नई दिल्ली: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलौत ने आज नई दिल्ली में ‘डाउन सिड्रोम’ के बारे में राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्णपाल गुज्जर और श्री विजय सांपला भी मौजूद थे। इस अवसर पर श्री एन.एस. कांग, सचिव, डीईपीडब्ल्यूडी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, डा. केके पांडेय अध्यक्ष नेशनल ट्रस्ट, श्री मुकेश जैन, जेएस एंड सीईओ, नेशनल ट्रस्ट, केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, सिविल सोसायटियों के प्रतिनिधि और डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों के अभिभावक भी मौजूद थे।
सम्मेलन का आयोजन आटिज्म, सेरेब्रल पल्सी, मेंटल रिटार्डेशन और मल्टीपल डिसेबिलिटीज़ से पीड़ित व्यक्तियों के कल्याण संबंधी नेशनल ट्रस्ट द्वारा किया गया। यह ट्रस्ट सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक पंजीकृत संगठन के रूप में कार्यरत है। डाउन सिंड्रोम एक क्रोमोसोमल स्थिति है, जिसका संबंध बुद्धि और सीखने की क्षमताओं के साथ है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में देरी से विकास और व्यवहारगत समस्याएं अक्सर देखने को मिलती हैं। श्री थावर चंद गहलोत ने लोगों का आह्वान किया कि वे डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों के सभी प्रकार की मदद देने के लिए आगे आएं।
इस अवसर पर श्री कृष्ण पाल गुज्जर ने अपने संबोधन में इस बात पर चिंता प्रकट की कि हर वर्ष देश में 20 से 22 हजार बच्चे डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है।
श्री विजय सांपला ने कहा कि इस विकलांगता के साथ रह रहे लोगों के सशक्तिकरण की आवश्यकता है। उन्होने सभी विभागों, स्वास्थ्य व्यवसायियों, सिविल सोसायटियों के सदस्यों और अन्य सम्बद्ध पक्षों से अपील की कि वे ऐसे व्यक्तियों की सहायता करें। श्री एन एस कांग ने विभाग द्वारा देश में दिव्यांगजनों के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला।
डा. केके पांडेय ने नेशनल ट्रस्ट अधिनियम के अंतर्गत दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए नेशनल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे विभिन्न उपायों की जानकारी दी।
एक दिन के सम्मेलन में इस क्षेत्र से सम्बद्ध अनेक विशेषज्ञों और व्यवसायियों ने हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र के बाद डाउन सिंड्रोम से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर परिचर्चाएं आयोजित की गईं, जिनमें विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
2 comments