देहरादून: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में आयोजित, सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज सभी प्रकार के सम्बन्धों में कड़वाहट नज़र आ रही है, इसका क्या कारण है? उन्होंने कहा कि जब मन में पवित्रता नहीं रही तो आपस में प्रेम कैसे हो सकता है और जहाँ प्रेम नहीं वहाँ शान्ति नहीं हो सकती। इस हड्डी-माँस के पुतले को चलाने वाली आत्मा का स्वधर्म है ही शान्ति, प्रेम, पवित्रता। जब हम आत्मिक स्मृति में रहते हैं तब हमें शान्ति का अनुभव होता है, हमारा मन पवित्र तथा रूहानी प्रेम से भरपूर। जब हम देह के भान में रहते हैं तो मन में व्यर्थ व नकारात्मक विचार पैदा होते हैं जिससे मन अपवित्र संकल्पों से दूषित हो जाता है। दूषित मन में प्रेम के स्थान पर स्वार्थ आ जाता है, और शान्ति की जगह अशान्ति आ जाती है। तब ही दुख होता है।
आगे बहन जी ने कहा कि हम अपने स्वभाव के कारण ही दुखी होते हैं। हमारे भाव ही सुख-दुख की अनुभूति कराते हंै। सदा याद रखो कि ”मैं“ सुख के सागर परमात्मा की सन्तान हूँ इसलिए मुझे सबको सुख देना हैै। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति ही सदा तनावमुक्त रहकर प्रसन्नचित रहता है और दूसरों को भी प्रसन्न करता है। इसलिए सदा सकारात्मक सोचें तो जिन्दगी के हर पल को सकारात्मक बना सकेंगे तब सफलता आपके कदम चूमेगी।
बहन जी ने कहा हँसता हुआ चेहरा आपकी पर्सनेलिटी में चार चाँद जरूर लगाता है मगर हँसकर किया हुआ कार्य आप की पहचान बढ़ता है। परमपिता परमात्मा राजयोग के द्वारा चरित्र का पुर्ननिर्माण कर रहे हैं। सभा में उपस्थित जनों में, पदमा जी, विजय जी, प्रीति जोशी जी, उपदेश जी, राकेश कपूर जी, धीरज जी, विनोद शर्मा जी, सरोजिनी जी, उजला जी, भारत भूषण जी, विजयलक्ष्मी जी, कवीता जी तथा अन्य मौजूद थे।