नई दिल्ली: केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा और खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने आज यहां तीन दिन तक चलने वाली 8वीं विश्व नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी कांग्रेस में भाग ले रहे प्रतिनिधियों को संबोधित किया। श्री गोयल ने इस सम्मेलन के उदघाटन सत्र के दौरान एनर्जी एंड एनवायरमेंट फाउंडेशन ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्डस 2017 भी प्रदान किये।
इस वार्षिक सम्मेलन की परिकल्पना और योजना ‘2022 तक सब के लिए ऊर्जा स्वतंत्रता और बिजली’ प्राप्त करने के भारत के विजन की पृष्ठभूमि में तैयार की गई है। यह सम्मेलन स्वच्छ, विश्वसनीय और किफायती ऊर्जा आपूर्तियां सुनिश्चित करने के लिए नवीन हरित प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केन्द्रित करता है। यह विशेषज्ञों, निवेशकों और अन्य हितधारकों यथा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, सलाहकार समूहों, सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, गैर लाभकारी संगठनों, पर्यावरणविदों और शिक्षाविदों को एक मंच पर लाते हुए सूचना का आदान-प्रदान करने, अनुभव और बेहतरीन पद्धतियों को साझा करने का अवसर प्रदान करता है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री गोयल ने कहा कि पिछले 10 से 15 वर्षों में दुनियाभर में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि होने के कारण वातावरण की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट देखी गई है और यह संभवत: आज मानवता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। श्री गोयल ने कहा कि सौभाग्य से, पेरिस समझौते के बाद समूचे विश्व ने स्वीकार किया है कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मसला है और इसको दुनियाभर में मिशन मोड में हल किये जाने की आवश्यकता है।
श्री गोयल ने सूचित किया कि भारत इस चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक मंच पर अनेक अनुबंधों की अगुवाई कर रहा है, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), मिशन इनोवेशन, ऊर्जा क्षेत्र के त्वरित डी-कार्बनिज़ेशन के संबंध में वैश्विक अनुबंध, अफ्रीकी नवीकरणीय ऊर्जा पहल शामिल हैं। जी-20 देशों के ऊर्जा मंत्री अन्य बातों के अलावा, इस बात का पता लगाने के लिए एकजुट हो रहे हैं कि विश्व के बेहतर भविष्य के लिए क्या किया जा सकता है।
श्री गोयल ने 3-डी के बारे में भी चर्चा की, जिस पर विश्व को अपनी ऊर्जा केन्द्रित करने की जरूरत है। ये 3-डी हैं : – ऊर्जा क्षेत्र के डी-कार्बनिज़ेशन का साझा लक्ष्य, ऊर्जा क्षेत्र का और अधिक विकेन्द्रीकरण करने की संभावनाओं पर विचार करना तथा ऊर्जा क्षेत्र का अधिक से अधिक डिजिटीकरण। उन्होंने कहा, ‘हर गुजरते दिन के साथ समय घटता जा रहा है और हमें स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने तथा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए आपस में तालमेल बैठाते हुए प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता है। अगर हमने इन 3-डी का मामला नहीं सुलझाया, तो मुझे चिंता है कि विश्व को वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का सामना करना पड़ सकता है।’
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकीय प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए श्री गोयल ने कहा, ‘मुझे पक्का यकीन है कि प्रौद्योगिकी का यह प्रारंभ विशेषकर भारत जैसी उभरती और बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के लिए, नवीकरणीय ऊर्जा को ज्यादा आकर्षक बनाएगा, विशेषकर उस समय जब ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों के अन्य स्वरूपों की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा की लागत कम है।’
इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में श्री के एस पोपली, सीएमडी भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण लिमिटेड (आईआरईडीए), श्री उपेन्द्र त्रिपाठी, डीजी, आईएसए तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हस्तियां मौजूद थीं।