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संसद के मानसून सत्र से पूर्व प्रधानमंत्री के वक्तव्य का मूल पाठ

संसद के मानसून सत्र से पूर्व प्रधानमंत्री के वक्तव्य का मूल पाठ
देश-विदेश

नई दिल्ली: आज मानसून सत्र का प्रारंभ हो रहा है। गर्मी के बाद, पहली वर्षा एक नई सुगंध मिट्टी में भर देती है, वैसे यह मानसून सत्र जीएसटी की सफल वर्षा के कारण, पूरा सत्र नई सुगंध और नई उमंग से भरा हुआ होगा। जब देश के सभी राजनीतिक दल, सभी सरकारें सिर्फ और सिर्फ राष्‍ट्रहित के तराजू पर तोल करके निर्णय करती हैं, तो कितना महत्‍वपूर्ण राष्‍ट्रहित का काम होता है, वो जीएसटी में सफल और सिद्ध हो चुका है। ‘Growing Stronger Together’ यह जीएसटी spirit का दूसरा नाम है। यह सत्र भी उस जीएसटी spirit के साथ आगे बढ़े।

यह सत्र अनेक रूप से महत्‍वपूर्ण है। 15 अगस्‍त को आजादी के सात दशक यात्रा पूर्ण कर रहे हैं। 09 अगस्‍त को सत्र के दरम्‍यान ही अगस्‍त क्रांति के 75 साल हो रहे हैं। ‘Quit India’ Movement के 75 साल का यह अवसर है। यही सत्र है जब देश को नये राष्‍ट्रपति और नये उपराष्‍ट्रपति चुनने का अवसर मिला है। एक प्रकार से राष्‍ट्र जीवन के अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण घटनाओं से भरा हुआ यह कालखंड है। और इसलिए स्‍वाभाविक है कि देशवासियों का ध्‍यान हमेशा की तरह इस मानसून सत्र पर विशेष रहेगा।

जब हम मानसून सत्र का प्रारंभ कर रहे हैं तो उस प्रांरभ में, हम देश के उन किसानों को नमन करते हैं जो इस ऋतु में कठोर परिश्रम करके देशवासियों के खाद्य सुरक्षा का इंतजाम करते हैं और उन्‍हीं को नमन करते हुए यह सत्र का प्रारंभ होता है।

इस मानसून सत्र में मुझे विश्‍वास है कि सभी राजनीतिक दल, सभी मान्‍य सांसद गण राष्‍ट्रहित के महत्‍वपूर्ण फैसले ले करके, उत्‍तम स्‍तर की चर्चा करके, हर विचार में value-addition करने का प्रयास, हर व्‍यवस्‍था में value-addition का प्रयास हम सब मिल करके करेंगे, ऐसा मेरा पूरा विश्‍वास है।

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