नई दिल्लीः ‘‘केन्द्र सरकार राज्यों को 482 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान कर रही है। राज्यों की 45 परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाया जाएगा। मैं राज्यों से आग्रह करता हूं कि वे इस संबंध में प्रस्ताव दें या परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाने के लिए योजना सामने रखें’’। केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जे.पी.नड्डा ने उक्त बातें आज यहां खाद्य सुरक्षा व पोषण पर एफएसएसएआई द्वारा आयोजित स्वास्थ्य मंत्रियों के पहले गोलमेज सम्मेलन के दौरान कहीं। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे तथा उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, तेलंगाना, पुद्दुचेरी और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री भी इस गोलमेल बैठक में शामिल हुए।
श्री जे.पी. नड्डा ने आगे कहा कि धनराशि की कोई समस्या नहीं होगी और प्रत्येक राज्य में उच्च मानकों वाली एक सरकारी परीक्षण प्रयोगशाला होनी चाहिए। बड़े राज्यों में दो प्रयोगशालाएं हो सकती है। प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पहले राज्यों ने कुछ चिंताएं व्यक्त की थी, लेकिन अब यह कार्यक्रम अत्यधिक सफल है। पूरे देश में 539 डायलिसिस इकाइयों की मदद से 1.76 लाख रोगियों ने इस निशुल्क सेवा का लाभ उठाया है।
श्री नड्डा ने कहा कि खाद्य मानकों को लागू करने में पारदर्शिता होनी चाहिए। जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सभी खाद्य व्यापार को लाइसेंस के अंतर्गत लाया जाना चाहिए। साथ ही हमें यह सावधानी बरतनी चाहिए कि खाद्य व्यापार पर अतिरिक्त नियमों का बोझ न डाला जाए।
श्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि रोग और उपचार की बजाय बचाव और सुरक्षा को महत्व दिया जाना चाहिए। सरकार ने 1.5 लाख स्वास्थ्य उप-केन्द्रों को ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण’ केन्द्रों के रूप में परिणत करने का निर्णय लिया है। इन केन्द्रों पर मधुमेह, हाईपरटेंशन, कैंसर आदि की जांच हो सकेगी। इससे रोगों के बचाव करने संबंधी व्यवस्था को मजबूत करने में तथा रोगियों को विशेष चिकित्सा सहायता के लिए भेजने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 का मुख्य लक्ष्य हैं – सुरक्षित व पोषण युक्त खाद्य की उपलब्धता और खपत। नई राष्ट्रीय नीति रोगों से बचाव के सिद्धांत को बढ़ावा देती है। नई नीति का लक्ष्य मधुमेह और हृदय संबंधी रोगों से होने वाली मौतों में कमी लाना है।
स्वास्थ्य सचिव श्रीमती प्रीति सूदन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों को सहायता देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि देश में गैर-संक्रामक बीमारियों की बढ़ती घटनाओं से हम सभी वाकिफ है। इसका सामना करने के लिए नागरिकों में स्वस्थ खाद्य आदतों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। खाद्य के प्रति आम लोगों के विश्वास को बढ़ाने के लिए हमें मिलकर कार्य करना चाहिए। एक स्वस्थ राष्ट्र के लिए लोगों को स्वच्छ तथा उचित भोजन करने के लिए आग्रह किया जाना चाहिए।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्लीन स्ट्रीट फूड हब और खाद्य उत्सवों के लिए फ्रेमवर्क जारी किया। इससे स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के क्षमता विकास में सहायता मिलेगी। मंत्री महोदय ने एफएसएसएआई का स्वस्थ भारत खाद्य कलैंडर भी जारी किया। अपनी तरह का यह पहला कलैंडर है, जिसमें भारत के मुख्य त्यौहारों तथा इनसे जुड़े खाद्यों को दर्शाया गया है। एफएसएसएआई की नई वेबसाइट का भी आज शुभारंभ किया गया।
इस गोलमेज सम्मेलन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने बीमारियों की वजह से होने वाली आर्थिक हानि का आकलन प्रस्तुत किया। आकलन के अनुसार बीमारियों के कारण भारत की जीडीपी में 0.5 प्रतिशत (28 बिलियन डॉलर) की हानि होती है।
गोलमेज बैठक के दौरान राज्य स्वास्थ्य मंत्रियों ने एक सात सूत्री चार्टर को स्वीकार करने की घोषणा की।
- कड़े खाद्य सुरक्षा मानकों को विकसित करना और सुरक्षित खाद्य अभ्यास संहिता तैयार करना।
- एक सकारात्मक नियामक वातावरण का निर्माण करना।
- एक विश्वसनीय राष्ट्रीय खाद्य परीक्षण प्रणाली स्थापित करना।
- सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करना तथा भोजन की अच्छी आदतों को विकसित करना।
- सुरक्षित और पोषक भोजन के लिए नागरिकों में व्यवहार संबंधी बदलाव लाना।
- खाद्य व्यवसाय में स्व-प्रमाणन की संस्कृति को विकसित करना।
- उचित वित्तीय सहायता से प्रभावी संस्थानों को विकसित करना।
इस गोलमेज बैठक में राज्यों के स्वास्थ्य सचिव व खाद्य सुरक्षा आयुक्त, स्वास्थ्य मंत्रालय, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय तथा महिला व बाल विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, एफएसएसएआई, उद्योग जगत, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रतिनिधि तथा टाटा ट्रस्ट, गेन व पाथ के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।