नई दिल्ली: ‘हम जनसंख्या में स्थिरता लाने के मुद्दे को जीवन चक्र संरचना के भीतर लाने पर विचार कर रहे हैं। इस कार्य नीति के एक हिस्से के रूप में, गर्भधारण के समय से बच्चे के बढ़ने के समय तक मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रम गर्भवती माता एवं शिशु की टीकाकरण आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं जो किशोरावस्था के चरण तक एवं और आगे तक जारी रहते हैं। इसके अतिरिक्त, यह विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के जरिए क्रियान्वित की जा रही व्यापक कार्य नीति का भी एक हिस्सा है।’ ये उद्गार केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने आज नए दिल्ली के प्रवासी भारतीय केंद्र में विश्व जनसंख्या दिवस 2018 के अवसर पर ‘जनसंख्या स्थिरीकरणः एक अधिकार एवं जिम्मेदारी’ आधारित कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। इस कार्यशाला का आयोजन संयुक्त रूप से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा जनसंख्या स्थिरता कोष द्वारा किया गया।
मंत्री महोदय ने कहा कि यह देश के लिए गर्व की बात है कि हम कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में लगातार गिरावट हासिल करने में सक्षम रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2015 के 2.9 के टीएफआर से हम 2018 में 2.2 की टीएफआर दर के निकट पहुंच गए है जिसका अर्थ यह है कि भारत ने इसमें गिरावट की एक अच्छी गति अर्जित कर रखी है।
श्री नड्डा ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों का एक आर्थिक पहलू भी है क्योंकि देश की जनसंख्या का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब जनसंख्या स्वस्थ हो। मिशन परिवार विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में फोकस इस बात पर है कि परिवार नियोजन के विस्तारित होते विकल्प के बारे में जागरूकता पैदा की जाए तथा यह सुनिश्चित की जाए कि सेवाओं तक लोगों की सुगमता से पहुंच हासिल हो।
समारोह में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव सुश्री प्रीति सुडान, एएस एवं एमडी श्री मनोज झालानी, जनसंख्या स्थिरता कोष की कार्यकारी निदेशक श्रीमती प्रीतिनाथ एवं मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा विकास साझेदारों के प्रतिनिधि शामिल थे।