देहरादून: प्रदेश के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कार्यालय कक्ष में संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कैलाश मानसरोवर जाने वाले स्थानीय तीर्थ यात्रियों की आर्थिक सहायता बढ़ाकर 30 हजार रू0 करने की स्वीकृति दी। वर्तमान में यह 25 हजार है। उन्होंने विभाग में संचालित गुरू-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत संचालित छः माह की कार्यशालाओं में प्रतिभागी शिष्यों को 1 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय की स्वीकृति दी। वर्तमान में कार्यशाला में गुरू को 3 हजार प्रतिमाह तथा वाद्य-यंत्र बजाने वाले को 2 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। वर्तमान वित्तीय वर्ष मंे पौड़ी, देहरादून, टिहरी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ एवं अल्मोड़ा में इस तरह की 14 कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। कैबिनेट मंत्री जी की पहल पर विगत छः अगस्त से नौ अगस्त तक हरिद्वार में सम्पन्न नमो नाद कार्यशाला में प्रदेश के 1242 ढोल-दमाऊ वादकों द्वारा विभिन्न तालों में वादों का प्रदर्शन किया गया।
संस्कृति मंत्री ने प्रदेश की अन्य महान विभूतियों की जयंती को भी योजना में जोड़ने के निर्देश दिये। वर्तमान में संस्कृति विभाग द्वारा 10 सितम्बर को भारत रत्न पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त जी एवं 24 दिसम्बर को इन्द्रमणि बडोनी जी की जयन्ती मनायी जाती है। उन्होंने इसमें विक्टोरिया क्रास सम्मानित दरबान सिंह तथा गबर सिंह तथा अन्य महान विभूतियों की जयन्ती आयोजन के भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित स्मारकों जिनमें पहुच मार्ग नहीं है, के निर्माण हेतु क्षेत्रीय विधायकों से सहयोग हेतु उनकी ओर से पत्र तैयार करने के निर्देश दिये। वर्तमान में पुरातत्व विभाग के अन्तर्गत 71 पुरातात्विक स्थल/स्मारक हैं, जिनमें 47 संरक्षित एवं 24 संरक्षाणाधीन हैं तथा पर्यटन विभाग द्वारा 42 पुरातात्विक स्थल/स्मारक का अनुरक्षण किया जा रहा है, जिनमें कतिपय स्थलों में पहुच मार्ग नहीं हैं।
संस्कृति मंत्री ने संस्कृति विभाग के अधीन स्थानीय संग्राहालयों यथा पिथौरागढ़ तथा देहरादून निर्माणाधीन संग्रहालय में उत्तराखण्ड की संस्कृति के अभिलेख एवं कलाकृत्तियों को संरक्षित करने के साथ-साथ इन संग्राहालयो में पाण्डुलिपियों को डिजीटाइजेशन भी कराने के निर्देश दिये। उन्होंने धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से प्रसिद्व स्थलों जैसे भगवान कृष्ण की पौराणिक गाथा से जुड़ी चन्द्रापुरी, पाण्डवों के इतिहास से जुडे़ लाखामण्डल व अन्य तथा भगवान राम की पौराणिक गाथाओं से जुड़े देवप्रयाग, कमलेश्वर आदि स्थलों के आस-पास अवस्थापना विकास प्रस्ताव सम्बन्धित स्थल का निःशुल्क साहित्य प्रकाशन करने की आवश्यकता पर बल दिया।
संस्कृति मंत्री ने युवा साहित्यकारों एवं कलाकारों में प्रेरणा पैदा करने के लिए प्रदेश के साहित्सकारों एवं कलाकारों को सम्मानित करने की योजना का भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश निदेशक संस्कृति को दिये। उन्होंने देहरादून हवाई अड्डे में यहाँ की संस्कृति की झलक प्रदर्शन की व्यवस्था भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये, जिससे पर्यटकों में संस्कृति के प्रति आकर्षण के साथ-साथ संस्कृति का परिचय भी कराया जा सके। इसके लिए उन्होंने स्थानीय कलाकारों को भी सूचीबद्ध करने के निर्देश दिये।
संस्कृति मंत्री ने विभाग के अधीनस्थ अल्मोड़ा, पौड़ी तथा देहरादून में संचालित भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय, वृद्ध एवं विपन्न कलाकारों, लेखकों को मासिक पेंशन, राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ एवं पिथौरागढ़ में एपण, लोक सहित्व, वाद्य-यंत्रों को संरक्षित करने, स्वामी विकेकानन्द के उत्तराखण्ड से जुड़ी स्मृतियों को संरक्षित करने, पारम्परिक मेलों, पुस्तक प्रकाशन और संस्कृति से जुड़ी स्वायत्तशासी संस्थाओं को अनुदान, अनुसूचित जाति बाहूल्य क्षेत्रों में सास्कृतिक भवन निर्माण प्रस्तावों की प्रगति जनजाति कला एवं संस्कृति का अभिलेखीकरण, संरक्षण तथा उन्नयन आदि योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की।
बैठक में निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, अनुभाग अधिकारी संस्कृति गीता शरद, प्रधानाचार्य भातखण्डे अल्मोड़ा योगेश पन्त, प्रधानाचार्य भा0हि0सं0 महाविद्यालय देहरादून अरूण कुमार शर्मा एवं सहायक निदेशक आशीष कुमार सहित संस्कृति विभागीय अधिकारी मौजूद थे।