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सहकारी समितियों ने ऋण,उर्वरक, बीज जैसे इनपुट मुहैया कराकर किसानों की राह आसान की है : श्री सिंह

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह  ने कहा है कि आज भारतीय सहकारी आंदोलन विश्व के सबसे बड़े सहकारी आंदोलन के रूप में स्थापित है। भारत वर्ष में सहकारिता की पहुंच गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक है। कृषि मंत्री ने यह बात आज अमरेली जिला दुग्ध उत्पादक संघ, मर्यादित द्वारा अमरेली, गुजरात में आयोजित सहकारिता सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर कही। इस मौके पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण एवं पंचायती राज राज्यमंत्री, श्री पुरूषोत्तम रूपाला भी मौजूद थे।

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि देश में 7 लाख से अधिक सहकारी समितियां है, जो ग्रामीण स्तर समितियों से लेकर राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संगठनों तक फैली हुई है। देश की सहकारी समितियों में कुल सदस्यता 40 करोड़ से भी अधिक है। इसमें लगभग 97 प्रतिशत गांव तथा लगभग 71 प्रतिशत कुल ग्रामीण परिवार शामिल है । आज भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि सहकारी साख द्वारा 16.9 प्रतिशत,  उर्वरक उत्पादन का 29 प्रतिशत, चीनी उत्पादन का 40 प्रतिशत, बुनकर सहकारिताओं का 54 प्रतिशत आदि का योगदान दिया जा रहा है।

श्री सिंह ने बताया कि भारतीय सहकारिताओं ने अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में अपने को मजबूती से स्थापित किया है जैसे डेयरी, बैंकिंग, चीनी, उर्वरक, विपणन, हैण्डलूम, मत्स्य, गृह निर्माण। सहकारी समितियों ने ऋण,उर्वरक, बीज जैसे इनपुट मुहैया कराकर किसानों की राह आसान की है। आज डेयरी सहकारिता ने तो देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है। गुजरात व महाराष्ट्र में डेयरी के साथ-साथ चीनी मिल एवं ऋण समितियों का विकास हुआ तो दक्षिण भारतीय राज्यों में मछली और वन आधारित समितियों का।

कृषि मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने सहकारिता के समग्र विकास हेतु सहकारी संस्थाओं को सहायता प्रदान करता है जिसमें सरकार से प्राप्त अनुदान एवं ऋण शामिल है। गुजरात में डेयरी, भंडारण एवं शीत भंडारण, सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण, चीनी कपड़ा एवं उपभोक्ता सहकारिताओं को वित्तीय सहायता प्रदान की है। इन योजनाओं के तहत वर्ष 2014-2015, 2015-16 एवं 2016-17 के दौरान क्रमशः रु. 663.23 करोड़ स्वीकृत किए गए तथा क्रमशः रु. 133.45 करोड़, रु. 272.97 करोड़ एवं रु. 424.04 करोड़ दिए गए। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा वर्ष 2011-14 में 15143.76 करोड़ राशि निर्गत की गई थी। वहीं मौजूदा केंद्र सरकार के 3 वर्षों में (वर्ष 2014-17) में यह 89.98 प्रतिशत बढ़कर 28771.31 करोड़ निर्गत की गयी। । उन्होंने सभी समितियों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे समितियों के आर्थिक सुधार एवं क्षेत्रीय असंतुलन को हटाने के लिए एनसीडीसी के विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रमों से सहयोग लें।

श्री सिंह ने कहा कि सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम सहकारिता विकास का अहम अंग है। सहकारी समितियों को सक्षम बनाने के लिए एक सतत प्रक्रिया है। प्रशिक्षण इसलिए जरूरी है कि समितियों को योग्य एवं व्यवसायिक नेतृत्व मिले। कुशल मानव संसाधन जब तक नहीं मिलेगा तब तक सहकारिताओं के विस्तार में कमी आयेगी। इसलिए सहकारी शिक्षण एवं प्रशिक्षण तंत्र को मजबूत बनाना होगा। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ देश में सहकारी आन्दोलन को विकसित करने के लिए कठिन प्रयास कर रहा है तथा सहकारी क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण हेतु सदस्य संगठनों को शिक्षित करने, मार्गदर्शन देने और सहायता प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रहा है।

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