्धि के लिहाज से इस योजना के असर, स्कीम के क्रियान्वयन से जुड़ी प्रमुख समस्याओं पर गौर करना तथा इन्हें सुलझाने के तरीके बताना एवं इस योजना में और सुधार करने के लिए आवश्यक सिफारिशें पेश करना था।
नमूने के आकार का चयन स्तरीकृत क्रम रहित नमूनाकरण आधार पर किया गया था। वर्ष 2012-13 से लेकर वर्ष 2015-16 तक की अवधि के दौरान कुल मिलाकर 2,00,885 सूक्ष्म इकाइयों की स्थापना की गई। इन इकाइयों पर विचार किया गया, जिनमें से 5 फीसदी नमूना कवरेज अर्थात लगभग 10,108 इकाइयों को क्रम रहित आधार पर 30:30:40 के अनुपात में तीन क्रियान्वयनकारी एजेंसियों अर्थात केवीआईसी, केवीआईबी और डीआईसी के बीच सूचीबद्ध करने की मांग की गई।
अध्ययन के मुख्य अवलोकन
- यह योजना टिकाऊ रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम रही है। इस योजना के तहत स्थापित की गई इकाइयों ने पूरे साल के साथ-साथ कई वर्षों के लिए रोजगार मुहैया कराए।
- इस योजना की पहुंच काफी अच्छी है। इसने समाज के लगभग सभी तबकों (सामाजिक पृष्ठभूमि, शैक्षणिक पृष्ठभूमि, स्थान इत्यादि के आधार पर) को लक्षित किया है।
- प्रति परियोजना औसत रोजगार – 7.62
- इकाई रोजगार सृजित करने की औसत लागत – 96,209 रुपये
- इकाई रोजगार सृजित करने की अधिकतम लागत – 2,75,621 रुपये (नगालैंड)
- इकाई रोजगार सृजित करने की न्यूनतम लागत – 64,735 रुपये (तमिलनाडु)
- प्रति परियोजना औसत लागत – 7,33,423 रुपये
समस्या वाले क्षेत्र :
- विभिन्न चरणों में ऋण मंजूरी की प्रक्रिया में देरी
- रेहननामा और जमानत की मांग करना
- भौतिक सत्यापन और मार्जिन मनी के समायोजन में देरी
- कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा रिकॉर्ड कीपिंग, मार्गदर्शन करना, डेटा तक पहुंच और जानकारी देना या रिपोर्टिंग
- उत्पादों का विपणन
प्रमुख सिफारिशें :
- क्षेत्रीय अधिकारियों (ये लाभार्थी एवं एजेंसियों के बीच प्रमुख संपर्क हैं और वर्तमान में अपर्याप्त हैं) की उपलब्धता बढ़ाना।
- ईडीपी प्रशिक्षण से जुड़ी सामग्री को और ज्यादा प्रासंगिक तथा कठोर बनाने की जरूरत है। ऑनलाइन ईडीपी को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- मान्यता प्राप्त प्रतिष्ठित तकनीकी एवं प्रबंधकीय संस्थानों (जैसे कि आईआईटी और आईआईएम) के एमओओसी ( व्यापक खुला ऑनलाइन पाठ्यक्रम) के साथ सामग्री (कंटेंट) साझेदारी/एकीकरण
- लाभार्थियों का आगे भी मार्गदर्शन करने के लिए एजेंसियां प्रमुख प्रबंधन संस्थानों (भारत/विदेशी) से प्रशिक्षुओं की भर्ती करने पर विचार कर सकती हैं।
- प्रशिक्षु की पहचान के सत्यापन एवं प्रगति के लिए ‘आधार’ के साथ एकीकरण।
- ऋणों की अदायगी के लिए लाभार्थियों को प्रेरित करना- ऐसे लोग जिनकी मार्जिन मनी को सफलतापूर्वक समायोजित कर दिया गया है उन्हें सब्सिडी प्राप्त ऋणों (जैसे कि 15 फीसदी सब्सिडी) के दूसरे दौर के विकल्प के साथ पुरस्कृत करने की जरूरत है।
- ऋण आवेदन से जुड़ा निर्णय (स्वीकृत अथवा नामंजूर करना) लेने के लिए बैंकों पर समयसीमा (या तो 60 दिन या 90 दिन) लागू करना।
- ऋण के नकद ऋण खाता (सीसीए) घटक को कम किया जा सकता है। अधिकतम सीसीए कुल ऋण का 40 फीसदी तक हो सकता है।
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