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श्री थावरचंद गहलोत ने दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण पर केन्द्रित “पूर्वी क्षेत्र सम्मेलन” का उद्घाटन किया

श्री थावरचंद गहलोत ने दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण पर केन्द्रित “पूर्वी क्षेत्र सम्मेलन” का उद्घाटन किया
देश-विदेश

नयी दिल्ली: केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकरिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण से सम्बन्धित विषयों पर आधारित “पूर्वी क्षेत्र सम्मेलन” का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग और सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में असम,अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, सिक्किम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकरिता राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग के सचिव श्री एन.एस. कंग तथा दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग के केन्द्रीय अधिकारी व सम्बन्धित राज्यों के  अधिकारी उपस्थित थे।

अपने उद्घाटन भाषण में, श्री थावरचंद गहलोत कहा कि नया दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम, 2016 ने दिव्यांग जनों के अधिकारों को व्यापकता प्रदान किया है और साथ ही साथ पुराने दिव्यांग जन अधिनियम, 1995 को निरस्त किया है। नया अधिनियम राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को यह जिम्मेदारी देता है कि वे ऐसी व्यवस्था करें कि दिव्यांग सामान्य नागरिकों के समान ही अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें। राज्य सरकारों का यह उत्तरदायित्व है कि वे दिव्यांग क्षेत्र में काम करने वाले संस्थाओं के पंजीकरण हेतु संस्थागत अवसंरचना विकसित करें। यहां यह जानकारी देना आवश्यक नही है कि नये अधिनियम में इसके प्रावधानों के उल्लंघन पर दण्डात्मक कार्रवाई की व्यवस्था है।

उन्होंने कहा कि विभाग “दिव्यांग के विशिष्ट पहचान पत्र” की एक योजना को कार्यान्वित करने जा रहा है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगों का एक डाटाबेस तैयार किया जा सके और प्रत्येक दिव्यांग को विशिष्ट पहचान पत्र निर्गत किया जा सके।

      श्री गहलोत ने आगे कहा कि उनका मंत्रालय 5300 से अधिक एडीआईपी कैम्प आयोजित कर चुका है। एडीआईपी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग जनों द्वारा टिकाऊ, आधुनिक, स्तरीय तथा वैज्ञानिक तरीके से निर्मित यंत्रों और उपकरणों को प्राप्त करने में उनकी सहायता की जा सके। इन यंत्रों और उपकरणों से दिव्यांगों की शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पुर्नवास में  मदद मिलेगी।

अपने सम्बोधन में श्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि भारत सरकार ने दिव्यांग जनों के कल्याण के लिए कई उपयोगी योजनाएं प्रारंभ की हैं। उन्होनें आशा जताई कि इस सम्मेलन में व्यक्त किये गए विचारों से सभी संबंधित विभागों/लोगों को लाभ होगा। दिव्यांग जन हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और केन्द्रीय सरकार द्वारा उनके कल्याण के लिए प्रारंभ की गई सभी योजनाओं को राज्य सरकारों द्वारा सही तरीके से लागू किया जाना चाहिए।

यह सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस क्रम में दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग द्वारा चार क्षेत्रीय सम्मेलन पहले ही आयोजित किये जा चुके है- 11 मई, 2017 को मुंबई में पश्चिम क्षेत्रीय सम्मेलन ; 12 मई, 2017 को चेन्नई में दक्षिण क्षेत्रीय सम्मेलन; 26 मई, 2017 को चंडीगढ़ में उत्तर क्षेत्रीय सम्मेलन तथा 2 जून, 2017 को भोपाल में मध्य क्षेत्रीय सम्मेलन।

 सम्मेलन के दौरान पूर्वी राज्यों से संबंधित निम्नलिखित एजेंडे पर  चर्चा हुई:-

  1. दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम, 2016 पर चर्चा और इसके कार्यान्वयन में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की भूमिका।
  2. विभाग की निम्न योजनाओं/कार्यक्रमों की समीक्षा
  • सुगम्य भारत अभियान की प्रगति
  • एसआईपीडीए योजना के तहत उपयोग प्रमाणपत्रों की प्रस्तुति।
  • डीडीआरसी योजना।
  • अन्य विषय जैसे सीआरसी/डीडीआरएस/एडीआईपी/ कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना/छात्रवृति योजनाएं/डीबीटी की कार्य प्रगति।
  • यूडीआईडी योजना के तहत दिव्यांग प्रमाणपत्र जारी करना।

हाल ही में केन्द्रीय सरकार ने दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम, 2016  पारित किया जो 19 अप्रैल,2017 से लागू हो गया है। नये अधिनियम में दिव्यांगों को बहुत सारे अधिकार दिये गये है। नया अधिनियम राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों पर यह जिम्मेदारी देता है कि वे ऐसी व्यवस्था करें कि दिव्यांग दूसरे नागरिकों के समान ही अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें। यह अधिनियम राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश को यह जिम्मेदारी देता है कि वे ऐसी योजनाएं/कार्यक्रम बनाए तथा ऐसी अवसंरचना विकसित करें कि  दिव्यांगों का सशक्तिकरण और समावेश सुनिश्चित हो सके। केन्द्र सरकार अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों को नए तरीके से निर्मित करने की  प्रक्रिया में संलग्न है और राज्य सरकारों व केन्द्र शासित प्रदेशों से यह आशा की जाती है कि वे भी अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों में  तदनुसार परिवर्तन करें। इसी परिप्रेक्ष्य में पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में हुआ।

इस अधिनियम में दिव्यांगता को गतिशील और व्यापक अर्थ में पारिभाषित किया गया है। दिव्यांगता के प्रकारों की संख्या 7 से बढ़ाकर 21 कर दी गई है। दिव्यांगता के 21 प्रकार निम्न हैं:-

1.नेत्रहीनता 2.दृष्टिहीनता 3.कुष्ठ उपचारित जन 4. श्रवण दुर्बलता (बहरापन और सुनने में परेशानी) 5.गतिहीनता 6. बौनापन 7. बौद्धिक दुर्बलता 8. मानसिक रूग्णता 9.स्वलीनता 10. मस्तिष्क पक्षाघात 11. मांसपेशीय दुर्विकास 12.दीर्घकालिक मानसिक स्थितियां 13. विशेष अध्ययन दुर्बलता 14. विविध स्लोरोसिस 15.बोलने और भाषा की दुर्बलता 16.थैलेसीमिया 17.होमो फीलिया 18.लाल रक्त कोशिका रोग 19.बहरेपन और नेत्रहीनता से जुड़ी विविध दिव्यांगता 20.एसिड हमले का पीड़ित और 21. पारकिंसन रोग।

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