देहरादून: आल इंण्डिया डिफेन्स ईम्पलाईज फैडरेशन के उपाध्यक्ष एवं हिन्द मजदूर सभा के राष्ट्रीय महामंत्री हर भजन सिंह सिद्धू ने कहा कि आज सरकार विश्व बैंक के दबाब में आकर सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है जो कि देश के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। श्री सिद्धू सोमवार को आयुध निर्माणी के मुख्यद्वार पर आयोजित कर्मचारियों की द्वार सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज सरकार लगातार मजदूरों के हितों पर कुठाराघात कर रही है। एक ओर श्रम काूनन में संशोधन लाकर जहां निजीकरण का रास्ता साफ कर रही है वहीं कर्मचारियों के हितों के साथ खेल रही है। जिन संशोधनों का प्रस्ताव तैयार किया गया है यदि उनको सरकार ने हूबहू लागू किया तो आने वाले दिनों में सरकारी कर्मचारियों का कोई अस्तित्व ही नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि एक जनवरी 2004 के बाद से पुरानीर पेंशन नीति समाप्त कर नयी पेंशन नीति लागू करना सरकार की सोची समझी साजिश है। इस नीति के लागू होने के बाद हमारा पैसा विदेशी कम्पनी के हाथों मे ंचला गया है। आज सरकारी कार्यालयों में लाखों पद रिक्त हैं लेकिन सरकार इन पदों पर भर्ती करने के बजाए ठेके के माध्यम से काम करवाने की सिफारिश कर रही है। आज सरकार ऐशी पालिसी बना रही है कि लोगों को रूझान सरकारी की बजाए निजी कम्पनियों की ओर जिससे की सरकार को सरकारी संस्थानों को बंद करने में आसानी हो। सरकार पूरी तरह से ऐसा कानून बना रही है जो कि कारपोरेट घरानों को फायदा दे सके। श्री सिद्धू ने कहा कि सरकार का मुखिया पूंजीपतियों के दबाब में आकर विदेशों में जाकर कह रहे हैं कि हमारे देश का कर्मचारी काम नहीं करना चाहता। आप हमारे देश में आईये और निवेश कीजिये। इसके लिए मैं कानून बदलवा रहा हूं। जो किह आने वाले दिनों के लिए गंभीर संकट का सूचक है। उन्होंने कहा कि आज मजदूरों का एक बड़ा वर्ग असंगठित है जो कि आने वाले दिनों में और बढे़गा ऐसे में हमें उनको संगठित करना होगा ताकि सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि हमें अपनी ताकत पहचाननी होगी तथा सरकार के कर्मचारी विरोधी नीतियों का मुहतोड़ जबाब देना होंगा। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि आज कर्मचारियों को जो सुविधायें मिल रही है वे ऐसे ही नहीं सरकार दे रही है। इसको हासिल करने के लिए किए गये संघर्षोंं का इतिहास लम्बा है। श्री सिद्धू ने सरकार के काला धन वापस लाने की बात पर कहा कि जब चुनाव था तो भाजपा नेताओं ने कालाधन को लेकर आम आदमी को कई सब्ज बाग दिखाये और जब सरकार बन गयी तो इसे चुनावी जुमला कह कर टाल दिया। उन्होंने ऐसे नेताओं से सावधान रह कर कर्मचारियों को एकजुट होने का आह्वान किया। द्वार सभा में अनिल उनियाल, शशि नौटियाल, अशोक शर्मा, उमा शंकर, संजीव मवाल, नीरज शर्मा, वीर सिंह चैहान, ताजबर सिंह रावत, वीपी कोठारी, सुनील यादव समेत सैकड़ों कर्मचारी मौजूद थे।