नई दिल्ली: केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कल नई दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 6 राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में चल रही सीवेज अवसंरचना से संबंधित परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की।
बैठक को संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सभी लंबित परियोजनाएं दिसंबर 2018 से पहले पूरी हो जानी चाहिए। कुछ परियोजनाओं की धीमी प्रगति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि फाइल संबंधित कार्यों और निविदा प्रक्रिया में देरी को सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक सामान्य धारणा है कि नमामि गंगे के तहत कोई कार्य नहीं हो रहा है। मंत्री महोदय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह इस धारणा को पारदर्शिता, भ्रष्टाचारमुक्त, समयबद्ध और गुणवत्तापूर्वक कार्यों के जरिए बदलें।
श्री गडकरी ने कहा कि वह परियोजनाओं के निष्पादन के लिए अधिकारियों को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करने में विश्वास रखते है लेकिन साथ ही उनसे नियत समय पर परिणाम की अपेक्षा करते हैं। इस बैठक में डीपीआर तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में हो रहे विलंब से ठेकेदारों को भुगतान में हो रही देरी और निविदाओं को अंतिम रूप देने संबंधित कई महत्वपूर्ण कारणों पर भी चर्चा हुई और सुझाव भी दिए गए। मंत्री महोदय का मानना था कि नवीनतम विधियों और आधुनिक तकनीक का प्रयोग न केवल गंगा की सफाई के लिए होना चाहिए बल्कि इसका प्रयोग गंगा की सहायक नदियों जैसे अलकनंदा, भागीरथी, रामगंगा, काली, हिंडन की सफाई के लिए भी किया जाना चाहिए। मंत्री महोदय ने कहा कि जब तक इन नदियों को साफ नहीं किया जाता है तब तक हम ‘निर्मल और अविरल गंगा’ के सपने को पूरा नहीं कर सकते हैं।
इस बैठक में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह, मंत्रालय के सचिव डॉ. अमरजीत सिंह, राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन के अधिकारी तथा सभी छह राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिकारीगण भी मौजूद थे।
गंगा नदी की के किनारे कुल 97 कस्बे (श्रेणी I से लेकर VI श्रेणी तक) स्थित हैं। 55 कस्बों में आवश्यक सीवेज प्रबंधन का कार्य पूरा हो चुका है। इनमें से 10 कस्बे 1622 एमएलडी गंगा में प्रवाहित करते हैं जो 97 कस्बों के कुल सीवेज (2593 एमएलडी) का लगभग 63 फीसदी है। अभी तक की सभी परियोनाओं के साथ उत्तराखंड और झारखंड ने अपने सभी शहरों से सीवेज के संदर्भ में कवर किया है। मुगल सराय (यू.पी.), छपरा (बिहार), दानापुर (बिहार) के तीन कस्बों में अभी सीवेज का कार्य बाकी है, जहां वर्तमान सीवेज उत्पादन क्रमश: 15, 21 और 27 एमएलडी है। पश्चिम बंगाल के बहरामपुर और नवद्वीप नामक दो शहरों की परियोजनाएं पाइप लाइन में है और जल्द ही इनकी मंजूरी मिलने की उम्मीद की जा रही है। इन कस्बों के लिए प्रस्तावित एसटीपी क्षमता क्रमश: 15 और 13 एमएलडी है। 11 कस्बों (उत्तराखंड-1, यू.पी.-3, बिहार-3, पश्चिम बंगाल-4) कम प्राथमिकता वाले कस्बे हैं। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल में 19 शहर कम प्राथमिकता वाले शहर हैं।