नई दिल्ली: केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयुष गोयल ने पर्यावरण 2017 विषय पर आयोजित विश्व सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिदृश्य में इस तरह के सम्मेलन अत्यंत सराहनीय हैं, क्योंकि इस तरह के सम्मेलनों में होने वाली चर्चा जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में नए विचारों को पैदा करने में मदद करने के साथ-साथ पर्यावरण एवं जलवायु से जुड़े विभिन्न संवेदनशील विषयों की ओर हमारा ध्यान केन्द्रित करते हैं। श्री गोयल ने कहा कि हम इस ग्रह पर रह रहे हैं और इसके संसाधनों का इस तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कि भविष्य में हमें किसी अन्य ग्रह पर जाना हो।
मंत्री ने कहा कि यह ऐसा समय है, जब मनुष्य समझता है कि जलवायु परिवर्तन का कारण मनुष्य ही है और वह ही इस समस्या का समाधान कर सकता है। उन्होंने उल्लेख करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से सबसे अधिक नुकसान गरीबों और वंचित वर्ग के लोगों को हुआ है। वर्ष 1911 में महात्मा गांधी ने ‘प्रकृति की अर्थव्यवस्था’ पंक्ति का इस्तेमाल किया था, जिसने प्रकृति द्वारा की जाने वाली आपूर्ति और मानव अस्तित्व की मांग की आवश्यकता के बारे में विस्तार से चर्चा की गई थी। मंत्री ने महात्मा गांधी की बात का उदाहरण देते हुए कहा कि पृथ्वी प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराती है, मगर लोगों के लालच की पूर्ति के लिए नहीं।
जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बात करते हुए श्री गोयल ने कहा कि सरकार ऊर्जा, पर्यावरण एवं बढ़ती अर्थव्यवस्था की ऊर्जा ज़रूरतों को संतुलित करने की दिशा में 360 प्रतिशत समग्र दृष्टिकोण को अपना रही है। सरकार इस बात को लेकर वचनबद्ध है कि इस राष्ट्र को पर्यावरण को बचाना एवं उसका संरक्षण करना होगा एवं आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण करना होगा।
सरकार द्वारा प्रकाश के बोझ को कम करने के लिए सभी लाइटों को एलईडी लाइट्स से बदला जा रहा है, सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना कॉर्बन उत्सर्जन को करीब 80 मिलियन टन की दर से सालाना कम करेगा और आर्थिक रूप से बेहतर यह परियोजना लोगों के बिजली के बिलों में सालाना करीब 4000 करोड़ रुपये की बचत करेगी। मंत्री ने कहा कि भारत थर्मल पॉवर पर निर्भरता वाली अर्थव्यवस्था से नवीकरणीय ऊर्जा वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। सौर ऊर्जा कार्यक्रम को 20 गीगावॉट से बढ़ाकर, वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है, और मैं आपको आश्वासन देता हूं कि पेरिस में हमने जो भी वादे किए थे, वे न सिर्फ पूरे होंगे, बल्कि सरकार के प्रयासों द्वारा हम इन वादों और लक्ष्यों से भी आगे निकल जाएंगे।
खनन क्षेत्र को अधिक दक्ष बनाने की दिशा में सरकार की योजनाओं के बारे में बातचीत करते हुए श्री गोयल ने कहा कि यह क्षेत्र प्रत्येक दिन ऊर्जा के प्रति अधिक दक्ष और पर्यावरण के प्रति जागरूक होता जा रहा है। सरकार देशभर में खनन के दौरान निकलने वाले पानी का सदुपयोग करने की दिशा कार्य करने के बारे में विचार कर रही है, ताकि संबंधित क्षेत्र में रह रहे लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के साथ-साथ नदी पुनरुद्धार और ज़मीनी जल का स्तर ऊंचा उठाने में इसका इस्तेमाल किया जा सके।
देशभर में सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में परिवर्तित करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को बारे में बात करते हुए श्री गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ मंत्रियों के एक समूह को इस संबंध में निर्देश देकर कहा है कि वर्ष 2030 तक इस दिशा में पर्याप्त काम कर, ज़्यादातर वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में परिवर्तित करें। मंत्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत के वाहनों का इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तन होने से देशभर में करीब 100 बिलियन डॉलर सालाना जीवाश्म ईंधन की बचत होगी। सरकार द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत वर्ष 2030 तक अपने सभी वाहनों को राजस्थान की केवल एक फीसदी भूमि का इस्तेमाल कर सृजित की जाने वाली सौर ऊर्जा से ही चला सकता है।
श्री गोयल ने यह कहकर अपनी बात का समापन किया कि भारत उसके पीछे नहीं भागता जिसके पीछे दुनिया भागती है, मगर दुनिया उसके पीछे ज़रूर आती है, जिस क्षेत्र में भारत बढ़त बनाता है। उन्होंने स्टीव जॉब्स द्वारा कही गई बात का उदाहरण देते हुए कहा कि उठो और बीते कल की चिंता करने के बजाय आने वाले कल के बारे में सोचो एवं अविष्कार करो।
कार्यक्रम के दौरान अन्य गणमान्य अतिथियों में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार, भारत के सॉलिसिटर जनरल श्री रंजीत कुमार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री अजय नारायण झा के अलावा कई विदेश गणमान्य अतिथि, राजदूत, पर्यावरणविद् एवं छात्र मौजूद थे।
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