देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दीप लोक कालोनी बल्लूपुर में श्री जग्गनाथ समिति द्वारा आयोजित विश्व प्रसिद्ध श्री श्री जगन्नाथ गुण्डिचा रथ यात्रा में नन्दीघोष रथ प्रारम्भ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया । श्री जगन्नाथ यात्रा के अवसर पर जगन्नाथ मन्दिर समिति व भक्तों शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वह मन्दिर समिति का आमंत्रण के लिए आभार व्यक्त करते है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यह शुभ अवसर है कि आज ही के दिन सरकार ने सौ दिन पूरे किए है। हमें जनता को 100 दिन का लेखा-जोखा देना है। यह अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि देहरादून स्मार्ट सिटी के लिए चयनित हो गई है। अब इसके स्वरूप के और अधिक सौन्दर्यीकरण तथा सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है। इस प्रयास में आप सब लोगो के सहयोग अपेक्षित है। हमें जनता का आर्शीवाद चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने जनता से अपील की जल संरक्षण आज की आवश्यकता ही नही अनिवार्यता बन गई है। कहा जा रहा है कि यदि तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो उसका कारण जल होगा। यह दुखद है कि देहरादून में ही बिन्दाल व रिस्पना जैसी नदिया सूख चुकी है। अतः 25 मई जल संरक्षण के दिवस के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा जल संरक्षण हेतु महाअभियान चलाने का संकल्प लिया गया है। जल संचय एव सरंक्षण में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर जन जागरूकता बढ़ाने का है। यदि सरकारे एवं संस्थाऐं आम आदमी को जल संचय का महत्व समझाने में सफल रहती है तभी यह अभियान सफल माना जाएगा। आम आदमी की सहभागिता किसी भी अभियान को सफल बनाने में आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में 20 लाख टाॅयलेटस है। राज्य की 1.10 करोड़ की आबादी है। प्रति व्यक्ति द्वारा शौचालय प्रयोग के दौरान एक दिन में लगभग 7 से 10 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। यदि प्रत्येक व्यक्ति एक लीटर पानी भी रोज बचाता है तो सम्पूर्ण राज्य में हम लगभग 1 करोड़ लीटर पानी बचा सकते है।यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से अपील की इसके लिए हमें अपने टाॅयलेट के सिस्टर्न में एक लीटर की प्लास्टिक की बोतल में आधा रेत व आधा पानी भरकर रखना होगा। इस प्रकार यदि एक परिवार प्रतिदिन 15 बार सिस्टर्न चलाता है तो प्रतिदिन 15 लीटर पानी की बचत होगी। ऐसा करने से सिस्टर्न की कार्यकुशलता पर कोई प्रभाव नहीं पडे़गा, किन्तु प्रदेश भर में एक वर्ष में लगभग 547.50 करोड़ लीटर पानी की बचत होगी। उन्होंने कहा कि हमें इस उपाय को अपने घरों के अतिरिक्त कार्यालयों तथा होटलो में भी अपनाना होगा। इस अभियान में आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। उत्तराखण्ड का यह अभियान पूरे देश में पहुचना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य स्थापना के समय हमारे जल स्रोतो से 72 एमएलडी जल प्रवाहित होता था जो कि वर्तमान में लगभग 40 एमएलडी हो गया है। साथ ही राज्य की आबादी भी पांच गुना बढ़ गई है, परन्तु जल आपूर्ति आधी हो गई है। जल स्रोतों को पुर्नजीवित एवं रिचार्ज कैसे किया जाय इस पर गम्भीर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि यह अत्यन्त चिंता का विषय है कि आज रिवर बेल्ट पर भारी संख्या में मकान बना दिए गए है। पक्के फर्श का प्रचलन हो गया है। नालियों का जाल बिछ गया है। उक्त कारणों से भू-जल रिचार्ज में बाधा उत्पन्न हो गई । भू-जल रिचार्ज एवं जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने हेतु भी आम जन की सक्रिय भागीदारी अति आवश्यक है। राज्य सरकार द्वारा रिस्पना एवं बिन्दाल नदियों को पुर्नजीवित करने का निर्णय लिया है। श्री रावत ने कहा कि मकानो के निमार्ण के समय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी हमें लगाने चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने जनता से अपील की जल संरक्षण में योगदान देना परमात्मा द्वारा बनाई गई सृष्टि की सेवा है। अतः हमें सेवाभाव से इस मिशन में सक्रिय भागीदारी करनी होगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यह अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि 22 जून 2017 को उत्तराखण्ड ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच से प्रथा से मुक्त हो चुका है तथा राज्य सरकार द्वारा सकंल्प लिया गया है कि चालू वितीय वर्ष में 31 मार्च से पूर्व ही राज्य को शहरी क्षेत्र में भी ओडीएफ कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अवसर पर श्री राम मन्दिर के प्रागंण मे नवनिर्मित सामुदायिक भवन का लोकापर्ण किया। इस अवसर पर विधायक श्री गणेश जोशी, श्री हरबंस कपूर आदि उपस्थित थे।