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संस्कृत सम्मेलन का शुभारम्भ कर सम्बोधित करते हुए: विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल

उत्तराखंड

देहरादून: संस्कृत भारती के तत्वाधान में देहरादून में स्थित गोवर्धन सरस्वती विद्या मन्दिर, धर्मपुर में आयोजित जनपद संस्कृत सम्मेलन का शुभारम्भ विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने किया। इस मौके पर छात्र-छात्राओं द्वारा संस्कृत विज्ञान प्रदर्शनी, संस्कृत वस्तु प्रदर्शनी संस्कृत नृत्य, गीत एवं नाटिका प्रस्तुत की गयी।

विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है। इसलिए मुझे आज इस सम्मेलन में शामिल होते हुए बहुत खुशी प्राप्त हो रही है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह लोगों के मष्तिष्क को शुद्ध करती है और इस तरह से पूरे विश्व को पवित्र करती है। संस्कृत भाषा और साहित्य एक महान निधि है, जो भारत के पास है। यह एक शानदार विरासत है। जब तक यह रहेगी और भारतीय जनमानस को प्रभावित करती रहेगी, तब तक भारत की मूल प्रतिभा समृद्ध होती रहेगी।

विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत को आधुनिक और सार्वभौमिक भाषा माना गया है। इसकी परंपरा गंगा नदी के तुलनीय है। गोमुख से निकलने और गंगा सागर जहां यह समुद्र में गिरती है, तक पहुंचने में गंगा पवित्र बनी रहती है। उसने सहायक नदियों को पावन बनाया, जिनको गंगा की प्रकृति मिली। इसी तरह संस्कृत है, जो स्वयं तो पवित्र है ही और अन्य जो भी उसके संपर्क में आया, उन सभी को पवित्र बनाया। उन्होंने कहा कि  हम सब को संस्कृत के संवर्धन, विकास और समृद्धि के लिए अपने प्रयासों को आने वाले समय में और भी मजबूत करना होगा।

इस अवसर पर नागेन्द्र व्यास जनपद संयोजक, योगेश कुकरेती कार्यक्रम संयोजक, परमानन्द शर्मा सहसंयोजक, देवीलाल प्रजापत, बबीता बहुगुणा, शिल्पा चैहान, डा0 बुद्वदेव शर्मा डा0 सूर्यमोहन भट्ट एवं अन्य लोग उर्पिस्थत थे।

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