केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सईद को एक पत्र लिखकर बाकी राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का आग्रह किया।
वित्त मंत्री ने कहा कि जम्मू- कश्मीर ने जीएसटी परिषद की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लिया था और जीएसटी के लिए विभिन्न कानूनों एवं नियमों के निर्धारण में सकारात्मक योगदान दिया था। उन्होंने 18-19 मई, 2017 को श्रीनगर में आयोजित जीएसटी परिषद की चौदहवीं बैठक की मेजबानी करने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया, जहां जीएसटी से संबंधित कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। इनमें ज्यादातर टैक्स दरों पर लिए गए निर्णय भी शामिल हैं।
अपने पत्र में वित्त मंत्री ने आगे कहा है कि संविधान की धारा 370 के मुताबिक, भारत के संविधान में किए गए संशोधन राज्य सरकार की सहमति से जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू होते हैं, जैसा कि राष्ट्रपति अपने आदेश के अनुसार निर्दिष्ट कर सकते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति के आदेश के लिए मुख्यमंत्री से जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष संवैधानिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोई संशोधन आवश्यक समझने पर संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम, 2016 के संदर्भ में राज्य की सहमति भेजने का अनुरोध किया।
इसके अलावा, अपने पत्र में वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री के ध्यानार्थ यह भी लाया कि यदि जम्मू- कश्मीर राज्य 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू करने में असमर्थ है, तो इससे निम्नलिखित प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं:
(ए) अन्य राज्यों से इस राज्य में खरीदी जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमतों में सामान्य वृद्धि होगी, और
(बी) जम्मू-कश्मीर राज्य से अन्य राज्यों में बेची जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे राज्य के घरेलू उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वस्तु एवं सेवा कर एक ‘गंतव्य आधारित कर’ है। यह सुनिश्चित करने के लिए अंतर-राज्य व्यापार या वाणिज्य के दौरान सप्लाई किए जाने वाले सभी सामान और सेवाओं पर एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) लगाया जाएगा। जीएसटी के अंतर्गत, किसी भी अन्य राज्य से ऐसी आपूर्ति खरीदने वाले वस्तु या सेवा के किसी भी डीलर द्वारा आईजीएसटी का भुगतान विक्रेता को किया जाता है, लेकिन वह भुगतान किए गए इस आईजीएसटी का क्रेडिट बाद में होने वाली बिक्री के तहत लेने में सक्षम होगा। वित्त मंत्री ने उल्लेख किया है कि यदि 1 जुलाई, 2017 को जम्मू-कश्मीर अपने यहां जीएसटी लागू नहीं कर पाता है, तो 1 जुलाई के बाद दूसरे राज्यों से इस राज्य द्वारा की जाने वाली सभी खरीद के लिए डीलर इस आईजीएसटी का क्रेडिट नहीं ले पाएगा, जो खरीदी गई वस्तु या सेवा की कीमत में शामिल होगा। ऐसे में टैक्स पर टैक्स अदा करना पड़ेगा और जम्मू-कश्मीर के अंतिम उपभोक्ताओं के लिए संबंधित वस्तु या सेवा की कीमत बढ़ जाएगी।
इसी तरह, जम्मू-कश्मीर से दूसरे राज्यों को बेचने वाली वस्तुओं या सेवाओं के मामले में जम्मू-कश्मीर से खरीदारी करने वाले राज्य का खरीदार बिक्री करने वाले डीलर को अदा किए गए स्थानीय करों का क्रेडिट नहीं ले पाएगा, जिससे उनकी लागत में इजाफा होगा। कीमत में इस तरह के करों के शामिल हो जाने के कारण उसकी खरीदारी लागत बढ़ जाएगी। ऐसी स्थिति में जम्मू-कश्मीर राज्य के व्यापार और उद्योग जगत को प्रतिस्पर्धा में नुकसान उठाना पड़ेगा।
वित्त मंत्री ने अंतत: मुख्यमंत्री से जम्मू-कश्मीर में जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है, क्योंकि इसमें देरी होने पर उस अवधि के दौरान राज्य के उपभोक्ताओं और उद्योग जगत दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा।