नई दिल्लीः माननीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने ‘जीसीसीएस 2017’ के दौरान एक पूर्ण सत्र को संबोधित किया। यह पूर्ण सत्र ‘साइबर 4 ग्रोथ : सरकारों की बदली हुई भूमिका – नियामक से समर्थ बनाने की ओर’ विषय पर आयोजित किया गया जिससे प्रौद्योगिकी की अगुवाई में समावेशी एवं सतत विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। विंबलडन के लॉर्ड तारिक अहमद, जीसीएससी की अध्यक्ष सुश्री मरीना कालजुरंद और आईसीएएनएन के सलाहकार श्री तारेक कामेल ने भी इस सत्र में भाग लिया।
इस सत्र में श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘साइबरस्पेस की वास्तविक ताकत डिजिटल सामग्री के आर्थिक एवं सामाजिक लाभों के अलावा गरीबों तथा आम नागरिक के सशक्तिकरण में भी निहित है, जो बाजारों तक मुक्त पहुंच सुनिश्चित करने के साथ-साथ सार्वजनिक हित से जुड़े उद्देश्यों के प्रतिपालन का भी एकमात्र तरीका है।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘समस्त क्षेत्रों (सेक्टर) के बिजनेस मॉडलों में न केवल व्यवधान नजर आ रहे हैं, बल्कि उनमें पूरी तरह से बदलाव देखने को मिल रहा है। अंतर-व्यक्तिगत तथा प्रोफेशनल दोनों ही संचार में समय एवं स्थान की सीमाएं समाप्त हो गई हैं। सरकारों एवं उनकी एजेंसियों का स्वरूप तथा ढांचा प्रतिक्रियात्मक की बजाय अत्यंत सक्रिय हो गया है। आज प्रौद्योगिकी फिर से यह परिभाषित कर रही है कि हम कौन हैं, हम अपने सहयोगियों तथा समकक्षों से किस तरह संचार कायम करते हैं और हमें किस तरह काम करना चाहिए।‘
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘भारत में हम सतत विकास के लिए समावेशी, सुरक्षित एवं सुदृढ़ साइबर स्पेस बनाने के लिए प्रयासरत हैं। हमारा यह मानना है कि डिजिटल तकनीकों की रूपांतरणकारी ताकत से विकासशील देशों को अपने यहां विकास की गति तेज करने तथा और ज्यादा कारगर एवं सहभागितापूर्ण प्रजातंत्र के सृजन में मदद मिलेगी। हमारी रणनीति समाज के कमजोर तबकों एवं गरीबों, ग्रामीणों तथा उपेक्षित वर्गों तक लाभ पहुंचाना है। लोगों के सशक्तिकरण के लिए हमारा विशेष जोर केवल डिजिटलीकरण तक सीमित न रहकर उससे भी आगे डिजिटल तकनीकों तक अग्रसर हो गया है।‘
उन्होंने यह भी कहा, ‘पिछले तीन वर्षों के दौरान हमने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की प्रमुख पहल के तहत सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इन तीन स्तंभों पर आधारित है: (i) प्रत्येक नागरिक के लिए उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढांचा, (ii) गवर्नेंस एवं मांग पर सेवाएं, (iii) नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण। डिजिटल इंडिया एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल ढंग से सशक्त समाज एवं ज्ञान अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है।’