नई दिल्ली: वर्चुअल या आभासी मुद्राओं, जिन्हें डिजिटल/क्रिप्टो मुद्राएं भी कहते हैं, का प्रचलन चिंता का विषय है। समय-समय पर विभिन्न मंचों पर इन मुद्राओं को लेकर चिंता जताई गई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी बिटक्वाइंस समेत वर्चुअल मुद्राओं के इस्तेमालकर्ताओं (यूजर्स), धारकों और कारोबारियों को इनसे जुड़े संभावित वित्तीय, परिचालनात्मक, कानूनी, उपभोक्ता संरक्षण और सुरक्षा जोखिमों को लेकर आगाह किया है। इसके लिए 24 दिसंबर, 2013 और 01 फरवरी, 2017 को रिजर्व बैंक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्तियां देखें।
वर्चुअल या आभासी मुद्राओं की मौजूदा रूपरेखा पर गौर करने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने विशेष सचिव (आर्थिक मामले) की अध्यक्षता में एक अंतर-अनुशासनात्मक समिति गठित की है, जिसमें आर्थिक मामलों के विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, राजस्व विभाग (सीबीडीटी), गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग और भारतीय स्टेट बैंक का प्रतिनिधित्व है। समिति इन कार्यों को पूरा करेगी : (i) देश-विदेश में वर्चुअल मुद्राओं की मौजूदा स्थिति का जायजा लेगी (ii) वर्चुअल मुद्राओं से संबंधित मौजूदा वैश्विक नियामकीय एवं कानूनी संरचनाओं पर गौर करेगी (iii) इस तरह की वर्चुअल मुद्राओं से निपटने के उपाय सुझाएगी, जिनमें उपभोक्ता संरक्षण, मनी लांड्रिंग इत्यादि से संबंधित मुद्दे भी शामिल हैं (iv) वर्चुअल मुद्राओं से संबंधित ऐसे किसी भी मसले पर गौर करेगी, जो प्रासंगिक हो सकता है।
समिति से तीन महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।