नई दिल्ली: सरकार ने कंपनी अधिनियम का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की है। सरकारी आदेश से 2,09,032 कंपनियों को धारा 248(5) के अंतर्गत कंपनियों के रजिस्टर से हटा दिया गया है। ऐसी कंपनियों के मौजूदा निदेशक एवं इनके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अब भूतपूर्व निदेशक अथवा भूतपूर्व अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता बन गए हैं। अत: ये लोग अब इन कंपनियों के बैंक खातों का परिचालन नहीं कर सकते। अब कंपनी को पुनः आरंभ करने के लिए कानूनी कार्रवाई जरूरी है। ये कंपनियां जब भी पुन: आरंभ की जाएंगी तब इन्हें ‘बंद’ के स्थान पर ‘सक्रिय’ दर्शाया जाएगा।
इस संदर्भ में ऐसी कंपनियों के बैंक खाते के परिचालन पर रोक लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग ने भारतीय बैंक संघ के जरिए सभी बैंकों को यह सलाह दी है कि वे ऐसी बंद कर दी गई 2,09,032 कंपनियों के बैंक खातों पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्काल कदम उठाएं। सरकारी वेबसाइट पर ऐसी कंपनियों की सूची प्रकाशित की गई है।
वित्त मंत्रालय द्वारा बैंकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे समस्त कंपनियों के साथ कारोबार करने में विशेष रूप से सावधानी बरतें। कार्पोरेट कार्य मंत्रालय की वेबसाइट पर ‘सक्रिय’ रूप में मौजूद कोई कंपनी, जो अपने अपेक्षित वित्तीय विवरण अथवा ऋण के संबंध में अपनी आस्ति संबंधी विशेष प्रभारों की वार्षिक विवरणी को प्रदर्शित नहीं करती है तो उसे प्रथम दृष्टि में संदेह से देखा जाएगा और यह माना जाएगा कि वह कंपनी अपने निवेशकों और आम जनता को महत्वपूर्ण सूचना एवं जानकारी से वंचित कर रही है।
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