किसी भी अर्थव्यवस्था के प्रभावी कामकाज के लिए उचित, सटीक और मानक भार तथा मापतौल का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कम तोलने और कम मापने की बेईमानी से सुरक्षा के रूप में उपभोक्ताओं के संरक्षण में अनिवार्य भूमिका निभाता है। यह सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्य है।
श्री राम विलास पासवान ने बताया कि लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 को पूर्व पैक की गई वस्तुओं को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया था। इन नियमों के तहत पहले ही पैक की गई वस्तुओं को कुछ आवश्यक लेबल लगाने वाली जरूरतों का अनुपालन करना होता है। नियमों को लागू करने के अनुभव के आधार और हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद विभाग ने नियमों में संशोधन किया है, जिनका उद्देश्य उपभोक्ताओं का संरक्षण बढ़ाना है, लेकिन इसके साथ ही व्यापार करने के काम को सरल बनाने की जरूरत के साथ भी संतुलन बनाना है। इन संशोधनों की कुछ मुख्य विशेष्ताएं इस प्रकार हैं –
- ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर विक्रेता द्वारा प्रदर्शित वस्तुओं के बारे में इन नियमों के तहत घोषणाएं करने की जरूरत है। जैसे निर्माता, पैकर और आयातक का नाम और पता, वस्तु का नाम, शुद्ध घटक, खुदरा बिक्री मूल्य, उपभोक्ता देखरेख शिकायत और आयाम आदि का लेखा-जोखा होना चाहिए।
- नियमों में विशेष उल्लेख किया गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी समरूप पूर्व पैक की गई सामग्री पर विभिन्न अधिकतम खुदरा मूल्य (दोहरे एमआरपी) की घोषणा नहीं करेगा, जब तक कि नियमों के तहत इसकी अनुमति न हो। इससे उपभोक्ताओं को व्यापक लाभ होगा, क्योंकि उन्हें सिनेमा हॉल, हवाई अड्डों और मॉल आदि जैसे सार्वजनिक स्थलों पर वस्तुओं के दोहरे खुदरा मूल्यों के संबंध में शिकायत रहती है।
- घोषणा करने के लिए अक्षरों और अंकों का आकार बढ़ाया गया है, ताकि उपभोक्ता उन्हें आसानी से पढ़ सकें।
- शुद्ध मात्रा जांच को ई-कोडिंग की मदद से अधिक वैज्ञानिक बनाया गया है।
- बार कोड/क्यूआर कोडिंग को स्वेच्छा के आधार पर अनुमति दी गई है।
- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत खाद्य वस्तुओं पर घोषणाओं के संबंध में प्रावधानों को लेबलिंग विनियमों के साथ समरूप बनाया गया है।
- चिकित्सकीय उपकरण जिन्हें दवाइयों के रूप में घोषित किया गया है, स्टेंट, वाल्व, ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट्स, सिरिंज, ऑपरेशन के उपकरण आदि चिकित्सकीय उपकरणों के लिए उपभोक्ता परेशानी अनुभव कर रहे हैं, क्योंकि इन उपकरणों को उपभोक्ताओं की भुगतान क्षमता के आधार पर बेचा जाता था। यहां तक कि एमआरपी की सीमा को भी अनेक कंपनियां प्रदर्शित नहीं कर रही थीं। एमआरपी के अलावा प्रमुख घोषणाओं को भी प्रदर्शित करने की जरूरत है। इसलिए इन्हें इन नियमों के तहत की गई घोषणाओं के तहत लाया जाता है।
- संस्थागत उपभोक्ता की परिभाषा को बदल दिया गया है, ताकि किसी संस्थान द्वारा अपने निजी उपयोग के लिए वाणिज्यिक लेन-देन/वस्तुओं की खुदरा बिक्री की संभावनाओं को रोका जा सके।
- ये नियम 1 जनवरी, 2018 से लागू होंगे।
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